Tuesday, November 26, 2024
Patna

Nitish cabinet expansion :सुमित सिंह,CM नीतीश के करीबी रहे, JDU ने कभी नहीं दिया टिकट,फ‍िर से बने मंत्री

“Nitish cabinet expansion :अरविंद कुमार सिंह, जमुई। Nitish cabinet expansion : बिहार की राजनीति में सुमित कुमार सिंह एक बड़ा चेहरा बनकर उभर रहा है। निर्दलीय विधायक रहने के बावजूद नीतीश कुमार ने उन्‍हें अपने कैबिनेट में महगठबंधन की सरकार में जगह दी। इससे पहले भी नीतीश कुमार ने एनडीए की सरकार में उनको जगह दी थी। वे जमुई के चकाई विधानसभा के विधायक हैं। तीन बार यहां से वे चुनाव लड़े, दो बार जीते। उन्‍होंने तीनों बार जदयू से टिकट लेने का प्रयास किया, लेकिन जदयू ने एक भी बार उन्‍हें टिकट नहीं दिया। इसके बावजूद उन्‍हें नीतीश कुमार मंत्रीमंडल में जगह दी है। बिहार में बनी महाठबंधन की नई सरकार में सुमित कुमार सिंह को उन्‍हें विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री बनाया गया। इससे पहले भी नीतीश कुमार के नेतृत्‍व वाली एनडीए में सरकार वे इसी विभाग में मंत्री थे।   

जान‍िए सुमित कुमार सिंह को

सियासत का खेल कहें या फिर किस्मत…! लगातार तीसरी बार सुमित एनडीए से बेटिकट हुए थे। पहली बार 2010 में चकाई से सुमित कुमार सिंह ने तब दावेदारी दी थी जब उनके पिता नरेंद्र सिंह एनडीए (जदयू) के कद्दावर नेता थे और जमुई की राजनीति में उनका सिक्का चल रहा था। उक्त चुनाव में चकाई सीट भाजपा के खाते में चली गई और सीटिंग विधायक फाल्गुनी यादव एनडीए के उम्मीदवार बने। तब सुमित ने झामुमो का दामन थाम चकाई विधानसभा क्षेत्र से पहली जीत दर्ज कराई थी। बाद में वे जदयू के साथ हो गए। 2015 विधानसभा चुनाव में जदयू का राजद से गठबंधन हुआ। सुमित ने एनडीए के घटक हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा से दावेदारी जताई, लेकिन यह सीट लोजपा के खाते में गई। विजय सिंह एनडीए के उम्मीदवार घोषित हो गए। नाराज सुमित निर्दलीय प्रत्‍याशी के रूप में मैदान में कूद पड़े। दे दूसरे स्‍थान पर रहे। यहां से सावित्री देवी की जीत हुई। एनडीए प्रत्याशी को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था।

महागठबंधन से जदयू का नाता टूटने के बाद एक बार फिर सुमित ने नीतीश कुमार में आस्था जताई और लगातार जदयू के सांगठनिक ढांचा को मजबूती प्रदान करते रहे। लेकिन इस बार भी उन्हें निराश होना पड़ा। बिहार विधानसभा 2020 के इस चुनाव में सीट तो जदयू खाते में गई लेकिन टिकट राजद से जदयू का आए विधान पार्षद संजय प्रसाद झटक ले गए। तब बेटिकट होने की पीड़ा से व्यथित सुमित ने इंटरनेट मीडिया पर मार्मिक संदेश के साथ जदयू नेतृत्व पर लोकतंत्र को अपनी पूंजी बनाकर रखने का आरोप मढ़ा था। खुद निर्दलीय प्रत्‍याशी के रूप में चुनाव मैदान में कूद गए। जनता ने उन्‍हें विधायक बना दिया। सुमित कुमार सिंह चकाई विधानसभा से तीन बार चुनाव लड़े। दो बार चुनाव जीत गए। इसके बाद नीतीश कुमार ने उन्‍हें मंत्री बना दिया।

2010 में पहली बार झामुमो के टिकट पर चकाई से विधायक चुने गए थे। 2015 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2020 में जदयू से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय ही मैदान में कूद पड़े थे। कांटे के मुकाबले में राजद की सावित्री देवी को पराजित कर बिहार में इकलौता निर्दलीय विधायक चुने जाने का गौरव प्राप्त किया। इनके पिता नरेंद्र सिंह बिहार के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। वे लालू, नीतीश और जीतन मांझी की सरकार में मंत्री रहे।

41 वर्षीय सुमित कुमार सिंह

द्वारा शपथ पत्र में की गई घोषणा के मुताबिक वे 3,34,59,692 रुपये मूल्य चल अचल संपत्ति के स्वामी हैं। उनके ऊपर 3,87,704.72 रुपये की देनदारी है। 2018 में तत्कालीन एसपी लिपि सिंह के कार्यकाल में उनके खिलाफ दर्ज एकमात्र मुकदमा है।

बिहार के इकलौते निर्दलीय विधायक सुमित कुमार स‍िंंह को पुन: मंत्री मंडल में शामिल कर विज्ञान एवं प्रावैद्यिकी मंत्री बनाए जाने पर समर्थकों में खुशी व्याप्त है। मंगलवार को सुमित कुमार सिंह के समर्थकों ने पैक्स अध्यक्ष पुरुषोत्तम कुमार सिंह के नेतृत्व में मंत्री के पकरी स्थित आवास पर एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर तथा मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया। मौके पर पुरुषोत्तम कुमार सिंह, गोल्डन अंबेदकर तथा पूर्व मुखिया नारायण सिंह ने कहा कि सुमित कुमार सिंह युवाओं में ऐसा चेहरा हैं जो कार्य करते हुए अपनी एक नई पहचान बनाई है। इनके दादा स्व श्रीकृष्ण सिंह भी मंत्री और सांसद रहे। अंग्रेजों के साथ लड़ाई लड़कर स्व श्रीकृष्ण सिंह ने देश की आजादी में अपनी भूमिका अदा की थी। सुमित स‍िंह के पिता स्व नरंद्र स‍िंह भी सूबे के कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। वे हमेशा किसानों, गरीबों तथा मजदूरों के लिए संघर्ष करते आए और कभी स्वाभिमान से समझौता नहीं किया। सुमित सिंह को मंत्री बनाए जाने पर सभी ने एक स्वर में मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर अभिषेक सिंह रघुवंशी, कुंदन सिंह, मंटू सिंह, देवेंद्र साह, नरेंद्र बाजपेयी, विनोद यादव, अमित कुमार सिंह, गिरीश शाह, चंदन सिंह आदि उपस्थित थे।

Kunal Gupta
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