साइकिल पर भारत भ्रमण पर निकला आसीम, दे रहा पर्यावरण संरक्षण का संदेश,पहुंचा हिमाचल ।
New Delhi .मंडी. नॉर्थ ईस्ट के त्रिपुरा राज्य का 23 वर्षीय युवक अपने सपने को साकार करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने साईकिल पर निकला हुआ है. यह युवक बीते पांच महीनों में अपनी 3 हजार किमी से अधिक की यात्रा को पूरा करके इन दिनों हिमाचल प्रदेश की वादियों से गुजर रहा है. युवक का सपना पूरे भारत भ्रमण का है.
दरअसल, जब आपके दिमाग में किसी सपने को पूरा करने का जुनून सवार हो जाता है तो फिर आप उस सपने को साकार करने के लिए निकल पड़ते हैं. हालांकि उसका अंजाम भी आपको मालूम नहीं होता, बस… मंजिल ही नजर आती है. अपने ऐसे ही सपने को पूरा करने के लिए इन दिनों नॉर्थ ईस्ट के त्रिपुरा राज्य के धलाई जिले के मासली छरा गांव का 23 वर्षीय आसीम भारत भ्रमण पर निकला हुआ है.
बीती 1 जनवरी 2022 को आसीम ने अपने घर से इस यात्रा की शुरूआत की थी. अभी तक 8 राज्यों से होकर गुजरने वाला आसीम 3 हजार किमी से अधिक का सफर तय करते हुए हिमाचल प्रदेश पहुंचा है. हिमाचल प्रदेश आसीम की यात्रा का 9वां राज्य है. यहां से अब आसीम लेह-लद्दाख जा रहा है जहां से जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हरियाणा होते हुए साउथ में जाकर अपनी यात्रा को पूरा करेगा. आसीम ने बताया कि अपनी यात्रा के दौरान वह पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा है. लोगों से अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने और उन्हें भविष्य के लिए बचाने का आहवान कर रहा है.
आसीम का मानना है कि अगर आपने कभी कोई पेड़ पौधा नहीं काटा, तो इसका मतलब यह नहीं कि आप पौधे लगाएंगे भी नहीं. यदि भविष्य सुरक्षित रखना है तो हर नागरिक को इसे अपना नैतिक कर्तव्य मानना होगा. आसीम ने बताया कि अपनी यात्रा के लिए उसने ग्रेजुएशन फाईनल ईयर को भी ड्रॉप कर दिया है.
चंपक भी हो लिया साथ
आसीम अपना एक ब्लॉग चलाता है. जब आसीम ने अपनी इस यात्रा की जानकारी ब्लॉग पर शेयर की तो पश्चिम बंगाल के कुशबिहार निवासी चम्पक दास ने भी उनके साथ चलने की इच्छा जाहिर की. आसीम जब पश्चिम बंगाल पहुंचा तो वहां से चम्पक दास भी उनके साथ साईकिल पर सवार होकर भारत भ्रमण के लिए निकल पड़ा. चम्पक लाल ने बताया कि यात्रा के दौरान उन्हें कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन हर चुनौती से पार पाते हुए वे लगातार आगे बढ़ रहे हैं. हिमाचल की वादियों में पहुंचकर उन्हें बेहतर सुखद अनुभूति हो रही है.
आसीम और चंपक अपनी यात्रा के दौरान जहां भारत भ्रमण के अपने सपने को पूरा करने जा रहे हैं. वहीं पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के साथ-साथ इस बात का संदेश भी दे रहे हैं कि अगर सपनों को पूरा करना हो तो फिर सोचकर नहीं बल्कि हकीकत में काम करके ही पूरा किया जा सकता है.