Wednesday, October 16, 2024
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बेगूसराय में 17 अक्टूबर से कल्पवास मेला:साधु-संतों के लिए एक-एक फीट जमीन,बैरिकेडिंग कराई जा रही

बेगूसराय.कभी स्वर्णभूमि और अंगुत्तराप के नाम से चर्चित बेगूसराय के सिमरिया में पावन गंगा नदी के तट पर लगने वाले एशिया के सबसे बड़े कल्पवास मेला की तैयारी तेज हो गई है। गंगा तट पर 17 अक्टूबर से 16 नवंबर तक चलने वाले राजकीय कल्पवास मेला में शामिल होने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से खालसा का आना शुरू हो गया है।

 

 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से तैयार कराए गए कल्पवास मेला क्षेत्र में प्रत्येक खालसा शिविर के साधु-संतों के लिए एक-एक फीट जमीन उपलब्ध कराई जा रही। खालसा जनसेवा समिति के अध्यक्ष सह खखड़ बाबा खालसा के महंत विष्णुदेवाचार्य ने बताया कि लोगों का आना शुरू हो गया है। 13 अक्टूबर से देश के विभिन्न हिस्से के अलावा पड़ोसी देश नेपाल से भी बड़ी संख्या में साधु-संत सिमरिया धाम पहुंचकर कुटिया बनाने में जुट जाएंगे।

 

 

जल संसाधन विभाग की तरफ से कल्पवास क्षेत्र के चारों ओर अंदर से पीसीसी सड़क निर्माण कार्य पूरा कर कल्पवास क्षेत्र के अंदर हर सेक्टर तक पहुंचने के लिए पेवर ब्लॉक बिछाने का कार्य अंतिम चरण में है। मेला के दौरान कुंभ सेवा समिति की ओर से काशी के आचार्यों के ने गंगा तट पर गंगा महाआरती के आयोजन की तैयारी कर ली है।

 

17 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा-सह-संक्रांति के पावन दिन वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विभिन्न खालसा शिविर में साधु-संतों और श्रद्धालुओं की ओर से ध्वजारोहण किया जाएगा। इसके बाद कल्पवास मेला शुरू होकर 31 दिनों तक चलेगी।पूर्णिमा से पूर्णिमा तक कल्पवास करने वाले श्रद्धालु 15 नवम्बर को वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ध्वज विच्छेदन करेंगे, जबकि संक्रांति को मानने वाले श्रद्धालु 16 नवम्बर को अपने खालसा शिविर में ध्वज विच्छेदन करेंगे।

 

दिनचर्या गंगा आरती के साथ समाप्त होती

 

अखिल भारतीय सर्वमंगला परिवार की ओर से कल्पवास मेला के तीन वृहत परिक्रमा में प्रथम परिक्रमा 29 अक्टूबर, दूसरी परिक्रमा 5 नवम्बर और अंतिम परिक्रमा 12 नवम्बर को स्वामी चिदात्मन जी के नेतृत्व में किया जाएगा। 17 अक्टूबर को आदि कवि बाल्मीकी जयंती, 2 नवम्बर को गोवर्धन पूजा और महाकवि कालिदास जयंती, 12 नवम्बर को देवोत्थान एकादशी सह राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति दिवस मनाया जाएगा। 13 नवम्बर को विद्यापति स्मृति दिवस और 15 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा स्नान व देव दीपावली मनाई जाएगी।

 

उल्लेखनीय है कि मिथिला और मगध के संगम स्थली गंगा तट सिमरिया में सदियों से कार्तिक मास में कल्पवास करने की परंपरा रही है। यहां सिर्फ मिथिलांचल के ही नहीं, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और नेपाल के हजारों लोग कुटीर बनाकर कल्पवास करते हैं। इसके साथ ही 50 से अधिक खालसा भी लगाया जाता है। सुबह में गंगा आरती और सूर्य नमस्कार से शुरू होने वाली इनकी दिनचर्या रात्रि में गंगा आरती के साथ समाप्त होती है।

 

मोबाइल चार्ज करने की पर्याप्त व्यवस्था रहेगी

 

राम घाट से लेकर रिवर फ्रंट (स्थायी स्नान घाट) होते हुए श्मशान घाट तक खतरनाक घाट की बैरिकेडिंग कराई जा रही। एडीएम राजेश कुमार सिंह ने बताया कि कल्पवास मेला के दौरान कभी भी सीएम नीतीश कुमार सिमरिया आ सकते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए सभी कार्य कराया जाएगा। परिक्रमा के अलावा महत्वपूर्ण तिथियों को गंगा स्नान के लिए उमड़ने वाली भीड़ के दौरान विशेष व्यवस्था रहेगी।राजेन्द्र पुल सड़क से नीचे सिमरिया धाम बाजार आने वाली दोनों सीढ़ियां बंद रहेगी। सीसीटीवी से हर गतिविधि की निगरानी होगी, कल्पवासियों और श्रद्धालुओं को मोबाइल चार्ज करने की पर्याप्त व्यवस्था रहेगी। सभी खालसा में तीन अस्थाई शौचालय व दो चापाकल रहेगा। कल्पवासियों को सभी सुविधा जिला प्रशासन देगा। गंगा किनारे एसडीआरएफ व गोताखोर तीन शिफ्ट में 24 घंटा तैनात रहेंगे।

Pragati

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