Sunday, October 13, 2024
Patna

“पर्यावरण संरक्षण को लेकर आगे आरहे लोग,धरती बचाने को बेटियों के नाम से करते हैं पौधरोपण

पटना पश्चिम दरवाजा की रहने वाली संगीता राजेश राज लंबे समय से पर्यावरण संरक्षण का काम करह रही हैं। उन्होंने हाल ही में फल और फूलों के पौधे लगाए हैं। साथ ही अन्य इलाकों में पौधरोपण की तैयारी कर रही हैं। वह बताती हंै कि बचपन से पेड़-पौधों का बहुत शौक था, अपने घर में उन्होंने विभिन्न तरह के फूल और फल के पेड़ लगाए थे। वो लोगों को भी पेड़ लगाने में मदद करती हैं। शादी के बाद यह काम छूट गया था फिर उन्होंने इसकी शुरुआत की है और अभी अनिसाबाद की पुलिस कॉलोनी, गंगा नदी और घाटों के पास पेड़ लगाए हैं। वह बताती हैं कि वह जब भी कहीं घूमने जाती हैं तो वहां के पेड़-पौधे खरीदती हंै। उन्होंने बताया कि उन्हें याद नहीं कि कितने पेड़ लगा चुकी हंै।

प्राकृतिक रंगों से मिथिला पेंटिंग बनाकर दे रही हैं पर्यावरण संरक्षण का संदेश

मधुबनी की उर्मिला देवी पिछले 4 दशकों से प्राकृतिक रंगों से िमथिला पेंटिंग बनाती हैं। वह बताती हंै कि यह पेंटिंग पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है। महज 15 साल की उम्र से उन्होंने पेंटिंग बनाने की शुरुआत कर दी थी, जिसके लिए वह फूल और पत्तों का इस्तेमाल करती हंै। उन्होंने बताया कि धार्मिक उत्सव सामाजिक परंपरा जैसे कि शादी समारोह या दोस्तों के संग खेल और प्रकृति के तत्व जैसे कि हाथी, मगरमच्छ और मछली मिथिला कला के प्रमुख विषय हंै। अगर आज की पीढ़ी इस परंपरा को नहीं संजोएगी तो ये इतिहास के पन्नों में सिमट जाएंगे। कुछ गिनती के ही कलाकार बचे हैं जो प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल कर इस कला को जीवंत बनाते हैं। रंगों को बनाने के लिए उर्मिला देवी गाय के गोबर, सीम के पत्ते, सिंघाड़ा की डंडी सहित अन्य चीजों का इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने कहा कि घर की पूजा के फूलों से वह पेंटिंग तैयार करती हंै।

पिताजी हर जन्मदिन पर लगवाते थे पौधे

समस्तीपुर के रहने वाले राजेश कुमार सुमन जब 6 साल के थे तब से पेड़ लगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह गुण उन्होंने अपने पिता से सीखा जो हर साल उनके जन्मदिन पर उनसे पौधा लगवाया करते थे। 2018 में उन्होंने एक मुहिम की शुरुआत की जिसमें जिन घरों में बेटियां होती हैं, उनके घरवालों से बेटी के नाम पर आम का पेड़ लगवाते हैं। अभी यह मुहिम पटना, मुजफ्फरपुर सहित अन्य जिलों में चल रहे हैं। उन्होंने पांच लाख से ज्यादा पौधे लगाए हंै। उनकी कोशिश है कि विश्व पर्यावरण दिवस के लिए 500 साइकिल रैली निकाले।

पटना |पर्यावरण की रक्षा भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अहम अंग है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि मनुष्य का स्वर्ग यहीं पृथ्वी पर है। आज पर्यावरण संकट में है। इसीलिए सभी को जरूरत है कि इस इको सिस्टम को बचाए। उसे रीस्टोर करें ताकि आने वाली पीढ़ियां जीवन जी सके। हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। सिटी भास्कर ऐसे लोगों की कहानियां लेकर आया है, जो पर्यावरण को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

Kunal Gupta
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