Wednesday, November 27, 2024
Patna

दो नए रेल नेटवर्क से बिहार ही नहीं नेपाल तक की यात्रा हो गई आसान, व्यापार को भी मिल रहा बढ़ावा

मधुबनी, [राजीव रंजन झा]। डेढ़ महीने के अंदर दो रेललाइन की शुरुआत से मधुबनी के लोगों का नेपाल के साथ-साथ सरहसा जाना भी आसान हो गया है। व्यापार भी बढ़ रहा है। वह दौर अंग्रेजों का था। देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा था। उस समय आए भीषण भूकंप में कोसी पर बना रेल पुल ध्वस्त हो गया था। इससे मिथिलांचल का सीमांचल से रेल नेटवर्क खत्म हो गया था। बीते दिनों इसकी शुरुआत के बाद एक दर्जन से अधिक सूने पड़े रेलवे स्टेशन गुलजार हो गए हैं। वहां दुकानें सज गई हैं। आसपास व्यापारिक स्थल बनने लगे हैं। इसके अलावा दो अप्रैल को जयनगर से नेपाल के कुर्था तक ट्रेन शुरू होने के बाद दोनों देशों के बीच आवागमन आसान हुआ है।

20 लाख आबादी रेल नेटवर्क से जुड़ी

1934 में आए प्रलयंकारी भूकंप ने मिथिला के पूर्वी व पश्चिमी हिस्से को दो भागों में बांट दिया था। साथ ही दरभंगा व मधुबनी का सुपौल-सहरसा से रेल नेटवर्क समाप्त हो गया था। इसके 88 साल बाद कोसी पर महासेतु बनने के बाद ये हिस्से जुड़े हैं। कोसी पर बने मेगाब्रिज को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 सितंबर, 2020 को राष्ट्र को समर्पित किया था। इसके बाद सात मई को केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से इस रेललाइन पर ट्रेनों का शुभारंभ किया। साथ ही झंझारपुर-निर्मली आमान परिवर्तन के बाद ट्रेनों की शुरुआत की थी। इससे मधुबनी जिले की करीब 20 लाख आबादी रेल नेटवर्क से जुड़ गई।

रुपये और समय की बचत

इस रेलखंड से मधुबनी के लोगों को सहरसा जाने में समय व रुपयों की बचत हो रही है। अभी तक रेलमार्ग से सहरसा जाने के लिए वाया दरभंगा करीब सात घंटे का सफर करना पड़ रहा था। अब वे झंझारपुर से सवारी गाड़ी से करीब पांच घंटे में सहरसा पहुंच रहे हैं। पहले दरभंगा, खगडिय़ा होते हुए सहरसा जाने में करीब सौ रुपये खर्च होते थे। अभी झंझारपुर से मात्र 50 रुपये के टिकट पर सहरसा पहुंच रहे हैं। पहले झंझारपुर से सहरसा की दूरी रेलमार्ग से 217 किमी थी, जो नए रेलमार्ग से महज 123 किमी रह गई।

रोजगार की खुली राह, स्टेशन हुए गुलजार

झंझापुर से मधुबनी जिले की सीमा तक कुल सात स्टेशन व हाल्ट हैं। कई सालों बाद इनका सन्नाटा टूटा है। स्टेशन पर दुकानें तो शुरू ही हुई हैं, आसपास ही व्यापारिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। दरभंगा-सहरसा के बीच प्रतिदिन तीन जोड़ी सवारी गाडिय़ों का परिचालन हो रहा है। यहां यात्रियों की भीड़ से क्षेत्र की आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी। झंझारपुर व घोघरडीहा के बीच में तमुरिया पहले आर्थिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र था। मछली, पटुआ, खाद्यान्न, मखाना, चावल, रसगुल्ला व दही सहित अन्य सामान ट्रेन से दूसरे जिलों तक भेजे जाते थे। किसान व व्यापारी हरी सब्जियां बेचने भी एक से दूसरे जिले की मंडी में पहुंच जाते थे। एक बार फिर इसकी शुरुआत होने लगी है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। जिले के इस बड़े भाग में कपड़े, दवाइयां, खाद्यान्न, भवन निर्माण सामग्री आदि दूसरे जिलों से आना आसान व सस्ता हो गया है। घोघरडीहा के कपड़ा व्यवसायी हरि प्रकाश इसे लेकर काफी खुश हैं। वह कहते हैं वे अब सड़क मार्ग की जगह टे्रेन से माल मंगवाएंगे। इससे खर्च कम होगा। किराना व्यवसायी अभिषेक पंसारी कहते हैं कि अब दरभंगा के अलावा सहरसा से भी कनेक्टिविटी हो गई है। व्यापार बढ़ेगा।

अब ट्रेन से नेपाल की करें यात्रा

दूसरी ओर जयनगर से नेपाल के कुर्था तक आठ साल पहले बीते महीने टे्रन संचालन शुरू हुआ था। इससे भारत-नेपाल के बीच आर्थिक गतिविधियों में विस्तार हो रहा है। जनकपुर जाने के लिए देश-विदेश से लोग जयनगर पहुंचने लगे हैं। इससे स्थानीय बाजार को बल मिला है। माता सीता से जुड़े स्थल जनकपुरधाम लोग पहुंच रहे हैं।

जयनगर से नेपाल के विभिन्न स्टेशनों का किराया

स्टेशन : सामान्य श्रेणी : एसी

इनर्वा : 13 रुपये : (नेपाली 20 रुपये): 63 रुपये (नेपाली 100 रुपये)

खजुरी : 16 रुपये (नेपाली 25 रुपये) : 78 रुपये (नेपाली 125 रुपये)

महिनाथपुर: 22 रुपये (नेपाली 35 रुपये): 109 रुपये (नेपाली 175 रुपये)

वैदेही : 28 रुपये (नेपाली 45 रुपये) : 141 रुपये (नेपाली 225 रुपये)

परवाहा : 34 रुपये (नेपाली 55 रुपये) : 172 रुपये (नेपाली 275 रुपये)

जनकपुर : 44 रुपये (नेपाली 70 रुपये) : 219 रुपये (नेपाली 350 रुपये)

कुर्था : 56 रुपये (नेपाली 90 रुपये) : 281 रुपये (नेपाली 450 रुपये)

पहचान पत्र अनिवार्य

यात्रा करने वाले दोनों देशों के नागरिकों को अपना पहचान पत्र रखना अनिवार्य होगा। भारतीय आधार कार्ड, वोटर कार्ड सहित अन्य का इस्तेमाल करते सकते हैं। टिकट कटाते समय इसे दिखना होगा। प्रतिदिन झंझारपुर स्टेशन से ट्रेन से करीब एक हजार लोग यात्रा कर रहे हैं। बस से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में 10 से 20 प्रतिशत तक की कमी देखी जा रही है। यात्री बाबू साहेब झा, रंजीत मिश्र व प्रमोद झा का कहना है कि झंझारपुर से दरभंगा जाने वाले यात्री को बस से 80 रुपये देने पड़ते हैं, जबकि ट्रेन से 30 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। वहां से खरीदारी कर अब आसानी से आ जाते हैं।

Kunal Gupta
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