Sunday, November 24, 2024
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“आज सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है NDA:पीएम मोदी ने नीतीश-नायडू को फोन किया, जानिए कौन राज्य में कितना सीट मिला 

नई दिल्ली.18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजे लगभग साफ हो गए हैं। 542 सीटों में से भाजपा के नेतृत्व वाली NDA को 292 और कांग्रेस के नेतृत्व वाली I.N.D.I.A को 233 सीटें मिल रही हैं। इसमें अकेले भाजपा को 240 सीटें मिली हैं। यानी वह बहुमत (272) के आंकड़े से 32 सीट पीछे रह गई। 2014 में भाजपा को 278 और 2019 में 303 सीटें मिली थीं।

इस बीच अब सरकार बनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। NDA बुधवार को सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। उसने अपने घटकदलों की बुधवार को बैठक बुलाई है। पीएम ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार और टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू को फोन कर बैठक के लिए बुलाया है।

उधर, राष्ट्रपति भवन में शपथ की तैयारियां शुरू हो गई हैं। आम लोगों के लिए 5 से 9 जून तक के लिए बंद कर दिया है। I.N.D.I.A गठबंधन की भी शाम को दिल्ली में बैठक बुलाई गई है। राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।

इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट के मुताबिक रात 2 बजे तक भाजपा को 240, कांग्रेस को 99, सपा को 37, टीएमसी को 29, डीएमके को 22, टीडीपी को 16, जेडीयू को 12, शिवसेना यूटीबी को 9, एनसीपी शरद पवार को 7, राजद को 4 और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास को 5, शिवसेना शिंदे को 7 सीटों पर जीत मिल चुकी थी।

भाजपा ने मध्य प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा में क्लीन स्वीप किया। 2019 में 9 राज्यों में सभी सीटें जीती थी। 50 में से 19 केंद्रीय मंत्री हारे, 31 जीते।

नोटा का रिकॉर्ड: इंदौर में 2.18 लाख वोट नोटा को गए। 2019 में बिहार की गोपालगंज सीट पर नोटा को रिकॉर्ड 51,600 वोट मिले थे।

भाजपा ने हिंदी बेल्ट में ही 71 सीटें गंवाईं, यूपी में 32 घटीं लेकिन पश्चिम-दक्षिण साधा

उत्तरप्रदेश: 80 में से 41 सीटें सपा और कांग्रेस ने जीतीं। 80 सीटों में से 36 सपा, 30 भाजपा, 5 कांग्रेस, 2 रालोद और 1 अपना दल को मिली। भाजपा की 32 सीटें घटीं, सपा की 31 बढ़ीं। इसके पीछे की वजह रही कि BJP का राम मंदिर का नैरेटिव फेल हो गया। भाजपा फैजाबाद सीट ही 50 हजार से ज्यादा वोटों से हारी। BJP ने यहां के 7 सांसदों को इस बार टिकट नहीं दिया। इसका नुकसान भी हुआ। जबकि बसपा का 80-90% वोट इंडी अलायंस की पार्टियों को गया।
राजस्थान: 25 में से 14 भाजपा को, 8 कांग्रेस ने छीनीं। रालोपा एक सीट पर जीती। 2019 में भाजपा ने यहां 24 सीटें जीती थीं। 1 सीट रालोपा के पास थी। इस बार जातीय समीकरण ने भाजपा का गणित बिगाड़ दिया। आरक्षण को लेकर एससी-एसटी में नाराजगी का असर वोटों पर हुआ। जाट-राजपूतों का गुस्सा और गुर्जर-मीणा का एक होना भी X फैक्टर रहा। भाजपा का वोट शेयर 60% से घटकर 49% पर आ गया।
हरियाणा: भाजपा 10 में से 5 ही सीटें बचा पाई। उसकी 5 सीटें छिन गईं। भाजपा और कांग्रेस को 5-5 सीटें मिलीं। 2019 में भाजपा ने यहां 10 सीटें जीती थीं। इसकी सबसे बड़ी वजह किसान आंदोलन, एंटी इन्कम्बेंसी और पहलवानों के विद्रोह का असर रहा। यही कारण था कि भाजपा को अपनी आधी सीटें गंवानी पड़ीं।
बिहार: जदयू के साथ से भाजपा बड़े झटके से बच गई। इंडिया का वोट शेयर 9% तक बढ़ गया। सीटें 7 हासिल कीं। कुल 40 सीटों में से 12 जदयू, 12 भाजपा, 5 लोजपा, 4 राजद, 3 कांग्रेस, 2 सीपीआई (एमएल), 1-1 हम व निर्दलीय को मिलीं। 2019 में भाजपा 17, जदयू 16, लोजपा 6 और एक कांग्रेस ने जीती थी। इस बार यहां एनडीए का वोट शेयर 2% घट गया। चुनाव से पहले जदयू को साथ लाकर भाजपा बड़े नुकसान से बच गई।

दक्षिण: केरल में भाजपा की एंट्री, तेलंगाना में दोगुनी, आंध्र में 3 सीटें जीतीं। कर्नाटक में 8 सीटें गवां दीं। यहां की कुल 129 सीटों में भाजपा को 29, कांग्रेस को 40 सीटें गईं। तमिलनाडु की 39 में से 22 द्रमुक ने, 9 कांग्रेस ने जीतीं। कर्नाटक की 28 में से 17 भाजपा, 9 कांग्रेस, 2 जेडीएस को। आंध्र की 25 में 16 टीडीपी, 4 वाईएसआर, भाजपा को 3 मिलीं। केरल में कांग्रेस को 14, भाजपा को 1 सीट मिली। तेलंगाना में भाजपा, कांग्रेस को 8-8 सीटें जीतीं। इस जीत की वजह आंध्र में टीडीपी से भाजपा का गठबंधन रहा। केरल में चर्चित चेहरे सुरेश गोपी ने भाजपा का खाता खुलवाया। तेलंगाना में बीआरएस का वोट भाजपा को ट्रांसफर होने से उसकी सीटें 4 से 8 हो गईं। तमिलनाडु में भाजपा को सीटें नहीं मिलीं, पर वोट शेयर बढ़ गया।
बंगाल: भाजपा की यहां 6 सीटें घटीं। तृणमूल की 7 सीटें बढ़ीं। जबकि वोट शेयर में 2% का ही अंतर रहा। 42 सीटों में से 29 पर दीदी का दबदबा रहा। भाजपा 12 पर सिमटी। कांग्रेस को एक सीट। 2019 में भाजपा 18 व टीएमसी 22 जीती थी। बंगाल में एनडीए का वोट शेयर करीब 2% घटा और तृणमूल का 2% बढ़ गया। संदेशखाली का मुद्दा बेअसर रहा। इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के बाद भी कांग्रेस से अलग होकर लड़ने से तृणमूल को फायदा मिला।
महाराष्ट्र: शिवसेना-एनसीपी टूटने से कांग्रेस को बड़ा फायदा मिला। लेकिन, भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ। 48 सीटों में 10 भाजपा, 13 कांग्रेस, 9 शिवसेना (उद्धव), 7 शिवसेना (शिंदे), 7 एनसीपी (शरद), 1 एनसीपी (अजित) जीती। 2019 में 23 सीटें भाजपा, 18 शिवसेना व 4 एनसीपी ने जीती थीं। शरद और उद्धव असली साबित हुए, जबकि शिंदे-अजित नकली। सबसे बड़ा फायदा कांग्रेस को मिला। महज 17% वोट लेकर कांग्रेस यहां सबसे ज्यादा सीटें जीत गई और सबसे बड़े वोट शेयर (26%) के बावजूद भाजपा 13 सीटें गंवाकर 10 पर आ गई।
नार्थईस्ट : यहां के 8 राज्यों की कुल 25 सीटों में से 13 भाजपा व 7 कांग्रेस जीती। मणिपुर में भाजपा दोनों सीटें हारी। वजह-मणिपुर हिंसा

Kunal Gupta
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