क्या बने रहेंगे सीएम या होगा खेला,सदन में ‘विश्वास’ का मत आज:नई एनडीए सरकार का भविष्य तय होगा
पटना।राज्य में 28 जनवरी को हुए सत्ता परिवर्तन के बाद राजनीतिक पारा रोज एक नई ऊंचाई छू रहा है। एनडीए और महागठबंधन के बीच चली जा रही शतरंजी चालों में फिलहाल दोनों पक्ष एक-दूसरे को ‘शह’ देने में जुटे हैं। पहले ‘मात’ कौन देगा, इसकी बानगी विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास के नोटिस को प्रस्ताव में तब्दील होते ही और उसपर होने वाली वोटिंग के दौरान ही दिख जाएगी। स्पीकर के भाग्य का फैसला बहुमत से होगा और यहीं सिद्ध हो जाएगा कि कौन कितने पानी में है। विश्वास मत की नौबत आएगी या नहीं।
वैसे, तय कार्यसूची में सोमवार को ही सरकार को विश्वास मत भी हासिल करना है। विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है। इस टेस्ट में खुद पास होने और दूसरे को फेल कराने में, सत्ता पक्ष और विपक्ष पूरी ताकत से जुटा है। जो हालात हैं, उसमें ‘खेला तय’ है। कार्यवाही हंगामेदार के आसार हैं, क्योंकि ‘खेला’ के मसले पर नेताओं की जुबानें खूब टकराईं हैं। दोनों ओर से एक-दूसरे के विधायकों के संपर्क में होने का ‘माइंड गेम’ बखूबी खेला गया। दिन भर दावा-प्रतिदावा हुआ। संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों तक का हवाला दिया गया।
स्पीकर के मसले पर ही थम जाएगी उठा-पटक
स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास का नोटिस संविधान के अनुच्छेद 179 के तहत आया है। 243 सदस्यों की विधानसभा में 122 या इससे अधिक विधायक अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट देंगे तभी प्रस्ताव पारित होगा। स्पीकर हटेंगे।
क्या है अनुच्छेद 179
संविधान के अनुच्छेद 179 में विधानसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष के पद रिक्त होने, पद त्याग देने या पद से हटाए जाने से संबंधित प्रावधान किए गए हैं।
कब खाली होगा पद
अनुच्छेद 179 (ए व बी) जब विस अध्यक्ष सदन का सदस्य नहीं रह जाएगा या फिर वह इस्तीफा दे देगा। स्पीकर अपना इस्तीफा डिप्टी स्पीकर को देंगे।
अविश्वास प्रस्ताव हो तो
अनुच्छेद 179 (सी) कहता है कि अविश्वास प्रस्ताव आने पर स्पीकर को सदन के तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से हटाया जा सकता है।
कौन सदन चलाएगा
अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान स्पीकर के स्थान पर डिप्टी स्पीकर कार्यवाही संचालित करेंगे। उन्हीं की देखरेख में वोटिंग होगी।
स्पीकर बैठेंगे ही नहीं
ज्यादा से ज्यादा यही होगी कि स्पीकर अपने आसन पर बैठेंगे। अपनी बात कहेंगे और चले जाएंगे। विजय कुमार सिन्हा के मामले में ऐसा हो चुका है।
इस्तीफा दे दिया तो
अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के पूर्व स्पीकर ने इस्तीफा दे दिया तो खेल खत्म हो जाएगा। कार्यसूची से कार्यवाही चलेगी।
प्रस्ताव पेश हुआ तो
प्रस्ताव पेश हुआ तो वोटिंग होगी। फैसला बहुमत से होगा। परिणाम सरकार का भविष्य तय कर देगा।
सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की साख दांव पर
सरकार बचाने-गिराने के चल रहे खेल में सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों की साख दांव पर है। साख की बात इसलिए कि दोनों ओर दावेदारियां ही ऐसी की गई हैं। बहुमत का आंकड़ा भी बड़ा पतला है। और यही जोड़-तोड़ का अवसर भी बनाए हुए है। 243 विधायकों के सदन में एनडीए 128 के समर्थन के बूते सरकार बना चुका है।
जरूरत 122 की ही है। यानी जरूरी संख्या से महज 6 विधायक ही एनडीए के पास अधिक है। महागठबंधन के पास 114 विधायक हैं। सरकार गिराने की उसकी उम्मीदें अपनों को बांधे रखने और दूसरों के पाला-बदल की संभावना पर टिकी हैं। कामयाबी मिलेगी या नहीं, आज इसका भी पर्दाफाश हो जाएगा।
विधानमंडल में पहले दिन 4 बड़े काम होंगे
विधानमंडल में पहले दिन 4 बड़े काम होंगे। शुरू में राज्यपाल, विधानसभा व विधान परिषद की संयुक्त बैठक को सेंट्रल हॉल में संबोधित करेंगे। इसके बाद विधानसभा में स्पीकर का मसला तय होगा। पता चलेगा अवध बिहारी चौधरी स्पीकर रहेंगे या नहीं? सत्ता पक्ष ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया हुआ है। इसके बाद सरकार के विश्वास मत के लिए अलग से समय तय है। इकोनॉमिक सर्वे भी पेश होगा।