Thursday, January 9, 2025
Patna

बिहार का एक अधिकारी के जुनून ने बदली दर्जनभर स्कूलों की सूरत,हजारों गरीब बच्चे की जिंदगी बदली ।

पटना शुभ नारायण पाठक, बक्सर। Buxar News: ऐसे कम ही सरकारी अधिकारी हैं, जो अपनी तय जिम्मेदारियों से अलग समाज के लिए कुछ कर पाते हैं। केंद्रीय राजस्व सेवा के यशोवर्धन पाठक ऐसे ही हैं। फिलहाल वह बिहार में कस्टम आयुक्त के पद पर हैं। उनकी कोशिशों से बक्सर के करीब दर्जन भर स्कूलों की तस्वीर बदली है। इन स्कूलों में शौचालय, पेयजल, रंग-रोगन की स्थिति बेहतर हुई है।

 

 

स्कूलों को बेंच-डेस्क, शिक्षकों को बैठने के लिए बढ़िया कुर्सी, शानदार स्टाफ रूम, बैडमिंटन कोर्ट जैसी सुविधाएं मिलने लगी हैं। आज इन स्कूलों के बच्चों से लेकर शिक्षक तक खुश दिखते हैं। पाठक कहते हैं कि स्कूल या किसी भी कार्यस्थल का माहौल ऐसा होना चाहिए कि वहां कोई दूसरा भी आए, तो उसे लौटने की इच्छा न करे। स्कूलों का ढांचा तो और भी खूबसूरत होना चाहिए। शिक्षक और छात्र को ऐसा लगा कि वह सबसे बेहतर स्कूल में है। वह कारपोरेट कंपनियों को भी प्रेरित कर रहे हैं। उनका फोकस सरकारी कन्या विद्यालयों की सूरत बदलने पर अधिक है।

 

 

 

 

 

 

केंद्रीय राजस्व सेवा के अधिकारी यशोवर्धन पाठक का पदस्थापन सितंबर 2022 में बतौर केंद्रीय कर आयुक्त (अंकेक्षण) बिहार-झारखंड जोन के मुख्यालय पटना में हुआ। इसी क्रम में काफी अरसे के बाद उनका अपने पैतृक गांव बक्सर जिले के सिमरी प्रखंड अंतर्गत नियाजीपुर आना हुआ।गांव में भ्रमण के दौरान उन्होंने कन्या मध्य विद्यालय की हालत देखी, तो उनका मन खिन्न हो गया। यहां बच्चों के लिए पेयजल और शौचालय जैसी सुविधाएं भी दुरुस्त नहीं थीं। उन्होंने बच्चों और शिक्षकों से बातचीत की तो पाया कि कोई भी हालात से खुश नहीं है। पटना लौटते हुए वे पूरे रास्ते यही सोचते रहे कि हालात को कैसे बदला जाए। उनके विभाग में स्वच्छता मद में कुछ राशि हर साल आती है।

 

उन्होंने तय किया कि इस राशि को शहर की बजाय गांव में खर्च किया जाए। सरकारी विद्यालयों को बेहतर बनाने में खासकर कन्या विद्यालयों को। इसकी शुरुआत नियाजीपुर के कन्या मध्य विद्यालय से हुई। वहां बोरिंग लगाया। पानी की टंकी लगी। नल लगे। शौचालय की हालत बदल गई।दीवारों का रंग-रोगन हुआ। दो-तीन महीने लगे। करीब डेढ़ लाख रुपए खर्च हुए। इससे करीब 100-150 बच्चियों का जीवन बदला। बच्चियां शौचालय और पानी की कमी से स्कूल नहीं आती थीं। स्कूल साफ-सुथरा हो गया, तो वे प्रेरित हुईं। आज उनकी इस मुहिम से जुड़कर सिमरी प्रखंड के अंतर्गत दुल्लहपुर, बलिहार, डुमरी, नगपुरा, उमरपुर और ढकाइच के कन्या विद्यालय, नावानगर प्रखंड के चकौरा का मध्य विद्यालय, बक्सर, अर्जुनपुर और नियाजीपुर के उच्च विद्यालयों में स्वच्छता संबंधी कार्य कराया गया है।

 

निजी कंपनियों को भी किया प्रेरित

पाठक बताते हैं कि विभागीय स्वच्छता मद से खर्च करने के लिए कुछ बाध्यताएं हैं। इससे हर काम नहीं हो सकता है। दूसरी तरफ, बिहार के सरकारी स्कूलों की दशा बदलने के लिए काफी कुछ करने की जरूरत है।उन्होंने अपने संपर्क में आने वाले बड़ी निजी कंपनियों के अधिकारियों को इसके लिए प्रेरित किया। इस पर एलएंडटी के अधिकारी आगे आए। बक्सर में इस कंपनी की दो बड़ी योजनाएं चल रही हैं। इस कंपनी ने नियाजीपुर उच्च विद्यालय में बेंच-टेबल उपलब्ध कराए। पंखे लगाए। फर्श को ठीक कराया। शिक्षकों के लिए अच्छी कुर्सियां दीं। स्टाफ रूम बनाया। बैडमिंटन कोर्ट बनवाया। खेल का सामान उपलब्ध कराया। अब इस स्कूल के शिक्षक और बच्चे खुश हैं।

 

एमबीबीएस, आइआरएस और आइपीएस भी

पाठक मुंबई से एमबीबीएस की डिग्री हासिल किए हैं। बिहार में वह जीएसटी आयुक्त बनकर आए थे। बीते चार महीने से वह कस्टम आयुक्त के पद पर पर हैं। उन्होंने 2002 में आइआरएस और 2004 में आइपीएस का कैडर हासिल किया था। हालांकि आइपीएस में उनका मन नहीं लगा और एक साल बाद अपने पुराने कैडर में लौट आए। वह आर्थिक मामलों के जानकार हैंं। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनके लेख नियमित प्रकाशित होते हैं।”

Kunal Gupta
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