Friday, October 25, 2024
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Maharishi Valmiki Jayanti:महर्षि वाल्मीकि जीवन और उनका योगदान,जानें उनसे जुड़ी रोचक बातें

Maharishi Valmiki Jayanti 2023 :महर्षि वाल्मीकि नाम से मुझे गर्व है! क्योंकि यह वो नाम है जिसने अपने जीवन और काम से हिंदू संस्कृति को आकाश पर ऊंचा उठाया। आइये इनके बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करें।

कौन थे महर्षि वाल्मीकि (Maharishi Valmiki Jayanti)

दोस्तों, हम सभी ने महर्षि वाल्मीकि का नाम सुना होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि वे कौन थे और क्या उनके बारे में जितना हम सोचते हैं, उतना ही सच है?

महर्षि वाल्मीकि का जन्म वाल्मीकी नामक गाँव में हुआ था, जो अब पश्चिमी बंगाल के एक हिस्से में स्थित है। उनका जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था, और हालांकि उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी नहीं की थी, देखो भाई – उन्होंने कभी भी ‘मुश्किलाएं’ को अपने मार्ग का हिस्सा नामन्तरण करने का साहस नहीं खोया।

वाल्मीकि का बचपन

महर्षि वाल्मीकि का बचपन अपार्ष्व के नाम से जाना जाता है। देखो भगवान कि लीलाओं की रहस्यमयी बात, जब महर्षि वाल्मीकि का माता-पिता उन्हें जंगल में छोड़कर चले गए थे, तभी वाल्मीकी नामक एक आदिवासी द्वारा उन्हें गोद ले लिया था। वाल्मीकी ने उन्हें “रत्नाकर” नाम दिया था।

“रत्नाकर” लोगों को लूटने का काम करते थे, लेकिन एक ऐसी घटना हुई जिसने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी, और वह घटना थी महर्षि नारद के साथ मुलाकात। उन्होंने रत्नाकर को बताया कि वह गलती कर रहे हैं, उन्होंने उन्हें धर्म का सही पथ दिखाया। हां दोस्तों, धर्म होना चाहिए!

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धर्म के प्रति जागरूकता(Maharishi Valmiki Jayanti)

महर्षि वाल्मीकि ने ध्यान और तपस्या के मार्ग पर चल कर अपने जीवन को बदल दिया। उनके जीवन में यह एक अहम मोड़ था, जिसने उन्हें भगवान राम के प्रति एक अनोखी भक्ति और समर्पण की ओर ले गया। मैं सोचता हूँ, यह सही मायने में एक चमत्कार था!

महर्षि वाल्मीकि: जीवन और उनका योगदान

अगर हम महर्षि वाल्मीकि के योगदान की चर्चा करे तो, सबसे बड़ा उल्लेख तो उनकी अद्वितीय रचना – रामायण का होता है। यह संस्कृत काव्य की उन्नति में अपना विशेष स्थान रखता है। मैं यहां तक कहूंगा कि, रामायण के बिना, हमारी संस्कृति अधूरी लगती है।

Maharishi Valmiki Jayanti

 

रामायण: संस्कृत काव्य की उत्कृष्टता(Maharishi Valmiki Jayanti)

रामायण के पाठ करते हुए हमें भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान और रावण जैसे पात्रों के प्रति सम्मान और प्यार की भावना होती है। सुनो तो सही, रामायण महर्षि वाल्मीकि की एक ऐसी चरित्राढ्य कृति है जिसमें वे भगवान राम की कथा को आदर्श पुरुष मानकर प्रस्तुत करते हैं। कितना अद्भुत!

महर्षि वाल्मीकि जी की धर्म और समाज के प्रति सेवा(Maharishi Valmiki Jayanti)

महर्षि वाल्मीकि ने अपने जीवन का अधिकांश भाग धर्म को मजबूत बनाने और समाज में नैतिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार करने में बिताया। उनका मानना था कि एक अच्छे और समाज मे सद्गुणीय व्यक्ति ही उसे समृद्ध और खुशहाल बना सकता है। वक़ाई, गूँगां हो जाऊंगा अगर मैं अपना आदर महर्षि वाल्मीकि जी के प्रति शब्दों में व्यक्त करने की कोशिश करूं।

अंत में, मैं कहूंगा कि महर्षि वाल्मीकि का जीवन हमें यह सिखाता है कि अगर हम अच्छी नीयत और सच्ची प्रेम रखते हैं तो हम अपने कर्मों द्वारा समाज में बड़ी परिवर्तन ला सकते हैं। जी हां दोस्तों, हम सब में है, बस थोड़ी सी मर्जी और साहस की जरूरत है। जैसे ‘महर्षि वाल्मीकि’ ने अपने जीवन में हर कठिनाई को पार किया।(Maharishi Valmiki Jayanti)

चित्रकूट जिले के लालापुर में बने रामायण के रचयिता आदिगुरु महर्षि वाल्मीकि आश्रम में  परंपरागत तरीके से वाल्मीकि जयंती मनाई जायेगी.मान्यता के अनुसार महर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा इसी आश्रम की गुफा में बैठकर कठोर तप किया गया था और रामायण की रचना की गई थी. यह आश्रम प्रयागराज, कर्वी के मुख्य रोड के लाला पुर गांव में घने जंगल के ऊपर पहाड़ में स्थित है. आज भी त्रेता युग के तमाम चिह्न आश्रम में मौजूद है. इसी स्थान में ही जंगल मे छोड़ देने पर माता सीता ने महर्षि बाल्मीक आश्रम में अपना समय ब्यतीत किया था.

Maharishi Valmiki Jayanti 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार वाल्मीकि जयंती अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनया जाता है. इस साल 28 अक्टूबर को वाल्मीकि जयंती मनाई जाएगी. महर्षि वाल्मीकि को सनातन धर्म के सबसे श्रेष्ठ गुरुओं में से जाना जाता है. वह सनातन धर्म के पहले कवि भी थे. महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण की रचना की थी. प्राचीन वैदिक काल के महान ऋषियों में एक नाम वाल्मीकि जी का भी आता हैं, वाल्मीकि जी एक मात्र ऐसे महान ऋषि थे जिन्होंने देव वाणी संस्कृत में महान ग्रंथ रामायण महाकाव्य की रचना कर लोगों के भगवान श्रीराम के अद्वतीय चरित्र से परिचय कराया था. इनके द्वारा रचित रामायण वाल्मीकि रामायण कहलाती है. हिंदु धर्म की महान कृति रामायण महाकाव्य श्रीराम के जीवन और उनसे संबंधित घटनाओं पर आधारित है, जो जीवन के विभिन्न कर्तव्यों से परिचित करवाता है. वाल्मीकि रामायण की रचना के कारण ही वाल्मीकि जी को समाज में इतनी अधिक प्रसिद्धि मिली. शास्त्रों में इनके पिता महर्षि कश्यप के पुत्र वरुण या आदित्य माने गए हैं, एक समय गहरे ध्यान में ऐसे बैठ गये की इनके शरीर को दीमकों ने अपना घर बनाकर ढक लिया था, तभी से वाल्मीकि कहलाए.

महर्षि वाल्मीकि(Valmiki Jayanti )

 

महर्षि बनने से पूर्व वाल्मीकि रत्नाकर नाम के खुंखार डाकू के नाम से जाने जाते थे, जो परिवार के पालन के लिए लोगों को लूटने करते थे. एक बार निर्जन वन में देवर्षि नारद मुनि रत्नाकर डाकू को मिले तो रत्नाकर ने नारद जी को लूटने का प्रयास किया, तब नारद जी ने रत्नाकर से पूछा कि तुम ऐसे घिनौना कर्म किस लिए करते हो. इस पर रत्नाकर ने कहा मुझे अपने परिवार को पालने के लिये ऐसा कर्म करना पड़ता हैं. इस पर नारद ने प्रश्न किया कि तुम जो भी अपराध करते हो और जिस परिवार के पालन के लिए तुम इतने अपराध करते हो, क्या वह तुम्हारे पापों का भागीदार बनने को तैयार होगें यह जानकर वह स्तब्ध रह जाता है.

Maharishi Valmiki Jayanti

नारद जी ने कहा कि यदि तुम्हारे परिवार वाले इस कार्य में तुम्हारे भागीदार नहीं बनना चाहते तो फिर क्यों उनके लिये यह पाप करते हो इस बात को सुनकर रत्नाकर डाकू ने नारद जी के चरण पकड़ लिए और डाकू का जीवन छोड़कर नारद जी द्वारा दिए गये राम-नाम के जप की घोर तपस्या करने लगे. लेकिन अनेक पाप कर्म होने के कारण उसकी जिव्ह्या से राम-नाम का उच्चारण नहीं हो पा रहा था उन्होंने राम की जगह मरा-मरा जपने लगे, राम जी की कृपा से मरा रटते-रटते यही ‘राम’ हो गया और निरन्तर जप करते-करते हुए रत्नाकर से ऋषि वाल्मीकि बन गए, जिनके संरक्षण में माता सीता और उनके तेजस्वी दो पुत्र लव एवं कुश सर्व समर्थ बने थे.

वाल्मीकि रामायण(Valmiki Jayanti )
एक बार महर्षि वाल्मीकि नदी के किनारे क्रौंच पक्षी के जोड़े को निहार रहे थे, वह जोड़ा प्रेमालाप में लीन था, तभी एक व्याध ने क्रौंच पक्षी के जोड़े में से एक को मार दिया, नर पक्षी की मौत से व्यथित मादा पक्षी विलाप करने लगती है, उसके इस विलाप को सुन कर वालमीकि के मुख से स्वत: ही मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः. यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम्. नामक श्लोक फूट पड़ा और जो महाकाव्य रामायण ग्रंथ का आधार बना.

महर्षि वाल्मीकि जयंती(Valmiki Jayanti )
देश भर में महर्षि बाल्मीकि की जयंती को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस अवसर पर शोभा यात्राओं का आयोजन भी होता है. महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित पावन पवित्र ग्रंथ रामायण जिसमें प्रेम, त्याग, तप व यश की भावनाओं को महत्व दिया गया है. वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना करके हर किसी को सदमार्ग पर चलने की राह दिखाई.

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