Washington:- G7 और NATO की बैठकों में तय होगी विश्व राजनीति की दिशा, रूस और चीन को दिया जाएगा स्पष्ट संदेश ।
The direction of world politics will be decided in the G7 and NATO meetings, a clear message will be given to Russia and China.
.वाशिंगटन। यूरोप में चंद रोज में होने वाली विश्व स्तरीय दो महत्वपूर्ण बैठकों में यूक्रेन युद्ध के भविष्य, रूसी गैस कटौती से पैदा हुई स्थिति और विश्व राजनीति पर विचार किया जाएगा। इन बैठकों में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन सहयोगी देशों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श करेंगे। दुनिया के सात संपन्न देशों के समूह जी 7 की बैठक जर्मनी के बावेरियन एल्प्स में रविवार को शुरू होकर मंगलवार तक चलेगी। इस बैठक में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान के नेता भाग लेंगे।
आज से शुरू होगा बैठकों का सिलसिला
चालू वर्ष में जी 7 की अध्यक्षता की जिम्मेदारी जर्मनी के पास है। जी 7 की बैठक के बाद इसके सभी नेता 30 देशों की सदस्यता वाले सैन्य गठबंधन नाटो के सम्मेलन में भाग लेने के लिए स्पेन की राजधानी मैड्रिड जाएंगे। नाटो का सदस्य न होने के बावजूद जापान, दक्षिण कोरिया और आस्ट्रेलिया इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यूक्रेन युद्ध के चलते इस सम्मेलन का खास महत्व है। सम्मेलन में दिखाने की कोशिश होगी कि नाटो केवल अमेरिका और यूरोप का ही सैन्य संगठन नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व में दखल रखता है। यह सम्मेलन रूस ही नहीं चीन को भी संदेश देगा।
गैस की कटौती के चलते यूरोप के देश मुश्किल में
नाटो सम्मेलन में मुख्य चर्चा यूक्रेन मुद्दे पर नाटो की एकजुटता प्रदर्शित करने की होगी। रूसी गैस की कटौती के चलते यूरोप के देश मुश्किल में हैं। इस दौर में यूक्रेन के प्रति समर्थन बनाए रखने की चुनौती होगी। विदित हो कि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने यूक्रेन पर रूसी हमले के विरोध में रूस पर बड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। प्रतिबंधों के चलते रूस को अपनी अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। नाटो की बैठक में फिनलैंड और स्वीडन की सदस्यता पर भी चर्चा होगी। तुर्किये की आपत्ति के चलते दोनों देशों को नाटो की सदस्यता नहीं मिल पा रही है। दोनों देश अपनी तटस्थता की नीति त्यागकर पहली बार अमेरिकी खेमे में शामिल होने के लिए तैयार हुए हैं।