चैती छठ के दूसरे दिन खरना की पूजा:खीर रोटी का मिलेगा महाप्रसाद, आज से 36 घंटे का निर्जला उपवास
पटना.चैती छठ के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। आज छठ व्रती खरना में खीर, रोटी, मौसमी फल का प्रसाद बनाकर इसे पूजा के बाद ग्रहण करेंगी। आचार्य राकेश झा ने बताया कि मृगशिरा नक्षत्र व शोभन योग में व्रती पूरे दिन निराहार रहकर संध्या में खरना का पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगी।
खरना के पूजा के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा। खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आँख की पीड़ा, शरीर के दाग-धब्बे समाप्त हो जाते है। वहीं, इसके प्रसाद से तेजस्विता, निरोगिता व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।
महापर्व में बरसती है षष्ठी मैया की कृपा
छठ महापर्व शरीर, मन तथा आत्मा की शुद्धि का पर्व है। वैदिक मान्यताओं के अनुसार नहाय-खाय से छठ के पारण सप्तमी तिथि तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है जो श्रद्धापूर्वक व्रत-उपासना करते है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता है। सूर्य को आरोग्य का देवता माना गया है। सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता है।
संतान के लिए उत्तम है छठ व्रत
ज्योतिषी राकेश झा के मुताबिक सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है। स्कंद पुराण के मुताबिक राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था। स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है।
पारंपरिक लोकगीत के बीच तैयार होगा प्रसाद
छठ महापर्व के पूजन व प्रसाद सामग्री के रूप में व्रती सिंदूर, चावल, बांस की टोकरी, धूप, शकरकंद, पत्ता लगा हुआ गन्ना, नारियल, कुमकुम, कपूर, सुपारी, हल्दी, अदरक, पान, दीपक, घी, गेहूं, गंगाजल आदि का उपयोग करती है। इस महापर्व में प्रसाद के लिए ठेकुआ व अन्य पकवान को घरों में पूरी शुद्धता व पवित्रता के साथ लोकगीत गाते हुए तैयार किया जाएगा।
खरना पूजा और अर्घ्य मुहूर्त
खरना का पूजा- संध्या 06:18 बजे 07:00 बजे तक
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय- शाम 06:19 बजे तक
प्रातः कालीन सूर्य को अर्घ्य- सुबह 05:40 बजे के बाद दिया जाएगा