Makar Sankranti 2024:15 जनवरी को मनेगा मकर संक्रांति,16 से बजने लगेंगे शादी के बैंड-बाजे,शुभ कार्य होगा शुरु
Makar Sankranti 2024:पटना।कंपकंपाती ठंड के बीच मकर संक्रांति पर्व दस्तक देने वाला है। इस साल 15 जनवरी को सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण में करवट लेंगे और उसी दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
पंडित विवेकानंद पांडेय ने बताया कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार 15 जनवरी, सोमवार को दिन में 8:42 बजे सूर्य धनु राशि से मकर राशि में गोचर होंगे। वैसे में 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाने को लेकर स्थिति स्पष्ट है।मकर संक्रांति का महा पुण्य काल दिन में 11: 02 बजे तक है। इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग रहेगा।मकर संक्रांति का स्नान और दान पूरे दिन चलता रहेगा। दोपहर तक तिल दान व सेवन तथा रात में खिचड़ी ग्रहण किया जाएगा।
मकर संक्रांति को दही चूड़ा पर्व भी कहा जाता है। भारतीय खगोल गणना के अनुसार, सूर्य जब एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं तब संक्रांति मनाई जाती है। वर्ष में कुल 12 संक्रांति होते हैं, लेकिन मकर संक्रांति और मेष संक्रांति का विशेष महत्व होता है।इस दिन ग्रहों के राजा सूर्य देवगुरु बृहस्पति की राशि से निकलकर अगली राशि में प्रवेश करते हैं। नई फसलों के स्वागत के रूप में देश के विभिन्न भागों के किसान इस त्यौहार को कई नामों से मनाते हैं।सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास समाप्त हो जाएगा व शादी विवाह, गृह प्रवेश,मुंडन, गृह निर्माण आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।
मकर संक्रांति पर बन रहा है खास योग
इस वर्ष रवि योग में मकर संक्रान्ति का त्योहार मनाया जाएगा। पंडित विवेकानंद पांडेय ने बताया कि 15 जनवरी, सोमवार को दिन में 8.42 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। दिन में 11.02 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग व रवि योग का संयोग बन रहा है जो उत्तम प्रभाव देने वाला माना गया है।सनातन मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन से ही स्वर्ग के दरवाजे खुल जाते हैं। दक्षिणायन को नकरात्मकता व उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। पितामह भीष्म ने बाण शैया पर छह माह तक सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था।
मकर संक्रांति मनाने के वैज्ञानिक कारण
मकर संक्रांति मनाने का धार्मिक के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी है। इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होने लगते हैं, जिससे ऋतु परिवर्तन शुरू हो जाता है।शरद ऋतु धीरे-धीरे समाप्त होती है तथा बसंत का आगमन होता है। धीरे-धीरे सूरज की किरणें सीधी पढ़ने से मौसम में गर्माहट आती है, जिससे ठंड की ठिठुरन समाप्त हो जाती है। फसलों में विकास तेज होने लगता है।”