बिहार के लिए मांगा विशेष राज्य का दर्जा,नीतीश कुमार ने अमित शाह से 75% आरक्षण पर रखी ये
पटना में पूर्वी क्षेत्री परिषद की 26वीं बैठक आज 10 दिसंबर रविवार को संपन्न हो गई। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की। बैठक में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने शॉल भेंटकर केंद्रीय गृहमंत्री का सम्मान किया। बैठक में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, कैबिनेट मंत्री विजय चौधरी समेत राज्य के आला-अधिकारी शामिल थे। बैठक में झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की ओर से भी कई मंत्री व प्रतिनिधि शामिल हुए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में रविवार को मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में 26 वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगा।उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 से ही वह बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा की मांग कर रहे हैं। लगातार विकास के बाद भी बिहार विकास के मापदंडों में राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है।बिहार विशेष राज्य के दर्जे की सभी शर्तों को पूरा करता है। अब तो जाति आधारित गणना में आए गरीबी और पिछड़ेपन के आंकड़े भी इसका समर्थन करते हैं।मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन के आखिर में गृह मंत्री से आग्रह किया कि उन्हें यह उम्मीद है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के बारे में वह जरूर सोचेंगे।
विकास से जुड़े नए तर्कों के साथ रखी अपनी मांग
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष जब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग रखी तो उन्होंने नए तर्क भी दिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 से सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत अत्यंत निर्धन परिवार को एक लाख रुपए की जो सहायता दी जा रही थी, उसे बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया है।जिन परिवारों के पास आवास नहीं है उन्हें जमीन खरीदने के लिए एक लाख तथा मकान बनाने के लिए 1.20 लाख रुपए दिए जाएंगे। इस कार्य में 2.50 करोड़ रुपए लगेंगे। इस अगले पांच वर्षों में पूरा किया जाएगा। अगर केंद्र सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे देती है तो बहुत ही कम समय में इस काम को पूरा कर लिया जाएगा।
‘बढ़ाए गए आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करें’
मुख्यमंत्री ने जाति आधारित गणना के बाद बिहार में आरक्षण के बढ़ाए गए दायरे की चर्चा के क्रम में गृह मंत्री से यह अनुरोध किया कि इसे शीघ्र ही संविधान की नौंवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।उन्होंने कहा कि बिहार में आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके लिए कानून पारित हो गया है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए पूर्व से ही 10 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध है।सभी को मिलाकर आरक्षण 75 प्रतिशत हो गया है। बिहार ने केंद्र सरकार से आरक्षण के नए कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने के लिए अनुरोध किया है। आशा है केंद्र सरकार शीघ्र इस पर निर्णय लेगी।