मंजू रानी ने रचा इतिहास, पिता ने बढ़ाया हौसला तो पाई सफलता की मंजिल
रांची : हाल ही में झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित 10वीं नेशनल रेस वॉकिंग चैंपियनशिप आयोजित की गई थी. इस प्रतियोगिता में 35 किलोमीटर रेस वॉकिग प्रतियोगिता में पंजाब की रहनेवाली मंजू रानी ने इतिहास रच दिया. 23 साल की इस एथलिट ने 35 किलोमीटर का सफर तीन घंटे से भी कम समय में पूरा कर यह इतिहास रचा है.
आपको बता दें कि मंजू रानी ने यह 35 किलोमीटर की दूरी महज 2 घंटे 57 मिनट और 54 सेकंड में तय कर इतिहास तो रचा ही ऐसा करने वाली वह भारत की पहली महिला बन गयी है. मंजू रानी ने 2021 में स्थापित किए गए नेशनल रिकॉर्ड होल्डर रमनदीप कौर का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इसके लिए मंजू ने काफी मेहनत की और इसके बाद ही उसे यह कामयाबी हासिल हुई है.
मंजू रानी की यह कामयाबी लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गई हैं. मंजू रानी का बचपन से ही परेशानियों से सामना होता रहा. दो साल की उम्र में ही उनके सिर से मां का साया उठ गया. वह पंजाब एक गांव में पैदा हुई हैं. सामान्य परिवार में पैदा हुई मंजू रानी को बचपन से ही खेलकूद में गहरी रूची थी. पिता खेती-किसानी करते थे इसलिए मंजू रानी के लिए खेलकूद में अपने आपको आगे बढ़ाना मुश्किल था.
मां की मौत के बाद मंजू के पिता पर लोगों ने दबाब बनाया कि वह शादी कर लें लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया. मां के जाने के बाद पिता ने दोनों बच्चों की परवरिश की, दोनों भाई बहनों को पढ़ाया लिखा और उनके सपने को साकार करने में हरसंभव मदद की. मंजू ने अपने सपने को जीने के लिए खूब काम किया और वह अपनी मंजिल की ओर बढ़ निकली. रेस वॉकिग को उसने अपनाया और 15 साल की उम्र में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व किया. इसमें उन्होंने पदक भी जीता. लगातार मंजी पदक जीत रही थीं और उनके परिवार वाले और रिश्तेदार उनके समर्थन में आ गए थे. साल 2016 में नेशनल गेम्स में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता. फिर तो यह सिलसिला चल निकला और वह कई प्रतियोगिताओं में मेडल जीतक इतिहास रचती गईं. उन्हें स्पोर्ट्स कोटे से एसएसबी में नौकरी मिली. मंजू रानी ने बताया कि वह लगातार अपने पिता के सपोर्ट की बदौलत यहां तक पहुंच पाईं.