Wednesday, June 4, 2025
Samastipur

“समस्तीपुर में क्राइम मीटिंग:कई थानों का प्रदर्शन शराब बरामदगी,गिरफ्तारी,कुर्की निष्पादन में काफी खराब

समस्तीपुर।समाहरणालय के सभाकक्ष में 11 अप्रैल को एसपी अशोक मिश्रा की अध्यक्षता में जिले के सभी डीएसपी स्तरीय पदाधिकारियों और थानाध्यक्षों के साथ मंथली क्राइम मीटिंग का आयोजन किया गया। बैठक में मार्च माह की अपराध रिपोर्ट की समीक्षा करते हुए एसपी ने गंभीर आपराधिक मामलों जैसे हत्या, लूट, गृहभेदन, नारकोटिक्स, एनडीपीएस, आर्म्स एक्ट और वाहन चोरी के मामलों पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया। समीक्षा के क्रम में एसपी अशोक मिश्रा ने पाया कि कई थानों का प्रदर्शन शराब बरामदगी, वाहन जांच, प्रतिदिन गिरफ्तारी, कुर्की मामलों के निष्पादन आदि में काफी खराब रहा है।

उन्होंने सभी थानाध्यक्षों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि अगले क्राइम मीटिंग में इसकी दोबारा समीक्षा की जाएगी और जिनके प्रदर्शन में सुधार नहीं होगा, उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। वहीं, मिली जानकारी के अनुसार, अब एसपी स्वयं विभिन्न थानों में जाकर जनता दरबार आयोजित करेंगे और आम लोगों की शिकायतों को सुनकर उनका मौके पर ही समाधान करेंगे। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पहले चरण में यह पहल जिला मुख्यालय से दूरवर्ती थानों से शुरू की जा सकती है। यह पहल खासकर भूमि विवाद से जुड़े मामलों के जल्द निपटारे को लेकर शुरू की जा रही है। इसमें अन्य आपराधिक मामलों से जुड़े शिकायतों को भी सुना जाएगा।

जिले में अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए पुलिस लगातार सख्ती बरत रही है। इसी का नतीजा है कि पिछले चार महीनों में पुलिस ने विभिन्न मामलों में 2939 गिरफ्तारियां की हैं। पुलिस आंकड़ों के अनुसार, अपहरण, बलात्कार, एससी-एसटी एक्ट, आर्म्स एक्ट, हत्या, शराब तस्करी, हत्या के प्रयास, लूट, डकैती, पॉक्सो, दहेज हत्या, पुलिस टीम पर हमला, वारंट व साइबर अपराध के मामलों में दिसंबर में 868, जनवरी में 636, फरवरी में 575, मार्च में 736 और अप्रैल में अब तक 124 गिरफ्तारियां की गई हैं।

बैठक में यह भी सामने आया कि कई थानों में मालखाना का प्रभार उन अधिकारियों के पास है जिनका तबादला हो चुका है, लेकिन नया अधिकारी चार्ज लेने को तैयार नहीं है। इससे जब्ती या निकासी से संबंधित कार्य प्रभावित हो रहे हैं। एसपी ने निर्देश दिया कि थानेदार स्वयं या किसी सक्षम पदाधिकारी को मालखाना का प्रभार सौंपें। इसी कड़ी में, यह भी पाया गया कि कई गंभीर मामले ऐसे हैं जिनके अनुसंधानकर्ता (आईओ) का ट्रांसफर हो चुका है लेकिन केस का किसी अन्य पदाधिकारी को हैंडओवर नहीं किया गया है।

Kunal Gupta
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