“डॉक्टर बनने के बाद गांव में अस्पताल खोल इलाज करूंगी’:खुशबू का साइंस में हुआ एडमिशन
पटना।हमारे दियारा क्षेत्र में एक भी सही अस्पताल नहीं है। यहां डॉक्टर भी नहीं आते है। बाढ़ के समय बीमार पड़ने पर शहर जाने के दौरान कई लोगों का रास्ते में ही मौत हो जाती है। डॉक्टर बनने के बाद मैं अपने गांव में अस्पताल खोल कर लोगों का इलाज करना चाहती हूं।
पटना के दानापुर दियारा क्षेत्र के हेतनपुर गांव की खुशबू ने बातचीत के दौरान ये बातें कही। छात्रा ने कहा कि घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं रहने के कारण मुझे 11वी में आर्ट्स की पढ़ाई करनी पर रही है। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आश्वासन से आश जगी है। पूरी मेहनत से उस सपने को पूरा करूंगी।
गांव में परिवार के साथ खुशबू।
दरअसल, एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान खुशबू ने बताया था कि ‘मां ने कहा था दसवीं में 400 प्लस नंबर आएगा तब साइंस ले सकती हो। लेकिन मुझे 399 मार्क्स ही आए थे, जिस कारण मैं साइंस नहीं ले पाई। खुशबू ये कहकर रोने लगी कि मैं साइंस पढ़ना चाहती थी, लेकिन एक नंबर कम होने के कारण मुझे आर्ट्स लेना पड़ा।’
गांव में लड़का-लड़की में भेदभाव होता है। मैं पैसे के अभाव और भेदभाव के कारण साइंस नहीं पढ़ पाई। मैं अपने पापा का सपना पूरा करना चाहती हूं। पापा चाहते हैं कि मैं डॉक्टर बन जाऊं। मैं बचपन से ही मेथ्स और साइंस के पीछे भागी हूं। आर्ट्स पढ़ने में इंटरेस्ट नहीं है।
इस मामले में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मोबाइल पर खुशूब से बातचीत की थी। इसके बाद पटना डीएम डॉ. चंद्रशेखर के निर्देश पर एसडीओ दिव्या शक्ति ने खुशबू को कार्यालय बुलाया। उन्होंने खुशबू को पुस्तक, डायरी और कलम दी है। खुशबू की शिक्षा, हॉस्टल और रहने की व्यवस्था का आश्वासन दिया गया है।
छात्रा के पिता उपेन्द्र राय ने बताया कि ‘खुशबू को जब आईए में नामांकन कराया गया तो वो नहीं जाना चाहती थी, बहुत रोती थी। केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के आश्वासन से आश जगी है। उसका सपना पूरा होगा। गांव, प्रखंड, अनुमंडल का नाम रोशन होगा। इससे दूसरी बच्ची भी प्रेरित होकर आगे बढे़गी। बात और भरोसा दिलाने के लिए धर्मेन्द्र प्रधान को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।’
माता-पिता ने बताया था पैसे का अभाव
इससे पहले उसके माता-पिता ने बताया था कि बेटी को साइंस पढ़ाना चाहते थे, लेकिन उसे पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे। पिता ने बताया कि मैंने बेटी को कहा था कि भाई लोग कमाएंगे तो मैं उसे डॉक्टर बनाऊंगा। लेकिन घर में पैसे का अभाव है। इस कारण सक्षम नहीं हो पाया।
5 भाई बहनों में सबसे छोटी है खुशबू
खुशबू ने वर्ष 2024 में दियारा के हेतनपुर उच्च माध्यमिक विद्यालय से दसवीं की परीक्षा में 79.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। वह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी है। मैट्रिक पास करने के बाद वह मेडिकल की पढ़ाई के लिए साइंस पढ़ना चाहती थी। लेकिन, परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण उसे दानापुर के हाजी शेख अब्दुल गफ्फार महिला कॉलेज में कला संकाय में नामांकन कराना पड़ा।
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