टॉपर बेटियों की कहानी:कोरोना में स्कूल बंद हुए तो दो सहेलियों ने साथ तैयारी की, एक स्टेट टॉपर तो दूसरी तीसरे नंबर पर
पटना।
बिहार बोर्ड की ओर से गुरुवार को जारी मैट्रिक के रिजल्ट में औरंगाबाद की दो सहेलियों रामायणी रॉय और प्रज्ञा कुमारी ने मिसाल कायम किया है। एक 487 अंक के साथ स्टेट टॉपर बनी तो दूसरी 485 अंक के साथ तीसरे स्थान पर रही। कोरोना काल में जब स्कूल बंद हुए तो दोनों ने साथ में पढ़ाई की, परीक्षा के लिए रणनीति बनाई और कामयाबी के झंडे गाड़ दिए।
अब दोनों अलग-अलग राहें चुनना चाहती हैं। रामायणी जहां जर्नलिस्ट बनना चाहती हैं तो प्रज्ञा डॉक्टर। उन्होंने बताया कि अपनी पसंद से अपना करियर बनाना चाहती हैं और इसमें उनके परिजनों का भी सहयोग मिल रहा है। हालांकि, उन्होंने अभी यह तय नहीं किया है कि आगे की पढ़ाई वे अपने गृह जिले से ही करेंगी या किसी बड़े शहर का रुख करेंगी।
हर रोज 4-6 घंटे तक करती सेल्फ स्टडी
दोनों पटेल हाई स्कूल दाउदनगर, औरंगाबाद की स्टूडेंड है। उन्होंने बताया कि कोविड के कारण ज्यादातर समय स्कूल बंद ही रहे। जितने दिन स्कूल खुले दोनों स्कूल तो गईं, लेकिन उन्हें लग गया था कि सेल्फ स्टडी से ही उन्हें कामयाबी मिल सकती है। इसके लिए उन्होंने साथ मिलकर पढ़ने की रणनीति बनाने और मिजाज के हिसाब से रोज 4-6 घंटे तक सेल्फ स्टडी करने में जुट गई।
पिता की कमाई नहीं स्कालरशिप से करेंगी पढ़ाई
प्रज्ञा ने बताया कि उसके पिता किसान हैं तो मां गृहिणी हैं। अभी तक पिता खेत में हाड़ तोड़ मेहनत करके पढ़ाई का खर्च उठाते हैं। अब वह अपने पिता की कमाई की बजाय स्कालरशिप से पढ़ाई करना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि टॉपर आने के बाद सरकार की तरफ से जो इनाम की राशि मिलेंगी उससे वो अपने इंटर का खर्च निकालेगी। आगे की पढ़ाई के लिए अलग-अलग स्कालरशिप का एग्जाम देंगी।
औरंगाबाद में अपने परिजनों के साथ खुशियां मनाती टॉपर बेटियां।
सेकंड टॉपर के पिता चलाते हैं मिठाई की दुकान
वहीं, परीक्षा में 486 अंक के साथ राज्यभर में सेकेंड रहने वाली सानिया कुमारी के पिता उदय प्रसाद रजौली में मिठाई की दुकान चलाते हैं। सानिया ने बताया कि उसे पूरी उम्मीद थी कि वो परीक्षा में बेहतर करेंगी। चार भाई-बहनों में सबसे छोटी सानिया की इस उपलब्धि पर परिवार में खुशी का माहौल है।