समस्तीपुर सदर अस्पताल में पहली बार हृदयाघात के मरीज का हुआ उपचार, टीम ने बचाई जान
समस्तीपुर । सदर अस्पताल में पहली बार हर्ट अटैक के मरीज का इलाज हुआ। स्थिति मंगलवार को सामान्य होने के बाद बेहतर इलाज के लिए पटना रेफर किया गया। एम्स दिल्ली से केयर इंडिया द्वारा लाए गए इमरजेंसी स्पेशलिस्ट डा. अतुल तिवारी की देखरेख डा. वसीम, नर्सिंग कर्मी ऋषिकेश, नदीम सहित अन्य ने मरीज का इलाज किया। सोमवार दोपहर करीब दो बजे धर्मेद्र इमरजेंसी वार्ड में इलाज के लिए पहुंचे। आन ड्यूटी चिकित्सक ने तत्काल उपचार शुरू किया। मरीज की छाती में जलन होने के साथ घबराहट व पसीना भी निकल रहा था। मरीज को यह परेशानी सुबह 11 बजे से ही हो रही थी। अधिक समस्या होने पर तीन घंटे के उपरांत मरीज इलाज के लिए इमरजेंसी वार्ड में पहुंचा। मरीज का सबसे पहले ईसीजी कराया गया। ईसीजी रिपोर्ट के अनुसार बड़ा हर्ट अटैक आया था। शुरुआती दौर में दवा दी गई। इसके बाद मरीज व उनके साथ के लोगों को बताया गया कि मरीज के दिल का नस ब्लाक हो गया है। उसे खोलने के लिए स्वजनों की अनुमति के बाद एक दवा दी गई। सोमवार की संध्या छह बजे के बाद थ्रंबोलाइसिस की प्रक्रिया शुरू की गई। इलाज के लिए अस्पताल में उपलब्ध स्ट्रेप्टोकिनेस की 15 लाख यूनिट डोज एक घंटे के अंदर दी गई। एक घंटे के उपरांत मरीज ने आराम महसूस किया। इसके बाद पुन: ईसीजी कराया गया। जिसमें हर्ट अटैक का मानक काफी कम मिला। डा. अतुल ने बताया कि हर्ट अटैक के शुरुआती लक्षण के 12 घंटे तक के समय को गोल्डन आवर कहा जाता है। सीने में दर्द, पसीना आना, कमजोरी महसूस होना, चक्कर आना हृदयघात के लक्षण है। डायबिटिज और बुजुर्ग महिला को गुप्त अटैक होता है। ब्लाक आर्टरी न केवल खोली जा सकती है, बल्कि दिल को आशंकित नुकसान शून्य तक लाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सबसे पहली जरूरत है ईसीजी जांच की।