फ्लैट में सुविधाएं नहीं देने पर कंपनी पर जुर्माना:45 दिन में काम पूरा करने का आदेश
मुजफ्फरपुर जिला उपभोक्ता आयोग ने एक फ्लैट निर्माण कंपनी के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है। सदर थाना क्षेत्र के खबड़ा की रहने वाली अभिलाषा कुमारी ने 6 दिसंबर 2021 को जिले के सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत खबड़ा में एक फ्लैट निर्माण कंपनी उर्मिला होम्स जेबी की ओर से निर्मित विजय एन्क्लेव में एक 3 बीएचके फ्लैट 43 लाख 21 हजार 200 रुपए में खरीदी थी। पीड़िता अपने परिवार के साथ जब उक्त फ्लैट में रहना शुरू की, तो पाया कि उस अपार्टमेंट एवं उस फ्लैट में ऐसी अधिकांश सुविधाओं का अभाव है, जिसका जिक्र फ्लैट निर्माण कंपनी की ओर से दी गई अपनी बुकलेट एवं डेवलपमेंट वर्क एग्रीमेंट में बताया गया था।
इस संबंध में पीड़िता की ओर से फ्लैट निर्माण कंपनी से शिकायत की गई, लेकिन कंपनी के स्तर से कोई सकारात्मक कार्य नहीं किया जा सका। पीड़िता ने थक-हारकर मानवाधिकार मामलों के वकील एसके झा के माध्यम से 13 जून 2022 को जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवाद दर्ज कराई, जिसमें कुल 4 विरोधी पक्षकार बनाये गये। पक्षकारों में (1) प्रबंध निदेशक, उर्मिला होम्स जेबी, मुजफ्फरपुर, (2) पुरुषोत्तम पाण्डेय (पार्टनर संख्या 1), (3) अनुपम कुमार (पार्टनर संख्या 2) एवं (4) राकेश रंजन (पार्टनर संख्या 3) शामिल हैं।
सुनवाई के दौरान आयोग ने मानी गड़बड़ी
इन सभी के खिलाफ आयोग के समक्ष सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई के पश्चात आयोग ने इस बात को माना कि फ्लैट निर्माण कंपनी की ओर से उपभोक्ता को एग्रीमेंट के अनुसार सेवा प्रदान नहीं की गई है, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के खिलाफ है। अपार्टमेंट एवं फ्लैट में जो भी सुविधाएं मिलनी चाहिए, उन सभी सुविधाओं से पीड़िता को फ्लैट निर्माण कंपनी द्वारा वंचित रखा गया।
सुनवाई के बाद जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष पियूष कमल दीक्षित एवं सदस्य सुनील कुमार तिवारी की पीठ की ओर से आदेश दिया गया कि फ्लैट निर्माण कंपनी ने जो निर्माण कार्य कराए गए हैं, उसको रिपेयर किया जाए और एग्रीमेंट में वर्णित जो निर्माण कार्य नहीं कराए गए हैं, उसका पुनर्निमाण किया जाए। आयोग ने इसके लिए 45 दिनों की समय सीमा निर्धारित की है।
45 दिनों में आदेश का पालन नहीं किया तो देना होगा 2 लाख का जुर्माना
अगर 45 दिनों के अंदर आयोग की ओर से दिए गए निर्णय को नहीं माना तो निर्माण कंपनी को बतौर हर्जाना के रूप में 2 लाख रुपए का जुर्माना पीड़िता को अदा करना होगा। साथ ही वाद खर्च के रूप में 10,000 रुपए अलग से देना होगा। साथ-ही-साथ 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से ब्याज का भुगतान भी करना होगा।
यानी आयोग की ओर से निर्धारित समय सीमा के बाद कुल 2,10,000 रुपए का भुगतान 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ निर्माण कंपनी को करना होगा। यह पूरी राशि पीड़िता अभिलाषा कुमारी को प्राप्त होगी। आयोग की ओर से यह निर्णय 15 अप्रैल 2025 को पारित किया गया, जिसकी सत्यापित प्रति 20 मई 2025 को पीड़िता को प्राप्त हुई। मामले के सम्बन्ध में मानवाधिकार मामलों के वकील एस.के.झा ने बताया कि यह पूरा मामला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के सेवा में कमी की कोटि का मामला था, जिसका आयोग ने अवलोकन किया गया। आयोग की ओर से दिए गए निर्णय से हम संतुष्ट हैं।