“बेगूसराय में 2 युवक डूबे, एक का शव बरामद: एसडीआरएफ के पास बचाव के लिए न पेट्रोल और न सिलेंडर
बेगूसराय में शुक्रवार को सिमरिया में गंगा स्नान के दौरान 2 युवक डूब गए। जिसमें से एक का शव बरामद किया गया है, जबकि दूसरे की खोजबीन की जा रही है।बताया जा रहा है कि आज बीहट गुरदासपुर निवासी कुंदन कुमार सिंह का बेटा आदित्य कुमार (16) और मटिहानी थाना क्षेत्र के चकबल्ली दियारा निवासी शुभम कुमार सिमरिया गंगा घाट पर स्नान करने गया था। स्नान करने के दौरान दोनों गहरे पानी में चले गए।
आसपास मौजूद लोगों ने बचाने का प्रयास किया, लेकिन तब तक दोनों काफी गहरे पानी में चले गए। मौके पर मौजूद लोगों ने एसडीआरएफ के जवानों से बचाने की गुहार लगाई तो उन लोगों ने नहीं सुनी। बाद में रबर बोट में पेट्रोल नहीं रहने की बात कही।इसके बाद जब परिजनों ने 5 लीटर पेट्रोल लाकर दिया। तब काफी देर के बाद खोजबीन शुरू की गई। स्थानीय गोताखोर के सहयोग से आदित्य कुमार का शव बरामद कर लिया गया है, जबकि शुभम का शव नहीं मिल सका है।
एसडीआरएफ की टीम गंगा घाट से काफी दूर पंचायत भवन परिसर में रहती
सूचना मिलते ही तेघड़ा विधायक रामरतन सिंह, सदर एसडीओ राजीव कुमार, बरौनी अंचल के सीओ और चकिया थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। इसके बाद पुलिस ने आदित्य के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने सिमरिया गंगा घाट एसडीआरएफ की टीम को तैनात किया गया है, लेकिन एसडीआरएफ की टीम गंगा घाट से काफी दूर पंचायत भवन परिसर में रहती है। कभी-कभी घाट पर एसडीआरएफ के एक-दो जवान रहते भी हैं तो वह लोग रबर वोट में पेट्रोल नहीं रहने और गोताखोर के सिलेंडर में ऑक्सीजन नहीं रहने का बहाना बनाते हैं।
जिसके कारण लगातार लोग डूब कर मार रहे हैं। बीते 10 दिन में यहां डूब कर 5 लोगों की मौत हो गई है। लोगों का कहना है कि मौत के बाद प्रशासन जितना मुआवजा देती है, उससे कम पैसा में यहां ऐसी व्यवस्था हो सकती है कि लोगों को मरने से बचाया जा सके, लेकिन स्थानीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही से इस पर पहल नहीं हो रही है।
पहले यहां स्थानीय गोताखोरों को दैनिक मजदूरी पर तैनात किया गया था। जिससे वे लोग 24 घंटे घाट किनारे रहकर डूबने वाले लोगों को मरने से बचा लेते थे, लेकिन अब उन लोगों को हटा दिया गया है।
हमारे पास पेट्रोल नहीं रहता
एसडीआरएफ के एएसआई राजकुमार सिंह को लोगों ने जब कहा कि हमारे पास पेट्रोल नहीं रहता है। सूचना मिलती है, तब वरीय अधिकारी का आदेश मिलने के बाद पेट्रोल लाते हैं।
स्थानीय लोगों ने कहा है कि जब डूबने की सूचना मिलती है तो काफी देर के बाद एसडीआरएफ यहां पहुंचती है, 5 किलोमीटर दूर पंप से पेट्रोल लाया जाता है। तब खोजबीन शुरू की जाती है, तेल का पैसा भी जो डूबते हैं, उनके परिजनों को ही देना पड़ता है। सिमरिया गंगा घाट से सरकार को प्रत्येक साल करीब 8 करोड रुपया राजस्व मिलता है, लेकिन हादसा रोकने के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है।