Thursday, May 15, 2025
Patna

“पिता को खोया,पैर टूटा पर हिम्मत नहीं, रग्बी में जमाई धाक,कहानी है कविता गुप्ता की..

खगड़िया.मिट्टी के मैदान से राष्ट्रीय फलक तक का सफर… यह कहानी है कविता गुप्ता की, जिन्होंने खगड़िया के बाजार समिति रोड से कबड्डी की धूल फांकते हुए रग्बी के मैदान में देश का नाम रोशन किया है। उनकी यह यात्रा आसान नहीं रही। 2012 में शुरू हुई इस राह में उन्होंने पिता का साया खोया। पैर में गंभीर चोट झेली। यहां तक कि पुलिस की वर्दी भी पहनते-पहनते रह गईं। लेकिन कविता ने हार नहीं मानी। आज वे खुद तो राष्ट्रीय स्तर की रग्बी खिलाड़ी हैं ही, बच्चों को भी रग्बी, कबड्डी, टार्गेट और डोज बॉल जैसे खेलों के लिए तैयार कर रही हैं।

कविता का मानना है कि सरकार को खेल कोटे से नौकरी के नियमों में बदलाव करना चाहिए, ताकि युवा पीढ़ी इसे अपना भविष्य बना सके। उनकी यह कहानी न केवल खेल जगत बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो जीवन में चुनौतियों का सामना कर रहा है। कविता न केवल अपनी प्रतिभा को निखार रही हैं, बल्कि दूसरों के सपनों को भी उड़ान दे रही हैं। वे बाजार समिति के मैदान में गरीब बच्चों को मुफ्त में रग्बी का प्रशिक्षण देती हैं।

उनका कहना है कि मैदान की खराब स्थिति के कारण कई बच्चे घायल हो जाते हैं, क्योंकि यहां अक्सर कार्यक्रम होते रहते हैं। उनके पास कोई और मैदान नहीं है, इसलिए वे इसी मैदान पर बच्चों को भविष्य के लिए तैयार कर रही हैं। साथ ही, बाहर खेलने जाने वाले बच्चों के लिए वे स्पॉन्सर, जूते, कपड़े और आने-जाने की व्यवस्था भी कराती हैं। वे कहती हैं कि उन्होंने जो कठिनाइयां झेली हैं, वह नहीं चाहतीं कि ये बच्चे भी झेलें।

स्पीड बनी पहचान, रग्बी ने बदली किस्मत कविता बताती हैं कि एक कैंप के दौरान कोच ने उनकी तेज गति को पहचाना और उन्हें कबड्डी छोड़कर रग्बी खेलने की सलाह दी। कोच की बात मानते हुए उन्होंने रग्बी में कदम रखा और आज वे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का गौरव बनी हुई हैं। 2012 में कबड्डी से शुरुआत करने वाली कविता ने बिहार का 16 बार राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया। लेकिन 2016 में पिता शंभु प्रसाद गुप्ता के निधन के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई, जिसके कारण उन्हें खेल छोड़कर बच्चों को ट्यूशन देना पड़ा। 2017 में हालात सुधरे तो उन्होंने फिर से रग्बी खेलना शुरू किया और 2018 में ऑस्ट्रेलिया में हुए मैच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Kunal Gupta
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