समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर पार्किंग स्टैंड में होती है मनमानी वसूली, शिकायत पर सुनवाई नहीं।
समस्तीपुर। अगर आप समस्तीपुर स्टेशन परिसर की पार्किंग में गाड़ी खड़ी करेंगे तो आपको पार्किंग ठेकेदार के अनुसार ही शुल्क चुकानी होगी। भले ही पर्चे में कुछ भी लिखा हो। उसमें यदि सवाल उठाया तो फजीहत भी हो सकती है। जंक्शन के बाइक व टैक्सी स्टैंड में वाहन पार्किंग में ओवर चार्जिंग लंबे समय से चल रही है। पार्किंग के बदले मिली पर्ची देखकर सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि यह तो ओवरचार्जिंग की हद है। रेलवे पार्किंग स्टैंड का ठेका नियम व शर्तों के तहत लिया गया है, लेकिन वहां नियम कायदों को छोड़ केवल मनमाना शुल्क वसूली की जा रही है। हालत यह है कि यदि कोई स्टैंड में अधिक शुल्क को लेकर पूछताछ करता है तो स्टैंड के कर्मी सीधे तुम-ताम पर उतर आते हैं। ऐसे में लोग अपनी इज्जत बचाने के लिए शुल्क अदा कर चले जा रहे हैं।
रेलवे स्टेशन परिसर में स्टैंड के बाहर भी गाड़ी लगाने पर शुल्क की मांग की जाती है। वाहन मालिकों से संचालक के गुर्गे खुद को स्टेशन के पूरे एरिया का ठेकेदार बताते हैं। आए दिन रेल यात्रियों से भी झगड़ा होता है। कभी-कभी मारपीट तक की नौबत आ जाती है। इनकी शिकायत भी नहीं सुनी जाती। स्टेशन मास्टर, आरपीएफ और जीआरपी के पास जाने पर इनकी शिकायतों का ध्यान नहीं दिया जाता है।
रेलवे देती प्राइवेट लोगों को ठेका
रेलवे द्वारा स्टेशन पर वाहन लगाने का स्टैंड दिया गया है। उसके ठेकेदारी का सारा काम रेलमंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक कार्यालय के यहां से होता है। निर्धारित राजस्व जमा करने पर तीन महीना, छह महीना और एक साल के लिए वाहन स्टैंड दिया जाता है। इस बीच अगर रेलवे को पैसा नहीं मिला तो ठेका कैंसिल भी कर दिया जाता है। ठेकेदारों को पैसा जमा नहीं करने पर ब्लैकलिस्टेड भी किया जाना है। लेकिन इसे रोकने के लिए कोई अधिकारी नहीं आ रहे आगे।