“बिहार में 4 साल पहले किडनैप हुई बच्ची,अबतक नहीं ढूंढ पाई CBI:महाकुंभ में दादी ने मांगी मन्नत
मुजफ्फरपुर में 4 साल पहले 5 साल की बच्ची खुशी का अपहरण हुआ था, जो आज तक नहीं मिली। अब वो 9 साल की हो गई है। बच्ची के दादा इस आस से हर दिन अखबार पढ़ते हैं, ताकि उनकी पोती की कोई जानकारी मिल जाए। 27 जनवरी को परिवार ने महाकुंभ जाकर मन्नतें भी मांगी कि बच्ची जल्दी मिल जाए।
बच्ची के दादा कहते हैं,
CBI की टीम ज्यादातर घर पर आकर कागजी कार्रवाई करती थी। जिला पुलिस ने गेम खेला है। सभी लोग मिले हुए थे। एसपी जयकांत के पास जाते थे तो वे कहते थे कि जहां जाओ कुछ होने वाला नहीं है। सही से बात नहीं करते थे।
अब संदिग्धों के नार्को टेस्ट की तैयारी कर रही CBI
मामले की जांच 20 दिसंबर 2022 से CBI कर रही है, लेकिन अब तक कुछ पता नहीं चला। उल्टा शक के आधार पर बच्ची के पिता का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया गया। जांच का बिंदू घर तक सीमित रहा। जिस परिवार ने कभी पुलिस और कोर्ट के चक्कर नहीं लगाए थे, उन्हें इन सब का सामना करना पड़ रहा है।परिजन कहते हैं, ‘CBI मोहल्ले में पूछताछ कर चली जाती थी। जब परिजन महाकुंभ से घर लौटे तो CBI की नई टीम आई। नई टीम से परिजन को उम्मीद है कि वो बच्ची को बरामद कर लेगी। नई टीम ने परिजन को आश्वासन दिया है कि संदिग्धों का नार्को टेस्ट होगा।’
झूठ का पता लगाने वाला टेस्ट होता है। इसे लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है। इस टेस्ट में व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रिया को मापा जाता है। इनके आधार पर यह पता लगाया जाता है कि संदिग्ध सच बोल रहा है या झूठ।
नार्को टेस्ट क्या होता है?
किसी व्यक्ति से जानकारी पाने के लिए, जब वह जानकारी देने में असमर्थ या तैयार न हो, तब नार्को टेस्ट किया जाता है। इसे ट्रुथ सीरम टेस्ट भी कहा जाता है। यह एक फोरेंसिक टेस्ट है। ज्यादातर आपराधिक मामलों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।दरअसल, 16 फरवरी 2021 को खुशी पमरिया टोला स्थित अपने घर से गायब हो गई थी। पिता सब्जी विक्रेता राजन साह ने ब्रह्मपुरा थाने में केस दर्ज करवाया था, लेकिन ब्रह्मपुरा पुलिस मामले की लीपापोती में ही लगी रही।
खुशी के पिता मुजफ्फरपुर (ब्रह्मपुरा थाना) पुलिस की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं थे। जिसके कारण खुशी के पिता राजन साह ने पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने मामले की जांच का निर्देश CBI को दिया है।मैं सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद था। कोर्ट ने कहा कि खुशी को खोजना मुजफ्फरपुर पुलिस और SSP के वश में नहीं है। अबतक सिर्फ कागज पर ही जांच और खोजबीन करती रही। इसलिए केस को CBIको दिया जाता है।
घटना के 20 महीने बाद भी जब CBI ने जांच शुरू की थी तो पिता ने कहा था, ‘बहुत छोटे आदमी हैं हम, हमारे लिए देश की सबसे बड़ी एजेंसी आई है। उम्मीद है कि अब हमें हमारी बेटी मिल जाएगी’।
पोती के बारे में बोलते-बोलते दादी रोने लगीं
खुशी काफी नटखट थी, हमेशा कहती थी दादी पैसे दो। ये कहते-कहते दादी उमा देवी के आंसू निकल गए। उमा देवी ने कहा कि CBI की नई टीम ने हम लोगों को आश्वासन दिया है कि पूरे मामले की अच्छे से जांच करेंगे और जल्द ही मामला का खुलासा करेंगे।खुशी के अपहरण के बाद आवेदन थाने में देने गए थे, पर पुलिस ने नहीं लिया। वार्ड पार्षद जब लिखकर दिए तब जाकर पुलिस ने आवेदन लिया। थाना की पुलिस कहती थी, घर जाओ सुबह मिल जाएगी। अगले दिन थाना पर पूरे दिन बैठे रह गए। इसके बाद भी पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया था।
खुशी का जब अपहरण हुआ था, तब हमलोग चौक पर सब्जी की दुकान पर थे। दुकान से 7.30 बजे घर लौटे तो पता चला कि खुशी को पड़ोस में रहने वाला लड़का अमन ले गया है। बाद में अमन घर लौट गया, पर खुशी नहीं लौटी। अमन के घर हमलोग गए, तो उसकी नानी से लड़ाई हुई।बाद में पुलिस ने अमन को पकड़ा, लेकिन कुछ देर बाद छोड़ दिया। 10 दिन बाद अमन फिर गिरफ्तार हुआ। करीब 6 महीने के बाद बेल पर बाहर आ गया। उसके खिलाफ कोई सुराग नहीं मिला।
पुलिस जांच में लापरवाही पर हाईकोर्ट कर चुका टिप्पणी
खुशी के पिता राजन साह ने बताया कि ‘खुशी की तलाश पहले पुलिस ने और फिर SIT ने की। अब CBI जांच कर रही है। पुलिस जांच में लापरवाही और शिथिलता पर हाईकोर्ट गंभीर टिप्पणी कर चुका है। जांच के क्रम में CBI परिवार वालों की पॉलीग्राफ जांच भी करा चुकी है।’
स्कूल, अस्पताल और बालगृहों को खंगाला गया। अब तक कहीं से कोई सुराग नहीं मिला है। पमरिया टोला में सरस्वती पूजा के दिन पूजा पंडाल में खुशी खेल रही थी। शाम को अचानक गायब हो गई। इसके बाद उसका कोई सुराग नहीं मिला। सीबीआई में केस दर्ज होने के बाद पहले अरुण कुमार सिंह को IO बनाया गया था। अब नई टीम गठित की गई है।
थाने से डांटकर भगा दिया जाता था
दादा ने बताया कि ‘थाने से डांटकर भगा दिया जाता था। IO कहते थे एसपी के पास जाओ। पुलिस ने जांच नहीं की, दिखावा किया। जांच की नहीं तभी तो CBI को लगाया गया। किडनैपिंग का केस है।’खुशी के दादा दादी सब्जी बेचते हैं। खुशी के पिता 4 भाई हैं। सबसे बड़े खुशी के पिता हैं। 2 चाचा ऑटो और टोटो चलते है। खुशी के अपहरण के बाद उसके चाचा की शादी हुई है। पूरा परिवार एक साथ रहता है।