“इसरो ने सैटेलाइट से बिहार में खोजी 4500 आर्द्रभूमि… 1000 का सत्यापन,किसानों को भी सालभर पानी मिल सकेगा
पटना.बिहार बड़े पैमाने पर आर्द्रभूमियों (वेटलैंड) का संरक्षण और प्रबंधन किया जाएगा। इसरो ने सैटेलाइट की मदद से राज्य में 4500 आर्द्रभूमि की पहचान की है। इनमें से 1000 आर्द्रभूमि का सत्यापन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने कर लिया है। दो साल में बाकी का भी सत्यापन कर लिया जाएगा। इन आर्द्रभूमि के संरक्षण से न केवल विलुप्त हो रहे पक्षी, कछुए, मछलियां, मेंढक और जलीय पौधों को बचाया जा सकेगा।
साथ ही किसानों को भी सालभर पानी मिल सकेगा। 250 आर्द्रभूमि का ‘वेटलैंड हेल्थ कार्ड’ विशेषज्ञों ने तैयार कर लिया है। इसमें पक्षियों और अन्य जलीय जीवों की संख्या, जल की गुणवत्ता और ऑक्सीजन स्तर जैसी महत्वपूर्ण जानकारियां दर्ज की गईं हैं। भविष्य में यदि किसी आर्द्रभूमि के अस्तित्व पर खतरा मंडराता है, तो हेल्थ कार्ड ऐसी भूमि के संरक्षण में सहायक होगा।
‘आर्द्रभूमि ऐप’ से आम लोग भी कर सकेंगे योगदान
राज्य सरकार ने राज्य की हर आर्द्रभूमि तक पहुंचने के लिए एप लॉन्च किया गया है। ‘आर्द्रभूमि ऐप’ पर आम लोग अपने जिले की आर्द्रभूमि का फोटो और जगह की जानकारी अपलोड कर सकते हैं। विशेषज्ञों की टीम वहां जाएगी। जांच पड़ताल करके सत्यापन करेगी। यह ऐप गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है।
वेटलैंड हेल्थ कार्ड के फायदे
हर वेटलैंड और ज़िले के हिसाब से पक्षियों एवं जलीय जीवों की संख्या दर्ज होगी। किसी भी खतरे की स्थिति में त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी।
पक्षी, कछुए, मछलियां, मेंढक व जलीय पौधों को बचाया जाएगा… साथ ही किसानों को भी सालभर पानी मिल सकेगा
मित्र को यह बताया जाएगा… बागानों में जहरीले रसायनों के प्रयोग को रोकने के उपाय सिखाए जाएंगे
तेज हवा वाले दिनों में रसायनों का छिड़काव न करने की सलाह दी जाएगी।
सफाई अभियान के लिए प्रेरित किया जाएगा।
‘आर्द्रभूमि मित्र’ बनेंगे… बिहार में 2.5 लाख हेक्टेयर में आर्द्रभूमि है। इनकी संख्या 4500 है। संरक्षण व प्रबंधन के लिए ‘आर्द्रभूमि मित्र’ बनाए जाएंगे। करीब 10 हजार ‘आर्द्रभूमि मित्र’ बनेंगे।