“19 वर्ष बाद दुर्लभ भौम-पुष्य योग में मनेगी मकर संक्रांति, सूर्यदेव और शनि महाराज की अपार कृपा बरसेगी
पटना.तीन साल बाद इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र का युग्म संयोग बन रहा है। मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्नान-दान करने से उसका सौ गुना पुण्य फल मिलता है। इसी दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने से खरमास समाप्त हो जाएगा। इसके बाद मांगलिक कार्य का सिलसिला शुरू हो जाएगा। सूर्य 14 जनवरी को दोपहर बाद 02:55 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसका पुण्यकाल पूरे दिन रहेगा।
ज्योतिषाचार्य राकेश झा ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन 19 साल बाद भौम-पुष्य योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन सुबह 10:41 बजे से भौम-पुष्य योग शुरू हो जाएगा, जो पूरे दिन रहेगा। यह योग मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र के विद्यमान होने से बनता है। पुष्य नक्षत्र विकास, शुभता, धन-समृद्धि और आध्यात्मिक विकास का प्रतिनिधित्व करता है। ऋग्वेद में पुष्य नक्षत्र को मंगल कर्ता, वृद्धि कर्ता और सुख-समृद्धि देने बताया गया है। इस दिन पुष्य नक्षत्र में खरीदारी, दान-पुण्य और धर्मकृत्य करने से उसका पुण्य लाभ दीर्घकालिक व सकारात्मक होगा।
भगवत पूजन करना शुभ
मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान, सूर्य को अर्घ्य देना, विष्णु सहस्त्रनाम, पुरुष सूक्त, सत्यनारायण कथा, भागवत पाठ, आदित्य हृदयस्त्रोत्र का पाठ तथा गरीब व असहाय को अन्न, वस्त्र का दान, गौ सेवा, बड़े-बुजुर्गों की सेवा, ब्राह्मण को तिल, अन्न, फल, ऊनी वस्त्र, जूता, धार्मिक पुस्तक व स्वर्ण आदि का दान करने से कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन नारायण की उपासना से माता लक्ष्मी की भी असीम कृपा प्राप्त होती है।
संक्रांति पर स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
संक्रांति का पुण्यकाल : सूर्योदय से लेकर पूरे दिन
सूर्य का राशि परिवर्तन : दोपहर 2:55 बजे
चर-लाभ-अमृत मुहूर्त : सुबह 9:19 बजे से दोपहर 1:19 बजे तक
अभिजित मुहूर्त : सुबह 11:37 बजे से 12:20 बजे तक
शुभ योग मुहूर्त : दोपहर 2:39 बजे से 3:59 बजे तक
सूर्यदेव और शनि महाराज की अपार कृपा बरसेगी
राशि के अनुसार दान-पुण्य
पतंग उड़ाने की अनोखी परंपरा : तमिल के तन्दनान रामायण के अनुसार मकर संक्रांति को पतंग उड़ाने की अनोखी परंपरा त्रेता युग से ही चली आ रही है। गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस के बालकांड में भी मिलता है- ‘राम इक दिन चंग उड़ाई। इंद्रलोक में पहुंची जाई’।
भगवान सूर्य शनिदेव के पिता हैं। सूर्य और शनि दोनों ही ग्रह पराक्रमी हैं। ऐसे में जब सूर्य देव मकर राशि में आते हैं तो शनि देव की प्रिय वस्तुओं के दान से भक्तों पर सूर्य नारायण की कृपा बरसती है और जातक के मान-सम्मान में वृद्धि होती है। मकर संक्रांति के दिन तिल से निर्मित वस्तुओं का दान करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सूर्य मकर से मिथुन राशि तक उत्तरायण में और कर्क से धनु राशि तक दक्षिणायण रहते हैं।
मेष : जल में पीले पुष्प, हल्दी, तिल युक्त जल से सूर्य को अर्घ्य व तिल-गुड़ का दान।
वृष : जल में सफेद चंदन, दुग्ध, श्वेत पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें।
मिथुन : जल में तिल, दूर्वा, फूल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य, गाय को हरा चारा व मूंग दाल युक्त खिचड़ी का दान।
कर्क : जल में दुग्ध, अक्षत, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य व चावल-मिश्री-तिल का दान।
सिंह : जल में रोली, लाल फूल, तिल, डालकर सूर्य को अर्घ्य व तिल, गुड़, गेहूं, सोना दान।
कन्या : जल में तिल, दूर्वा, पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य व खिचड़ी दान, गाय को चारा दें।
तुला : सफेद चंदन, दूध, अक्षत, तिल युक्त जल से सूर्य को अर्घ्य व चावल का दान।
वृश्चिक : जल में कुमकुम, लाल फूल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य व तिल-गुड़ दान।
धनु : जल में हल्दी, केसर, पीले पुष्प तथा मिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
मकर : जल में नीले पुष्प, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य व गरीब-अपंगों को भोजन दान।
कुंभ : जल में नीला फूल, काला उड़द, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य व तेल एवं तिल का दान।
मीन : हल्दी, केसर, पीला फूल, तिल युक्त जल से सूर्य को अर्घ्य व सरसों, केसर का दान।