“प्रो.मुखर्जी सहज, सुंदर,शालीन,मृदुभाषी और मिलनसार थीं. वे सितार वादन में महारथ थीं
समस्तीपुर: शहर के वीमेंस कॉलेज में पूर्व संगीत विभागाध्यक्ष प्रो. जान्हवी मुखर्जी के असमय निधन पर शोक सभा कर श्रद्धांजलि दी गयी. प्रधानाचार्य प्रो. सुनीता सिन्हा ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए कहा कि प्रो. मुखर्जी सहज, सुंदर, शालीन, मृदुभाषी और मिलनसार थीं. वे सितार वादन में महारथ थीं. वे हमेशा दिल में विराजमान रहेंगी. प्रो अरुण कुमार कर्ण ने कहा कि प्रो मुखर्जी संस्थापक शिक्षक थे, उनके निधन से महाविद्यालय परिवार आहत है.
प्रो बिगन राम ने उन्हें स्मरण करते हुए कहा कि वे महाविद्यालय की गौरव थीं. शोकसभा में प्रो सोनी सलोनी, डॉ विजय कुमार गुप्ता, डॉ मधुलिका मिश्रा, डॉ नेहा कुमारी जयसवाल, प्रो फरहत जबीन, डॉ रिंकी कुमारी, डॉ कविता वर्मा, डॉ संगीता,डॉ मृत्युंजय ठाकुर, डॉ सुमन कुमारी डॉ नीरज प्रसाद, डॉ सालेहीन अहमद, डॉ रेखा कुमारी, डॉ कुमारी शबनम, डॉ स्मिता कुमारी, डॉ आभा, राधा कुमारी, सुषेण कुमार, महेश वर्मा सहित सभी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मी उपस्थित थे.
शहर के महिला कॉलेज की पूर्व विभागाध्यक्ष सह सितार वादक प्रो. जान्हवी मुखर्जी का रविवार की शाम निधन हो गया था. जिससे उनके परिजनों तथा क्षेत्र के लोगों में शोक का माहौल बना हुआ है. वह एक स्नेही पत्नी, मां और दादी रूप में जानी जाती थी. उनके पुत्र डॉ. सुप्रियो मुखर्जी ने प्रार्थना करते कहा कि जिस नए संसार में उन्होंने कदम रखा है, वहां उनका कल्याण हो और भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें. महिला कॉलेज की प्रधानाचार्या प्रो सुनीता सिन्हा ने कहा कि प्रो. जान्हवी के योगदान को संगीत जगत में कभी नहीं भुलाया जा सकेगा. उनके सितार वादन में परंपरा के साथ-साथ आधुनिकता का समावेश था. उन्होंने अपने हुनर से भारतीय संगीत और संस्कृति की पहचान सूबे भर में स्थापित करने में उल्लेखनीय योगदान दिया. विदित हो कि 1942 में जन्मी प्रो. जान्हवी मुखर्जी महिला कॉलेज में 1975 में बतौर म्यूजिक की शिक्षिका के रूप में योगदान दी थीं.
विदित हो कि प्रोफेसर जान्हवी मुखर्जी महान सितार वादक पंडित रविशंकर से शिक्षा ग्रहण की थीं. ये समस्तीपुर कॉलेज के पूर्व प्राचार्य स्वर्गीय एन. मुखर्जी की पत्नी थी. वही केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर ने महान सितार वादक जान्हवी मुखर्जी के निधन पर गहरी संवेदना जताई और कहा कि उनका संगीत हमारी आत्मा में बसता है. उनकी मुस्कुराहट भी संगीत लगती थीं.