“12 साल के छात्र ने बनाया एयर प्यूरीफायर:N-95 मास्क, स्पंज का किया यूज; सिर्फ 385 रुपए में शुद्ध होगी हवा
बेगूसराय.साल 2023 में बिहार के जिस शहर को स्विट्ज़रलैंड के संगठन IQAir ने दुनिया का सबसे ज्यादा प्रदूषित बताया गया था, उसी शहर के 12 साल के छात्र ने मात्र 400 रुपए से भी कम लागत में एयर प्यूरीफायर तैयार कर दिया है। इस एयर प्यूरीफायर में N-95 मास्क, टिश्यू पेपर, स्पंज का यूज किया गया है। दिन में ये एयर प्यूरीफायर सोलर एनर्जी से, जबकि रात को ये बैटरी से चलेगा। इसका साइज भी काफी छोटा रखा गया है।
ये कमाल बेगूसराय के बीआर DAV में पढ़ने वाले छठी क्लास के स्टूडेंट मयंक सिंह ने किया है, जिसमें उनके क्लासमेट आयुष कुमार ने उनकी मदद की है। दरअसल, बिहार बाल विज्ञान रिसर्च प्रोग्राम के तहत आयोजित कार्यक्रम में मयंक सिंह ने अपना मॉडल पेश किया। इनके इनोवेशन को बेगूसराय में पहला स्थान मिला। अब मयंक के इनोवेशन को राज्य स्तर पर ले जाया जाएगा। अगर राज्य स्तर पर इसका सिलेक्शन हो जाता है, तो फिर ये देश के स्तर पर ले जाया जाएगा। वहां अगर सिलेक्शन हो गया तो फिर इसे लागू करने की दिशा में आगे कदम बढ़ाए जाएंगे।
मयंक का दावा है कि अगर यह एयर प्यूरीफायर सड़क किनारे जगह-जगह लगा दिया जाए तो लोगों को साफ हवा मिल सकेगी। उन्होंने दावा किया कि इसे सड़क के फुटपाथ के बीच में लगाया जा सकता है। सड़क और फुटपाथ की ऊंचाई के बीच इतनी जगह होती है, जहां इसे आसानी से लगाया जा सकता है। इसमें दो पंखा और एक मोटर लगा रहेगा। बाहर का पंखा हवा को अंदर खींचेगा और अंदर लगा स्पंज, N-95 मास्क, टिशू पेपर, फिल्टर पेपर होगा, पॉल्यूटेड एयर को फ्रेश करेगा। ये प्रक्रिया दो बार होगी, फिर दूसरी ओर से फ्रेश एयर निकलेगा।
मयंक ने बताया- अस्थमा के मरीजों को देखकर आया आइडिया
मयंक ने बताया कि आजकल 25 साल से लेकर 39 साल तक के लोगों को ही नहीं, बल्कि बच्चे भी अस्थमा के शिकार हो रहे हैं। हमने हवा के महत्व की जानकारी ली। 30 दिन तक मैंने अपने क्लासमेट के साथ इस पर सर्वे करना शुरू किया। तब हम लोगों ने एयर प्यूरीफायर पर काम करना शुरू किया। पूरी रिपोर्ट तैयार की। हमने रिसर्च में हीपा टेक्नोलॉजी को भी देखा। डायग्राम बनाया, इसके बाद अपना एयर प्यूरीफायर तैयार किया।
सर्वे के दौरान जब फीडबैक ले रहे थे तो कई जानकारियां मिली। अभी हीपा टेक्नोलॉजी से एयर प्यूरीफायर होता है। यह टेक्नोलॉजी अमेरिका ने वर्ल्ड वॉर के समय बनाया था, जब बहुत पॉल्यूशन हो गया था। लेकिन वह बहुत महंगा है। हीपा टेक्नोलॉजी इंडिया में बहुत महंगा बिकता है, जिसे बहुत कम लोग यूज कर पाते है, जिससे एयर पोल्यूशन की समस्या बरकरार है।
इसके बाद हमने मार्केट ट्रेंड को रिसर्च किया, अभी इको फ्रेंडली का दौर है, इसलिए हमने इको फ्रेंडली एयर प्यूरीफायर तैयार करने की दिशा में कदम बढ़ाया। मयंक ने दावा किया कि हमारा प्यूरीफायर कम दाम में ज्यादा चलेगा और ज्यादा काम करेगा। इसे तैयार करने में भी काफी कम खर्च होगा। ये दिन में ये सोलर एनर्जी से, जबकि रात में बैटरी से चलेगा। 20-20 मीटर की दूरी पर ये लगाया जा सकता है। अच्छा बनाया जाए तो 600 रुपया खर्च होगा और अपडेट कर 50-50 मीटर का डिस्टेंस भी दिया जा सकता है।
छात्र ने कहा- इसमें मेंटेनेंस भी काफी कम
मयंक और उनके क्लासमेट ने कहा कि इसका मेंटनेंस भी काफी कम है। 30 दिनों में इसमें से सिर्फ मास्क और फिल्टर पेपर को चेंज करना होगा। मयंक ने बताया कि जब हम इसे बना रहे थे, तो हमारे टीचर आरपी मंडल और दिलीप कुमार झा ने हमें गाइड किया।
बीआर DAV के प्रिंसिपल केके सिन्हा ने बताया कि बच्चों के दिमाग में इनोवेशन का आइडिया आया। उन्होंने हम लोगों से इसे शेयर किया। हमारे स्कूल में अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम किया जाता है। बच्चों के दिमाग में जो इनोवेशन है, उन्हें एक्सप्लोर करने का हम प्लेटफार्म देते हैं। छात्र इनोवेटिव प्रोडक्ट बनाते हैं, इनोवेशन के क्षेत्र में हमारे स्कूल के बच्चे नेशनल लेवल पर सिलेक्ट हो चुके हैं।केके सिन्हा ने बताया कि बाल विज्ञान कार्यक्रम या गवर्नमेंट के इनोवेशन से रिलेटेड सब्जेक्ट में हम लोग अपने स्टूडेंट को गाइडेंस देते हैं। उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास करते हैं, उनके ब्रेन को एक्टिव करना, क्रिएटिंग बनाना हमारा लक्ष्य है।