Sunday, November 24, 2024
Patna

“किडनी एम्स भेजी,लिवर को इंदौर ले गए:भोपाल में बने दो ग्रीन कॉरिडोर;आखें मेडिकल कॉलेज को दान दी

 

नई दिल्ली।भोपाल में शुक्रवार को दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए। दोनों ही कॉरिडोर बंसल अस्पताल से बने। इसमें एक कॉरिडोर बंसल से एम्स तक, दूसरा बंसल से इंदौर के लिए बना। इस दौरान राजधानी भोपाल की कुछ प्रमुख सड़कें थोड़ी देर के लिए थम गईं।ट्रैफिक पुलिस ने दोनों ग्रीन कॉरिडोर के लिए किसी तरह का रूट डायवर्ट नहीं किया। जिन रास्तों से एंबुलेंस को गुजरना था, सिर्फ वहीं कुछ देर के लिए ट्रैफिक हॉल्ट लेकर एंबुलेंस को रास्ता दिया गया।

एम्स भेजी गई किडनी, लिवर को इंदौर रवाना किया
भोपाल के बंसल अस्पताल से एक किडनी को एम्स भेजा गया और लिवर को इंदौर के चौइथराम अस्पताल भेजा गया। दूसरी किडनी बंसल अस्पताल में ही ट्रांसप्लांट की जाएगी। दो आंखें गांधी मेडिकल कॉलेज को दान दी गई। बंसल और एम्स में शुक्रवार शाम को किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। वहीं लिवर को इंदौर के चौइथराम अस्पताल में देर रात ट्रांसप्लांट किया जा सका।

अंगदान करने वाले को पुलिस बैंड से अंतिम विदाई
अस्पताल में अंगदान करने वाले पार्थिव शरीर का पूरे सम्मान के साथ पुलिस बैंड से अंतिम यात्रा निकाल कर अंतिम विदाई दी। अंगदान का निर्णय लेने पर परिजन का सम्मान भी किया गया। दरअसल, बुधनी निवासी गिरीश यादव (उम्र 73 वर्ष) का इलाज के दौरान निधन हो गया था। परिजन ने उनके अंगदान का निर्णय लिया था।

ब्रेन स्ट्रोक के कारण हुआ गिरीश यादव का निधन

बुधनी निवासी गिरीश यादव उम्र 73 वर्ष को कुछ दिन पहले ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। जिस वजह से उनके परिजन ने उन्हें बंसल अस्पताल में भर्ती कराया। गुरुवार को चिकित्सकों ने मरीज को ब्रेनडेड घोषित कर दिया। गिरीश यादव के बड़े बेटे विनय यादव ने डॉक्टरों के परामर्श पर अपने पिता की देह से अंगदान करने का निर्णय लिया।

गिरीश कुमार यादव के बेटे विनय ने बताया-

मेरे पिता गिरीश यादव बुधनी में एडवोकेट थे। वे कांग्रेस में सक्रिय सदस्य थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की भलाई और समाज सेवा में खर्च किया। यही वजह रही कि हमने उनकी देह से अंगदान करने का निर्णय लिया है, ताकि पिता जी का शरीर शांत होने के बाद भी किसी के काम आ सके।

हार्ट का नहीं हो सका इस्तेमाल

ब्रेनडेड हुए मरीज की उम्र 73 वर्ष थी। जिस कारण उनके हार्ट का डोनेशन नहीं हो सका। चिकित्सकों ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक के कारण मरीज के बाकी अंग तो ठीक थे, लेकिन हार्ट पर्याप्त रूप से काम नहीं कर रहा था। यही कारण रहा कि हार्ट किसी के काम नहीं आ सका। आंखें गांधी मेडिकल कॉलेज में दान की गईं।

maahi Patel
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