दलसिंहसराय:श्री मद भागवत कथा में बोले पुण्डरीक शास्त्री- सत्संग से ही परमानन्द की होती है प्राप्ति..
दलसिंहसराय शहर के रामाश्रय नगर स्थित केयोंटा गढ़ परिसर में श्री मद भागवत कथा का आयोजन विधिवत रूप से शुरू किया गया.कथावाचक व्यास पीठाधीश डॉ पुण्डरीक शास्त्री जी महाराज के द्वारा दूसरे दिवस की कथा कही गई.जिसकी शुरुआत मुख्य यजमान जयन्त कुमार द्वारा आरती करके किया
गया.
कथा में महाराज जी ने 24 अवतारों का व्याख्यान करते हुए पांडव सम्वाद के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि सतचित आनन्द सभी लोगो का मंत्र होना चाहिए.सतचित आनन्द का मतलब है अस्तित्व चेतना और आनन्द या सत्य चेतना आनन्द. सतचित ब्रह्म का सार है यह ब्रह्म के गुणों का नही बल्कि उसकी प्रकृति है. सत का अर्थ है सास्वत और चित का अर्थ है दृष्टि और ज्ञान का मिश्रण आनन्द का अर्थ है,परमानंद.सन्त का संग ही सत्संग है,और सत्संग से ही परमानन्द की प्राप्ति होती है.
कथा का आयोजन विजयवन्त कुमार चौधरी, बलवंत कुमार चौधरी, सामन्त कुमार चौधरी के द्वारा कराया जा रहा है.वही कथा सुनने के लिए सैकड़ो कि संख्या में महिला व पुरुष भक्त उपस्थित थे.आयोजनकर्ता ने बताया कि सात दिवसीय कथा का समापन 27 अक्टूबर को भंडारा प्रसाद के साथ सम्पन्न होगा.