Wednesday, October 16, 2024
Patna

वीटीआर में एक और गेंडे ‎की संख्या बढ़ी, पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होने की उम्मीद

पटना.वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) के भेड़िहारी जंगल में इन ‎‎दिनों नेपाल के चितवन राष्ट्रीय‎ निकुंज से आए एक नए मेहमान‎ गेंडे का लगातार विचरण जारी है। इसकी मॉनिटरिंग लगातार‎ वनकर्मियों द्वारा की जा रही है। ‎‎वहीं, पहले से एक नर गेंडा वीटीआर में मौजूद है।

 

दो गेंडे के यहां रहने के बाद अब पर्यटकों की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद जाग गई है। पहले से रह रहे गेंडे की ट्रैकिंग के लिए 8 वनकर्मी तैनात किए गए हैं। अब नए गेंडे के आने के बाद वनकर्मियों की संख्या बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।

 

वन प्रशासन की टीम इस मेहमान गेंडे की सतत निगरानी कर रही है ताकि उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। वन संरक्षक डॉ. नेशामनी के ने बताया कि नए गेंडे की भी ट्रैकिंग की जा रही है। गेंडा वीटीआर, नेपाल और यूपी की सीमा पर पाया गया है। उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए टीम तैनात कर दी गई है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पिछले पर्यटन सत्र में तकरीबन 98 हजार पर्यटक पहुंचे थे।

 

पहले से मौजूद है आर-5 गेंडा

 

वीटीआर में पहले से ही आर-5 नामक नर गेंडा मौजूद है, जो स्वच्छंद रूप से जंगल में भ्रमण कर रहा है। इस गेंडे के आगमन ने रिजर्व की जैव विविधता को और समृद्ध बनाने की आस जगा दी है। वन अधिकारियों के अनुसार, आर-5 की देखभाल और निगरानी के लिए वनकर्मियों को तैनात किया गया है। अब नए गेंडे के आगमन ने वन प्रशासन और अधिक सतर्क हो गया है। इसके मद्देनजर वन विभाग ने दूसरी टीम भी तैनात कर दी है, जो इस नए गेंडे की गतिविधियों पर नजर रख रही है।

 

नेपाल से गेंडों का आवागमन

 

वीटीआर में गेंडे स्वाभाविक रूप से नहीं पाए जाते। अब तक जितने भी गेंडे इस क्षेत्र में देखे गए हैं, वे नेपाल के चितवन राष्ट्रीय निकुंज से आए हुए हैं। पहले के वर्षों में चितवन से आए गेंडों को रेस्क्यू कर वापस भेजा जाता था। लेकिन वन्यजीव संरक्षण के मौजूदा नियमों के अनुसार, जिस क्षेत्र में कोई वन्यजीव प्रवास करता है, उसकी देखरेख और सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी क्षेत्र के अधिकारियों की होती है। इसके बाद से गेंडों की यहीं ट्रैकिंग की जा रही है।

 

पर्यटन की बढ़ती है संभावना

 

वीटीआर में नए गेंडे के आगमन ऐ केवल वन्यजीवों की जैव विविधता को ही बढ़ावा नहीं देता है, बल्कि पर्यटन की संभावनाओं को भी मजबूत करता है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व अब गेंडों को रास आ रहा है। यही कारण है कि पिछले ढाई साल से एक गेंडा स्वच्छंद रूप से वीटीआर में विचरण कर रहा है। अब आने वाले पर्यटकों को बाघ, तेंदुआ आदि जीवों के साथ गेंडा का भी दीदार करने का अवसर प्राप्त होगा।

 

पहले से रह रहे गेंडे पर विभाग के रख-रखाव का खर्च

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में जो पहले से गेंडा मौजूद है, उसकी ट्रैकिंग के लिए आठ लोगों की टीम लगी हुई है। इन वनकर्मियों पर महीने में लगभग एक लाख का खर्च होता है। गेंडा ज्यादातर जंगल के अंदर और पानी के नजदीक रहता है। कोमल घास को खाता है। वनकर्मी हर वक्त इसकी ट्रेकिंग करते हैं। समय-समय पर डॉक्टर भी इसकी देखभाल करते हैं। वन संरक्षक डॉ. नेशा मनी के ने बताया कि आर-5 गेंडा ढाई वर्ष का है। यह मेल है। अगर फीमेल गेंडा मिल जाती है तो फिर यहां पर इनकी संख्या में वृद्धि होने लगेगी।

Pragati

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