“समस्तीपुर जिले में अभियान चलाकर लगाए जाएंगे 12.50 लाख फलदार व छायादार पौधे, फिर से हरे-भरे होंगे गांव
समस्तीपुर.फिर से गांवों में हरियाली छायेगी और शुद्ध – ताजी हवा से गांव के लोग सेहतमंद होंगे। पर्यावरण संरक्षण व सामान्य जीवन को आक्सीजन की भरपूर उपलब्धि से निरोगी बनाने की कवायद देर ही सही पर अब शुरू हो गई है। पंचायती राज विभाग, मनरेगा व पर्यावरण एवं वन विभाग के संयुक्त प्रयास से सरकार ने गांवों के पर्यावरणीय असंतुलन को व्यवस्थित करने के लिए गांव-टोले में व्यापक पैमाने पर पौधरोपण करने की योजना को फलीभूत करना शुरू कर दिया है।
मियावाकी पद्धति से पौधरोपण अभियान के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को दी गई है। जिले में 12.50 लाख फलदार व छायादार पौधे लगाए जाएंगे। जुलाई के पहले सप्ताह से शुरू किए गए पौधरोपण अभियान का लाभ जिले के 20 प्रखंडों के 365 पंचायतों व गांवों को मिलेगा। इस पौधरोपण अभियान को सितंबर तक पूर्ण करने की जवाबदेही डीडीसी, जिला पंचायतीराज पदाधिकारी, प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी, बीडीओ,सीओ से लेकर त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के जनप्रतिनिधियों को सौंपा गया है। पौधों की देखभाल के लिए गांव के गरीबों को क्षेत्र गोद दिया जाएगा। मासिक छह हजार रुपये की आमदनी वाले अतिनिर्धन व्यक्ति का चयन वार्ड सदस्य या पंच द्वारा किया जाएगा। चयनित व्यक्ति को पांस साल तक पेड़ की देखभाल और सुरक्षा करनी होगी।
विभाग ने जिलों को निर्देश दिया है कि राज्य के सभी ग्राम पंचायतों में कम-से-कम 1200 पौधे लगाए जाएं। ताकि, पूरे राज्य में हरियाली क्षेत्र बढ़े। सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के जमीन में पौधरोपण किया जाएगा। राज्य सरकार निशुल्क पौधे उपलब्ध कराएगी। विभाग ने कहा है कि जीविका के तहत दीदी की नर्सरी से सबसे अधिक पौधे लिए जाएंगे। वहीं, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से से भी पौधे प्राप्त किये जाएंगे। इसको लेकर नर्सरी में पूर्व से भी तैयारी की गयी है।
200 पौधे लाने की निजी जमीन की उपलब्धता पर पौधे दिये जाते हैं। किसी एक परिवार के पास पर्याप्त भूमि उपलब्ध नहीं हो तो दो-तीन परिवारों की इकाई मानकर भी 200 पौधे दिये जाते हैं। वहीं, सार्वजनिक स्थलों में तालाब, पोखर, ग्रामीण पथों के किनारे तथा विद्यालय, पंचायत भवन परिसर आदि जगहों पर पौधारोपण होगा। उक्त योजना की पंचायती राज विभाग के स्तर पर लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।