Sunday, November 24, 2024
Patna

मध्याह्न भोजन योजना में गड़बड़ी करने वालों की अब खैर नहीं, चावल बेचने पर मिलेगी ये सजा

मध्याह्न भोजन योजना :राज्य के सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में संचालित मध्याह्न भोजन योजना में गड़बड़ी करने वालों की अब खैर नहीं । शिक्षा विभाग के व्हाट्सएप पर आ रही शिकायतों की जांच संबंधित जिले के जिलाधिकारी के माध्यम से 48 घंटे के अंदर करायी जा रही है।

चावल बेचे जाने पर मिलेगी सजा
मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक मिथिलेश मिश्र ने गुरुवार को बताया कि शिकायतों की जांच में दोषी पाये जाने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। चावल बेचे जाने के मामले में एफआइआर होगी और दोषी को जेल भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे कमियां दूर होंगी और योजना के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और बढ़ेगी।

शिकायतें शिक्षा विभाग द्वारा व्हाट्सएप पर ली जाएगी
निदेशक ने बताया कि योजना से जुड़ी शिकायतें अब शिक्षा विभाग द्वारा व्हाट्सएप पर ली जा रही है। आते ही शिकायतें तत्क्षण संबंधित जिले के जिलाधिकारी को भेजी जाती हैं। उसकी जांच जिलाधिकारी द्वारा 48 घंटे के अंदर करायी जा रही है। जांच के दौरान संबंधित अधिकारी द्वारा जांचकर्ता से भी बात की जाती है। रिपोर्ट आते ही कार्रवाई की जा रही है। शिकायत मिलने से लेकर कार्रवाई तक की प्रक्रिया दो दिनों में पूरी की जा रही है।

बुधवार को 38 शिकायतें मिली थीं
उन्होंने बताया कि एक दिन पहले यानी बुधवार की बात करें, तो उस दिन 38 शिकायतें मिली थीं। शिकायतों में स्कूल के नाम का उल्लेख करते हुए कहा गया कि मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं दिया जा रहा है, अंडा कभी-कभी दिया जाता है, उपस्थित बच्चों से ज्यादा बच्चों की उपस्थिति दिखाई जाती है। इसकी भी जांच करवाकर कार्रवाई की जाएगी।

यूपी के बाद बिहार में सबसे अधिक गड़बड़ी
उन्होंने बताया कि देश में उत्तर प्रदेश के बाद बिहार दूसरा राज्य है, जहां मध्याह्न भोजन योजना से आच्छादित स्कूलों की संख्या सबसे ज्यादा है। बिहार में वर्तमान में 68 हजार प्रारंभिक विद्यालयों में योजना के तहत 1ली से 8वीं कक्षा के बच्चों को मध्याह्न भोजन परोसे जा रहे हैं। तकरीबन एक करोड़ बच्चे हर दिन स्कूलों में मध्याह्न भोजन कर रहे हैं। इसके लिए मेन्यू तय हैं।

उन्होंने बताया कि इस योजना के निदेशक के पद पर जब उन्होंने योगदान किया था, तो राज्य में तकरीबन एक हजार स्कूल ऐसे थे, जहां यह योजना कार्यान्वित नहीं हो पा रही थी। आज की तारीख में ऐसे स्कूलों की संख्या घट कर केवल 68 रह गयी है। ऐसे स्कूलों की संख्या घटा कर 20 तक लाने का उनका लक्ष्य है।

Kunal Gupta
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