Monday, November 25, 2024
Patna

Greenfield Expressway को केंद्र की हरी झंडी, बदल जाएगी बिहार की सूरत;110 KM लंबा होगा हाईवे

Greenfield Expressway :सुपौल जिले में छह हाईवे की कनेक्टिविटी है। इसमें से एक है परसरमा-अररिया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस हाईवे। सीमांचल में बनने वाले परसरमा-अररिया नई सड़क से कोसी सीमांचल की 140 गांव की सूरत बदलेगी। इस सड़क से जुड़े प्रारंभिक सोशियो इकोनॉमिक अध्ययन में इस सड़क को पूरे क्षेत्र के लिए काफी उपयोगी माना गया है।यही नहीं पूर्वोत्तर भारत से सीधा संपर्क का यह बेहतर वैकल्पिक मार्ग भी होगा। यह सड़क डिफेंस के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होगी। यह पूरी तरह ग्रीन फील्ड सड़क होगी। केंद्र सरकार ने प्रारंभिक सहमति दे दी है। दूसरे चरण का काम हो रहा है।

पूरे इलाके का होगा कायाकल्प
इस सड़क के बन जाने से पूरे इलाके का कायाकल्प हो जाएगा। आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने से स्थानीय स्तर पर कई बड़े बदलाव भी आएंगे। कृषि उत्पादों को बेहतर बाजार उपलब्ध होगा, उन्हें कम से कम समय में ही पूर्वोत्तर भारत भेज पाना संभव होगा। किसानों की माली हालत सुधरेगी।पूरी तरह नई सड़क होने और नए स्थानों से गुजरने के कारण स्थानीय स्तर पर नए-नए बाजार उपलब्ध होंगे। उत्पादों को नए इलाकों में पहुंचने के लिए बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी। यही नहीं स्थानीय स्तर पर निवेश भी बढ़ेगा। बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे, इससे विकास के नए द्वार खुलेंगे।

बिहार की नेपाल सीमा पर अवस्थित सुपौल एवं अररिया जिला को जोड़ने वाली अंतरराष्ट्रीय महत्व की सड़क सुपौल जिला से होकर गुजरने वाली विभिन्न राष्ट्रीय उच्च पथों को जोड़ती है।राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 106 वीरपुर-बीहपुर पथ, भारतमाला परियोजना की सड़क 527 ए. जो उच्चैठ भगवती स्थान मधुबनी से महिषी तारा स्थान सहरसा तक जाती है तथा 327 ए. सुपौल-भपटियाही सरायगढ़ सड़क जो ईस्ट-वेस्ट-कारिडर सड़क से मिलती है का सीधा संपर्क राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 327 ई. से है।

भारतमाला परियोजना
सुपौल एवं मधुबनी जिले के बीच भेजा घाट पर कोसी नदी में नया पुल भारतमाला परियोजना अंतर्गत बन रहा है। इस पुल के बन जाने से दरभंगा एवं मधुबनी जिले की कोसी क्षेत्र से संपर्कता बढ़ेगी। फलस्वरूप सुपौल-अररिया पथ पर यातायात दबाव बढ़ेगा।

इस सड़क का महत्व इस बात से भी है कि यह विभिन्न व्यापारिक गतिविधियों जैसे बांस, मखाना, मक्का, चावल आदि अनाज की ढुलाई तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से ईस्ट-वेस्ट-कारिडोर का विकल्प है। यह सड़क अभी राष्ट्रीय उच्च पथ के टू लेन मानक पर बना हुआ है, परंतु भविष्य में इस पर यातायात का भारी दबाव बढ़ने की संभावना है।बंगाल एवं नार्थ-ईस्ट जाने में लगभग 80 किमी की बचत होगी,वर्तमान में ईस्ट-वेस्ट-कॉरिडोर का अररिया से गलगलिया तक चौड़ीकरण करने की कार्रवाई भारतमाला परियोजना अंतर्गत की जा रही है। इस सड़क के बन जाने से सुपौल, मधेपुरा, अररिया, मधुबनी, दरभंगा एवं सहरसा जिला के लोगों को बंगाल एवं नार्थ-ईस्ट जाने में लगभग 80 किमी की बचत होगी।

सर्वेक्षण व एलाइनमेंट का काम पूरा
110 किलोमीटर नई सड़क के निर्माण के लिए एरियल फोटोग्रामेट्री सर्वेक्षण का काम पूरा हो चुका है। वहीं एलाइनमेंट भी तय कर लिया गया है। यह परसरमा में बकौर पुल से जुड़ेगी और बरियाही सहरसा से संबद्ध होगी। जबकि दूसरी ओर यह अररिया-गलगलिया में जाकर मिलेगी।इस फोरलेन ग्रीन फील्ड परियोजना पर 4000 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। इसके लिए लगभग 700 हेक्टेयर भू अर्जन होगा। इन सब की तैयारी पूरी हो चुकी है। केंद्र सरकार के समक्ष प्रस्ताव विचाराधीन है दूसरे चरण की स्वीकृति मिलते ही निर्माण की पहल शुरू होगी।

सड़क के लिए भूमि अधिग्रहण होगा आसान
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को ग्रीन कॉरिडोर भी कहा जाता है। यानी ऐसी जगह जहां पर पहले से कोई सड़क नहीं रही हो। इसके लिए कोई बिल्डिंग या सड़क वगैरह तोड़ने का झंझट नहीं रहता है। यानी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे शहरों से काफी दूर और खेतों से निकाले जाते हैं। जैसा कि नाम से ही जाहिर है इसे मैदानों या खेतों के बीच से ही निकाला जाता है। यहां भूमि अधिग्रहण आसान होता है। जमीन समतल होती है और शहर से दूर होने के कारण भीड़-भाड़ भी कम होती है।

Kunal Gupta
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