Monday, November 25, 2024
Patna

बिहारः शराबबंदी क़ानून में संशोधन का मसौदा तय, गिरफ़्तारी के बजाय जुर्माने का प्रावधान

पटना।

ये प्रस्तावित संशोधन शराबबंदी क़ानून को लेकर बिहार सरकार की आलोचना के बाद किए गए हैं. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने राज्य के शराबबंदी क़ानून को लेकर दूरदर्शिता की कमी का हवाला देते हुए कहा था कि इसकी वजह से हाईकोर्ट में बड़ी संख्या में जमानत याचिकाएं लंबित पड़ी हैं.

 

पटनाः बिहार सरकार शराबबंदी कानून में संशोधन करने जा रही है, जिसके तहत पहली बार शराब पीने वालों को गिरफ्तारी के बजाय सिर्फ जुर्माना देकर छोड़ा जा सकता है और उनके खिलाफ मामले को वापस लिया जा सकता है.

 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा जिस वाहनों में शराब पाई जाएगी, उसे भी जब्त करने के बजाय जुर्माना देकर छोड़ा जा सकता है.

 

वहीं, शराबबंदी कानून के उल्लंघन के मामले में तत्काल गिरफ्तारी वाले नियम को हटाया जा सकता है लेकिन अवैध तरीके से शराब बनाने वाले और बेचने वालों के लिए कानून पहले की तरह ही कठोर रहेगा.

 

यह बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम 2016 में होने वाले कुछ संशोधन हैं, जिनका मसौदा तैयार किया गया है. यह प्रस्तावित संशोधन शराबबंदी कानून को लेकर बिहार सरकार की आलोचना के बाद किए गए हैं.

 

बता दें कि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना ने राज्य के शराबबंदी कानून को लेकर दूरदर्शिता की कमी का हवाला देते हुए कहा था कि इसकी वजह से हाईकोर्ट में बड़ी संख्या में जमानत याचिकाएं लंबित पड़ी हैं. एक साधारण जमानत याचिका के निपटान में एक साल तक का समय लग रहा है.

 

इन प्रस्तावित संशोधन मसौदे को लेकर पूछे गए सवालों का राज्य के मद्य निषेध और आबकारी मंत्रालय के मंत्री सुनील कुमार ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस मसौदे को विधानसभा के आगामी बजट सत्र में पेश किया जा सकता है.

 

इस प्रस्ताव में मुख्य संशोधन यह है कि मौजूदा कानून की धारा 37 के तहत शराब पीने पर पांच से लेकर दस साल तक की जेल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है.

 

हालांकि, संशोधनों में जुर्माने की बात कही गई है, जुर्माने नहीं देने की स्थिति में एक महीने की जेल की सजा दी जाएगी. इसके साथ ही बार-बार इसी तरह की घटना को अंजाम देने पर अतिरिक्त जुर्माने या सजा या दोनों का प्रावधान है.

 

इसके अलावा धारा को हटाने का भी प्रावधान है, जिसका मतलब है कि अब मामलों को वापस लिया जा सकता है और अदालतों के अंदर या बाहर दो पक्षों के बीच समझौता किया जा सकता है.

 

वहीं, धारा 57 के तहत शराब ले जाने के कारण जब्त किए गए वाहनों को जुर्माना अदा करने पर छोड़ने की अनुमति देने का भी प्रावधान है.

 

इन संशोधनों में अधिनियम के अध्याय 7 को हटाने का भी प्रावधान है. यह अपराधियों की नजरबंदी से जुड़ा हुआ है, जिसके तहत उनकी गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है. इसमें धारा 67 (बदर की अवधि का विस्तार), धारा 68 (अस्थाई रूप से लौटने की अनुमति), धारा 70 (तत्काली गिरफ्तारी) को हटाना भी शामिल हैं.

 

सूत्रों ने यह भी कहा कि प्रस्तावित संशोधनों की एक अन्य प्रमुख वजह हाल में जहरीली शराब से होने वाली मौतों की घटना में वृद्धि भी है.

Kunal Gupta
error: Content is protected !!