“कंचनजंगा पर लहराया तिरंग,ऑक्सीजन लेवल कम होने बावजूद सफर किया पूरा
बेगूसराय.किताबों में पढ़ी गई कहानी और देखे गए फोटो वाले स्थान पर पहुंचने से कितनी खुशी होती है ये बेगूसराय के वीरपुर निवासी किसान राम बच्चन पंडित के पुत्र अमित कुमार ने महसूस की। बीपीएससी पास कर नगर कार्यपालक पदाधिकारी बने अमित ने जब हिमालय पर्वत श्रृंखला के कंचनजंगा पर राष्ट्रीय ध्वज लहराया।
अमित ने बताया कि 67वां बीपीएससी परीक्षा पास करने के बाद उनका चयन नगर कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर हुआ है। फरवरी से बिपार्ड गया में पांच महीने की प्रारंभिक ट्रेनिंग चल रही है। ट्रेनिंग के दौरान ही 25 अन्य सहयोगियों के साथ पीटी सर के नेतृत्व में एडवेंचर टूर पर भेजने का चयन किया गया।
अमित ने बताया कि दजोंगरी में जब कैंप लगाए तो सुबह में स्लीपिंग बैग बर्फ से पूरी तरह ढंका हुआ था, पानी का बोतल छूते ही शरीर में सनसनी फैल गई थी। 10-15 मिनट पर ही वेदर चेंज होता था, कभी बारिश तो कभी बर्फ की आंधी चलती थी, लेकिन एक-दूसरे के सपोर्ट से पूरा रास्ता आसान हो रहा था। माइनस 13 डिग्री टेम्परेचर में ऊपर पहुंचे तो टारगेट फूल करने का प्राउड हो रहा था।
अमित ने कहा कुछ साथी वोमेटिंग और हेडैक से परेशान हुए, ऑक्सीजन का लो लेवल भी परेशान कर रहा था, लेकिन लिए गए ट्रेनिंग के कारण मेंटली फिट थे। रुकते हुए 17 अप्रैल को जब चोटी पर पहुंच गए तो रास्ते की सभी कठिनाई को भूल चुके थे, अपना राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराया। उसके बाद नीचे की यात्रा शुरू हुई और 19 अप्रैल को प्रारंभिक बेस कैंप पहुंच गए।
क्लाइमेट पूरी तरह से बदला हुआ था
अमित ने कहा 7 अप्रैल को 26 लोगों की टीम सिलीगुड़ी पहुंची। सिलीगुड़ी से ट्रैक द हिमालय के गाइड के नेतृत्व में युक्सुम बेस कैंप से कंचनजंगा फतह करने के लिए निकल पड़ा। 10 अप्रैल की रात साचेन में रुक अगले दिन की चढ़ाई शुरू हुई। फेदांग होते हुए दजोंगरी पहुंचा तो क्लाइमेट पूरी तरह से बदला हुआ था। दजोंगरी ही वह जगह है, जहां से अधिकतर लोग लौट जाते हैं। क्लाइमेट में जबरदस्त परिवर्तन और ऑक्सीजन की कमी आगे का रास्ता रोक लेती है। लेकिन जब जज्बा में लक्ष्य तय रहता है तो कोई भी बाधा सामने नहीं आती है।
17 अप्रैल की सुबह अमित जब कंचनजंगा की चोटी पर पहुंचे
17 अप्रैल की सुबह अमित जब कंचनजंगा की चोटी पर पहुंचे तो सूर्योदय के समय बर्फ से ढंकी पहाड़ी को सोने जैसा चमकता देखकर झूम उठे। वहां तिरंगा लहराया, सेल्फी ली और वापस अपने स्थान की ओर चल पड़े। 20 अप्रैल को वे गया स्थित बिपार्ड पहुंच गए हैं। जहां साथियों के संग इस एडवेंचर के खूब किस्से हो रहे हैं।
अमित जब अपने गांव में स्थित हाईस्कूल में पढ़ रहे थे तो भूगोल की किताब में हिमालय पर्वत की कहानी पढ़ी थी। फोटो में देखा था कि बर्फ से ढंके पहाड़ पर जब सूर्य की किरण पड़ती है तो सोने जैसा चमकता है। देश-विदेश के पर्वतारोही के संबंध में पढ़ते थे तो उसके मन में भी ख्याल आते थे।
नेचुरल लाइफ का अहसास होना बहुत बड़ी बात
चैलेंज हर किसी को स्वीकार करनी चाहिए, हमारा यह एडवेंचर अपने कर्तव्य पथ पर दृढ़ निश्चय और विपरीत परिस्थिति में भी काम करने की क्षमता डेवलप करता है। एडवेंचर ने लाइफ को आगे बढ़ाने में बहुत कुछ सिखाया, प्रकृति से जुड़ना और नेचुरल लाइफ का अहसास होना बहुत बड़ी बात है। लक्ष्य पर पहुंचने के लिए सफलता को पाने की बारिकी सीखनी चाहिए। एवरेस्ट के संबंध में पढ़ते थे, बर्फ से ढंका उजला पहाड़ी देखते थे, अट्रैक्ट करता था। हम चोटी पर पहुंचे तो सनराइज देखना अद्भुत था। क्योंकि किताबों में ही सोने जैसे चमकते पहाड़ को पढ़े और देखे थे।