Wednesday, November 27, 2024
Patna

चैती छठ के आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य:36 घंटे का निर्जला उपवास संपन्न

पटना.लोक आस्था के महापर्व चैती छठ के चौथे दिन आज व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास समाप्त हो गया। सुबह से ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली।

 

 

आचार्य राकेश झा ने बताया कि छठ महापर्व पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बन रहा है। आज पुनर्वसु नक्षत्र और सुकर्मा योग में उदीयमान सूर्य को दूध और जल से अर्घ्य देकर व्रत का समापन हुआ। सूर्य को अर्घ्य देने का समय सुबह 05:40 बजे के बाद का है।

 

प्रातःकाल अर्घ्य देने से होती विद्या, यश और बल की प्राप्ति

 

आचार्य झा ने बताया कि सुबह के समय जल में रक्त चंदन, लाल फूल, इत्र के साथ ताम्रपात्र में आरोग्य के देवता सूर्य को अर्घ्य देने से आयु, विद्या, यश और बल की प्राप्ति होती है। स्थिर एवं महालक्ष्मी की प्राप्ति के लिए सूर्य को दूध का अर्घ्य देना चाहिए।

 

सूर्य देवता को जल से अर्घ्य देने से मानसिक शांति और जीवन में उन्नति होती है। 12 अप्रैल को नहाय खाय के साथ छठ महापर्व की शुरुआत हुई थी। 13 को खरना था। 14 अप्रैल को व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया था।

 

सूर्य के साथ इनकी पत्नी की भी होती है पूजा

 

पंडित झा ने बताया कि सूर्य ऐसे देवता हैं जिनको प्रत्यक्ष देखा जा सकता है I सूर्य की शक्ति का मुख्य स्त्रोत उनकी पत्नी उषा और प्रत्युषा है I छठ में सूर्य के साथ दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना होती है I पहले सायंकालीन अर्घ्य में सूर्य की अंतिम किरण (प्रत्युषा) और फिर उदीयमान सूर्य की पहली किरण (उषा) को अर्घ्य देकर नमन किया जाता है I

 

आरोग्यता और संतान के लिए उत्तम है छठ व्रत

 

पंडित गजाधर झा के मुताबिक सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है। स्कंद पुराण के मुताबिक राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था। उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था। स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है। स्कन्द पुराण तथा वर्षकृतम में भी इस प्रतिहार षष्ठी की वर्णन है I

Kunal Gupta
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