बहू-बेटा ने दगा दिया तो पौत्र बना सहारा, नहींं छोड़ा दादी का साथ, जानिए पुरी कहानी
पटना।आरा। Ara News: निम्न मध्यवर्गीय पारिवारों में आए दिन होने वाले कलह का खामियाजा परिवार के बुजुर्गों को बुरी तरह भुगतना पड़ रहा है। इन्हीं बुजुर्गों में से एक बड़हरा प्रखंड के त्रिभुआनी गांव की निवासी राजमुना देवी घायल अवस्था में सदर अस्पताल में सप्ताह भर तक भर्ती रही।
मां से नाराज बहू-बेटा बीमार मां को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद उनसे पीछा छुड़ा कर वापस लौट गए थे, पर दो नन्हें पोते नीरज और धीरज बीमार दादी से अलग रहने को तैयार नहीं हुए और अस्पताल से छुट्टी मिलने तक बुजुर्ग राजमुना देवी का सहारा बने रहे।
इस बीच सदर अस्पताल में लावारिस मरीजों की सेवा में लगी टीम मदर टेरेसा के संचालक अमरदीप ने भी राजमुना देवी का इलाज कराने में भरपूर मदद की। गुरुवार को स्वस्थ होने के बाद राजमुना देवी अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अस्पताल से विदा होते समय वयोवृद्ध राजमुना देवी ने अश्रुपुरित आंखों से अमरदीप के प्रति आभार प्रकट किया। बताया कि उनके दो बेटे, एक बहू और दो पोते हैं, पर बीामार हालत में नन्हे पोतों ने ही उनका साथ दिया और बेटे से बढ़कर समाजसेवी अमरदीप ने। राजमुना देवी ने बताया कि उनका बड़ा बेटा मानसिक रूप से विक्षिप्त है और छोटा बेटा बिहार से बाहर प्राइवेट नौकरी करता है, जो होली की छुट्टी में घर आया था।
उसने गांव के ही एक व्यक्ति से कर्ज ले रखा था, जिसे वापस लेने के लिए वे लोग रोज तगादा करने आते थे। कर्ज चुकाने के लिए जब मैंने छोटे बेटे पर दबाव बनाया तो वह और उसकी पत्नी मुझसे इस कदर नाराज हो गए कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद मुझे देखने तक नहीं आए।”