बिहार का वह कद्दावर नेता,जिसने जेल में रहकर हिला दी थी इंदिरा गांधी सरकार की नींव
पटना।मुजफ्फरपुर। जॉर्ज फर्नांडीज 1977 में जेल में रहते हुए ही मुजफ्फरपुर संसदीय सीट से अपना पहला चुनाव लड़ा और जीते। उनके चुनाव प्रचार की पूरी कमान कार्यकर्ता संभालते रहे थे। जनता से प्रत्याशी का परिचय कराने के लिए एक पोस्टर बनाया गया था, जिसमें जॉर्ज फर्नांडीज के हाथों में हथकड़ी थी।
पोस्टर पर एक अपील लिखी थी, “ये जंजीर मेरे हाथ को नहीं, भारत के लोकतंत्र को जकड़ी है, मुजफ्फरपुर की जनता इसे अवश्य तोड़ेगी।” जॉर्ज का चुनाव जनांदोलन बन गया और उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज प्रत्याशी नीतीश्वर प्रसाद सिंह को तीन लाख 34,217 मतों की पराजित किया।जॉर्ज फर्नांडीज जेल से रिहा हुए और उन्हें मोरारजी देसाई की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। इसके बाद जॉर्ज फर्नांडीज चार बार और मुजफ्फरपुर से सांसद रहे। उनके प्रचार के लिए पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने भी यहां पर कैम्प किया था और नुक्कड सभा की थी।
उनके चुनाव में सहयोगी के रूप में काम करने वाले समाजवादी नेता डा.हरेन्द्र कुमार ने कहा कि जॉर्ज साहेब पहली बार जब चुूनाव लड़े तो यहां पर उनका चेहरा तक कोई नहीं देखा था। एक पोस्टर के सहारे जनता ने भरोसा जताया। वह जब चुनाव लड़ते तो यहां पर बहुत कम समय देते।इस बीच कार्यकर्ता नुक्कड़ सभा के जरिए पूरे जिले में टोली बनाकर प्रचार करते थे। पहले सोशल मीडिया या प्रचार तंत्र इतना नहीं था। बावजूद इसके जनता के बीच प्रत्याशी व उसके मुददे के बारे में जानकारी हो जाती थी।
बताया कि वह यहां पर कभी भी चुनाव जीतने के बाद अभिनंदन कराने नहीं आए। वह कहते थे कि जिसने वोट दिया और जिसने नहीं दिया हमारे तरफ से सबका अभिनंदन। जनता मेरा हैं। बताते हैं कि एक दो बार तो वह जीत का प्रमाण पत्र भी लेने नहीं आए। उनका प्रतिनिधि जीत का प्रमाण पत्र लिया।
कल्याणी पर होती रही प्रचार की अंतिम नुक्कड़ सभा
जॉर्ज के चुनाव में युवा टोली के साथ सक्रिय रहे प्रो.शब्बीर अहमद ने कहा कि जॉर्ज साहेब पहला चुनाव जीतने के बाद जब भी चुनाव लड़ने की तैयारी करते तो यहां पर सबसे पहले उनके निकट सहयोगी जगदीश देशपाण्डेय आते थे।चुनाव के पहले अगर देश पांडेय आए तो यह माना जाता था कि मुजफ्फरपुर से उनका लड़ना तय हैं। पाण्डेय यहां पर आकर कार्यकर्ता बैठक कर माहौल बनाते। रणनीति तय करते। हर प्रखंड में जाकर बैठक करते। उसके बाद जॉर्ज साहेब के चुनाव लड़ने का एलान होता। नामांकन होता था।
चुनाव प्रचार के अंतिम दिन वह पूरे शहर का भ्रमण करते। खुली जीप में सवार होकर हर चौक पर नुक्कड़ृ सभा करते। उनके आगे-आगे एक टोली चौक पर पहले से प्रचार करती रहती।जब उनका काफिला आता वह टोली आगे निकल जाती। अंतिम जनसभा अधिकांश समय कल्याणी चौक पर होता था। वहां पर जनसैलाब उमडृ़ता था। उसके बाद वह देश में अलग-अलग जगह पर जाकर प्रचार करते।”