Wednesday, November 27, 2024
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“BJP से गिरिराज या राकेश ? कन्हैया पर भी दांव लगा सकती है कांग्रेस,बेगूसराय लोकसभा सीट पर दिलचस्प हुई दावेदारी की रेस

बेगूसराय।लोकसभा चुनाव की घोषणा होने में अब चंद दिन ही बाकी रह गये हैं, कभी भी चुनाव की घोषणा हो सकती। इसको लेकर सभी पार्टियों के नेता चुनाव की तैयारी में जी जान से लग गए हैं। बिहार में राजनीति काफी उफान पर है। लेकिन कौन कहां से चुनाव लड़ेगा, इसकी घोषणा किसी पार्टी ने नहीं किया है।

किसी भी दल या गठबंधन ने शेयरिंग सीट की घोषणा नहीं किया है। इसलिए दलों के अंदर भी एक सीट पर कई प्रत्याशी टिकट लेने के लिए अपनी-अपनी डफली बजा रहे हैं। दोनों प्रमुख गठबंधन एनडीए और इंडी के कार्यकर्ता अपने-अपने हिसाब से प्रत्याशी का चयन कर रहे हैं। दोनों गठबंधन से संभावित प्रत्याशियों की संख्या भी तीन से पांच है।दोनों गठबंधन में प्रत्याशी को लेकर गजब की स्थित है। बेगूसराय सीट पर बीजेपी सिटिंग है और एक बार फिर यहां बीजेपी के ही प्रत्याशी होने की संभावना है। प्रत्याशी को लेकर बीजेपी दो गुट में बंटी है, लेकिन अंदर ही अंदर कई गुट हैं और सभी अपने को अधिक शक्तिशाली मान रहे हैं।

प्रो. राकेश सिन्हा भी टिकट के बड़े दावेदार

2019 में रिकॉर्ड वोट से जीत हासिल करने वाले गिरिराज सिंह केंद्र सरकार में ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय संभाल रहे हैं। एक बार फिर वे बीजेपी से टिकट लेने के लिए अगली पंक्ति में हैं। वह लोगों को बता रहे हैं कि हमारे सांसद बनने के बाद बेगूसराय में 60 हजार करोड़ से अधिक के विकास कार्य हुए हैं। विभिन्न क्षेत्र में लगातार सक्रिय है तथा इनका पलड़ा भारी दिख रहा है।तो दूसरी ओर बेगूसराय के ही निवासी और वर्तमान में राज्यसभा सांसद प्रो. राकेश सिन्हा भी टिकट के बड़े दावेदार हैं। वह करीब 4 वर्षों से बेगूसराय में काफी सक्रिय हैं और भाजपा के विभिन्न अभियान को लेकर गांव-गांव जा रहे हैं, मोदी सरकार की योजना को बता रहे हैं। लोगों से संपर्क कर रहे हैं और उनके गुट का दावा है कि टिकट जरूर मिलेगा।

बोगो सिंह की भी चर्चा

ऑफ द रिकॉर्ड कार्यकर्ता कहते हैं कि सामने से दो गुट हैं, लेकिन पीछे से और भी काफी सक्रिय हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री रह चुके पूर्व एमएलसी रजनीश कुमार 2019 के चुनाव में भी भोला सिंह का उत्तराधिकारी बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने काफी प्रयास भी किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली। अभी एक बार फिर वह टिकट के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।संभव यह भी है कि बीजेपी इन तीनों में से किसी को टिकट नहीं देकर गंगा के पार यानी पटना जिला के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार दे। वह संभावित प्रत्याशी पद्मश्री डॉ. सीपी ठाकुर के पुत्र और वर्तमान में राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर भी हो सकते हैं। संभावना तो यह भी है कि मटिहानी से चार बार एमएलए रह चुके और भाजपा नेतृत्व के करीब पहुंच चुके बोगो सिंह को भी चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।बीजेपी के नेता इस संबंध में अभी कुछ नहीं बोल रहे हैं। लेकिन बीजेपी युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष सुमित सन्नी कहते हैं कि भाजपा में कोई गुटबंदी नहीं है। हम नरेन्द्र मोदी को जानते और मानते हैं, जो कमल लेकर आएंगे, पूरी पार्टी उनके साथ होगी। कमल का चिन्ह लेकर आने वाले प्रत्याशी पिछले बार से भी अधिक रिकार्ड वोट से जीत कर पार्लियामेंट जाएंगे।

जदयू और हम इस मामले में अभी चुप

चर्चा यह भी है कि 2009 के चुनाव में जिस तरह से एनडीए ने सवर्णों के इस परंपरागत सीट पर डॉ. मोनाजिर हसन को टिकट देकर दांव खेला तथा वे संसद पहुंच गए। उसी तरह से इस बार भी नया दांव खेला जा सकता है। एनडीए के अन्य सहयोगी दल जदयू और हम इस मामले में अभी चुप है। इन दलों के नेता कुछ नहीं बोल रहे हैं, यह लोग बस इंतजार में है कि गठबंधन जिसे टिकट देगा वही हमारा प्रत्याशी होगा।

महागठबंधन में भी कई दावेदार

बात महागठबंधन की करें तो उसमें अब तक पांच प्रत्याशी निकलकर सामने आए हैं। महागठबंधन में इस सीट पर कांग्रेस का दावा मजबूत है। नगर कांग्रेस अध्यक्ष ब्रजेश कुमार प्रिंस का कहना है कि बेगूसराय हमारी परंपरागत सीट है। इसलिए महागठबंधन एक होकर कांग्रेस प्रत्याशी को मैदान में उतारे। एक कार्यकर्ता कहते हैं कि विगत चुनाव में सीपीआई यहां से हारी, इसलिए कांग्रेस को सीट मिलना चाहिए। सीपीआई से पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह तथा पूर्व विधायक और अभी के जिला मंत्री अवधेश राय टिकट लेने की कतार में खड़े हैं। दोनों में से किसे टिकट मिलेगा यह कहना मुश्किल होगा।सीट पर दावा कर रही कांग्रेस में तीन प्रत्याशी कतार में हैं। जिसमें सबसे अधिक मजबूत दावा कन्हैया कुमार का है। लेकिन पार्टी कन्हैया कुमार के बदले महिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अमिता भूषण या जिलाध्यक्ष अभय कुमार सिंह सार्जन को टिकट दिया जा सकता है। कन्हैया कुमार पिछली बार सीपीआई के प्रत्याशी बने और हार गए थे। लेकिन चुनाव के बाद में कांग्रेस में चले गए और राहुल गांधी के करीबी हैं।

कन्हैया को भी उम़्मीदवार बना सकती है कांग्रेस

माना जा रहा है कि कांग्रेस जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया को टिकट देकर बेगूसराय लोकसभा से मैदान में उतार दे। हालांकि चर्चा है कि कन्हैया कुमार देश की राजनीति में सक्रिय होने के कारण बेगूसराय में नहीं हैं। पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजेगी, इसलिए उन्हें चुनाव मैदान में नहीं उतर जाएगा। ऐसे में पूर्व एमएलए और महिला कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी अमिता भूषण पार्टी की पहली पसंद हो सकती है। क्योंकि वह जिले की राजनीति में काफी सक्रिय है। हालांकि, जिलाध्यक्ष अभय कुमार सिंह सार्जन लंबे समय से टिकट के लिए प्रयासरत हैं और उन्हें टिकट मिल सकता है।महागठबंधन के अन्य दलों की बात करें तो 2019 में राजद प्रत्याशी तनवीर हसन तीसरे नंबर पर रहे थे। वह लालू प्रसाद यादव के करीबी हैं और कांग्रेस एवं सीपीआई के बीच सीट बंटवारे को लेकर अगर अंदरूनी मनमुटाव हुआ तो राजद तनवीर हसन को यहां से मैदान में उतर सकती है। हालांकि जदयू से अलग होकर कर्पूरी जनता दल बनाने वाले रामवदन राय भी लालू यादव के टच में हैं और उन्हें मौका मिल सकता है।

सभी दल के अपने-अपने दावे

फिलहाल बिहार के अन्य हिस्सों की तरह बेगूसराय जिले का राजनीतिक तापमान चरम पर है। सभी गठबंधन और सभी दल के अपने-अपने दावे हैं, अपना-अपना राजनीतिक और सामाजिक गणित है। पार्टी या गठबंधन ने अभी कोई घोषणा नहीं की है। लेकिन सभी दालों के संभावित प्रत्याशी के समर्थक अपने-अपने तरीके से चर्चा कर रहे हैं, टिकट दिला रहे हैं।सोर्स: भास्कर।

Kunal Gupta
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