बिहार में लोकसभा की 40 सीटें, पर एनडीए के घटक दलों का दावा 50 सीटों पर पहुंचा
पटना।बिहार की लोकसभा सीटों के लिए एनडीए के घटक दलों के दावों की मानें तो सीटों की संख्या 50 होती है; जबकि बिहार में 40 सीटें ही हैं। दावा और असलीयत के बीच की 10 सीटों के इस बड़े फासले को पाटना एनडीए की बड़ी चुनौती है। हालांकि उसे भरोसा है कि सीट शेयरिंग सहूलियत से हो जाएगी। ऐसा इसलिए भी कि अबकी सभी को मिलकर सभी 40 सीटों को जीतना है। पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 40 में से 39 सीटें जीती थीं। 1 सीट कांग्रेस को मिली थी।
पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए में सिर्फ 3 पार्टियां थीं-भाजपा, जदयू और लोजपा। भाजपा-जदयू को 17-17 सीटें मिली थीं। 6 सीटों पर लोजपा लड़ी थी। जदयू की 1 सीट किशनगंज पर कांग्रेस जीती। किंतु बीते 5 वर्षों पर में एनडीए का चेहरा-स्वरूप बहुत बदला। जदयू, भाजपा से अलग होकर फिर भाजपा के साथ हुई। लोजपा टूटकर 2 पार्टी बनी।
दोनों एनडीए में रहते हुए सीटों के दावेदार हैं। जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा का राष्ट्रीय लोक मोर्चा एनडीए के साथ है। वीआईपी के मुकेश सहनी की इंट्री भी हो सकती है। इन तमाम पार्टियों के एनडीए में जुटान तथा सीटों को लेकर उनकी दावेदारी ने सीट शेयरिंग को बहुत बड़ा टास्क बनाया हुआ है।
चाचा-भतीजा की लड़ाई बड़ी दिक्कत
चाचा (पशुपति कुमार पारस) और भतीजा (चिराग पासवान) शुरू से भिड़े हुए हैं। इसी लड़ाई में लोजपा टूटी। लोजपा के 5 सांसद पारस के नेतृत्व वाली लोजपा साथ रहे। पारस केंद्रीय मंत्री हैं। लोजपा के दूसरे गुट के अध्यक्ष चिराग बने। चाचा-भतीजा, दोनों खुद की पार्टी को असली लोजपा व रामविलास पासवान का वारिस बताते हैं।
खैर, टिकट बंटवारे के क्रम में चर्चा की एक लाइन यह भी है कि पारस को राज्यसभा भेज दिया जाए और लोकसभा की सीटें चिराग को दी जाएं। पारस गुट को प्रिंस राज के लिए एक सीट देकर संतुष्ट करने की कोशिश हो सकती है। देखने वाली बात होगी कि पारस इस लाइन को मंजूर करते हैं या नहीं? यह लाइन भी खूब जिंदा है कि अगर चिराग को मनमुताबिक सीटें न मिली, तो वे महागठबंधन की तरफ जा सकते हैं।
(नोट :- यह स्थिति तब है, जब पशुपति कुमार पारस राज्यसभा की 1 व लोकसभा की 1 सीट से संतुष्ट हो जाएं। इससे बाकी पार्टियों की एकाध सीटें इधर-उधर हो सकती हैं। मुकेश सहनी अगर एनडीए में आएं, तो उनको 1 सीट मिलेगी।)
हमने पिछले चुनाव में 17 सीटें जीती थी। ये हमें चाहिए।
-(भाजपा की आधिकारिक लाइन).
सीटिंग-गेटिंग के हिसाब से हम 16 सीटों के हकदार हैं।
-(यह बात जदयू लगातार कहता रहा है।).
हमें 3 सीटें चाहिए।
-(राष्ट्रीय लोक मोर्चा)
हम 3 सीटों पर लड़ेंगे।
-(हम).
मुकेश सहनी एक फैक्टर : वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी खुद को दोनों तरफ (एनडीए-महागठबंधन) के लिए पेश किए हुए हैं। उन्होंने कहा-हम गेम बना भी सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं। हम दोनों पक्षों के लिए जरूरी हैं। जो पार्टी, गठबंधन हमारे एजेंडे को स्वीकार करेगी, हम उसके साथ होंगे।
हमें 6 सीटें चाहिए। यह हमारी डिमांड नहीं, बल्कि यह गठबंधन धर्म का बाकायदा तकाजा है। हमने पिछले चुनाव में 6 सीटें जीती थीं। हाजीपुर सीट पर तो किसी हाल में कोई समझौता नहीं होगा। -राजेश भट्ट (प्रदेश मुख्य प्रवक्ता, लोजपा रामविलास)
हमें 5 सीटें चाहिए। राजनीति में सिटिंग-गेटिंग का स्थापित फार्मूला है। गठबंधन धर्म भी यही कहता है। हमारे 5 सांसद हैं। वैसे एनडीए का शीर्ष नेतृत्व जो कहेगा, वह हमें स्वीकार्य होगा। चूंकि मकसद सभी 40 सीटें जीतना है। -श्रवण अग्रवाल, राष्ट्रीय प्रवक्ता रालोजपा