महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी,48 घंटे उनके लिए निर्णायक
पटना.बिहार की पॉलिटिक्स में मल्लाहों के स्वघोषित शौ-मैन और ‘सन ऑफ मल्लाह’ मुकेश सहनी अब महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं। उनके सलाहकारों ने इसकी हरी झंडी दे दी है। हालांकि अंतिम पांसा फेंकने मुकेश सोमवार को दिल्ली भी पहुंचे। भाजपा के आला नेताओं से मिलने की संभावना है। अगले 48 घंटे उनके लिए निर्णायक हैं। दरअसल मल्लाह जाति को फिलहाल किसी भी तरफ (NDA या INDIA) से ‘अनुसूचित जाति’ में शामिल करने का ठोस आश्वासन नहीं मिलने से वे अब तक अपनी आगे की जमीन ही तलाश रहे हैं। उनकी इच्छा अपनी पार्टी वीआईपी को बिहार में 2, उत्तर प्रदेश में 1 और झारखंड में भी 1 लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ाने की है। इसमें से कितनी सीटों पर किस तरफ से समझौता करना है, ये अगले 48 घंटे में उन्हें तय करना है।
2019 लोकसभा चुनाव महागठबंधन से लड़े, सभी 3 सीटों पर हार
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार करने से मुकेश सहनी की बिहार के चुनाव में इंट्री हुई थी। तब वे ‘निषाद विकास संघ’ बना मल्लाहों को संगठित कर रहे थे। 2015 विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने भाजपा की मदद की, पर 2018 में पटना में मल्लाहों की रैली करके अपनी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) की स्थापना की और 2019 लोकसभा का चुनाव महागठबंधन के बैनर तले लड़ा। खगड़िया लोकसभा सीट से खुद तो 2.94 लाख वोट से हारे ही, मधुबनी और मुजफ्फरपुर सीट से भी उनके उम्मीदवार हार गए।
2020 में विस चुनाव एनडीए के साथ लड़े, 4 सीटों पर जीते
2020 विधानसभा चुनाव के ठीक पहले महागठबंधन में सीट को लेकर उनकी महागठबंधन नेता तेजस्वी यादव से ऐसी अनबन हुई कि सीट शेयरिंग के ऐलान के ऐन मौके पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाते हुए प्रेस कांफ्रेंस से निकल गए। फिर भाजपा से 11 विधानसभा सीट लेकर लड़े, 4 सीटों पर उनकी वीआईपी जीती, हालांकि मुकेश सहनी खुद सिमरी बख्तियारपुर सीट से 1800 मतों से हार गए।
एमएलसी बना भाजपा ने मंत्री बनाया, फिर विधायक तोड़े
भाजपा ने उन्हें एमएलसी बना बिहार सरकार में पशुुपालन एवं मत्स्य मंत्री बनाया। पर उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने की मुकेश की महत्वाकांक्षा के कारण भाजपा ने उनके 3 एमएलए को भाजपा में शामिल कर और उन्हें मार्च 2022 में मंत्रिमंडल से बाहर कर फिर से सड़क पर उतार दिया। तब से अब तक वे बिहार, उत्तरप्रदेश और झारखंड में घूम-घूम कर मल्लाहों को गंगा जल की कसम खिला संगठित कर रहे हैं।