पूर्व डिप्टी सीएम जानते हैं लालू राज उनके लिए रोड़ा…लेकिन लालटेन के लिए लालू जरूरी,तेजस्वी के BAAP के नारे के मायने समझिए
पटना।डिप्टी सीएम से नेता प्रतिपक्ष बनते ही तेजस्वी यादव सदन छोड़ सड़क पर उतर गए हैं। 20 फरवरी से उन्होंने अपने जन विश्वास यात्रा की शुरुआत की है। अपनी यात्रा के पहले दिन ही तेजस्वी ने नए नारे के साथ चुनाव में अपनी मंशा साफ कर दी है। 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद को A 2 Z की पार्टी बताने वाले तेजस्वी ने अब इसे BAAP (बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी और पुअर) की पार्टी कहा है।
सियासी गलियारों में इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। कोई इसे राजद का तेजस्वीकरण कह रहा हैं तो कोई इस नारे से ये साबित कर रहा हैं कि राजद लालू यादव की पार्टी है और तेजस्वी लालू यादव के साये से अभी तक बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। इन सबसे तेजस्वी इस नारे के साथ एक बार से चर्चा के केंद्र में आ गए हैं। हमने एक्सपर्ट की मदद से तेजस्वी के इन नारे के मायने को समझने की कोशिश की है।
क्या लालू राज के साये से बाहर निकलना चाहते हैं तेजस्वी
बीजेपी और नीतीश कुमार दोनों लगातार लालू यादव पर हमलावर हैं। वे राजद की नीतियों से ज्यादा जनता को 2005 से पहले के बिहार की याद दिलाते हैं। वे लालू-राबड़ी के काल को जंगल राज और गुंडा राज की संज्ञा देते हैं। ऐसे में तेजस्वी जनता को ये संदेश देने की कोशिश में जुटे हैं कि ये नया राजद है। ये तेजस्वी का राजद है। यही कारण है कि नीतीश सरकार से हटने के बाद राजद दफ्तर में जो बड़ा पोस्टर लगा, उसके पोस्टर बॉय केवल तेजस्वी यादव रहे। लालू यादव भी खुद सामने आने की बजाय तेजस्वी यादव को आगे कर रहे हैं।
क्या इस नारे से राजद के कार्यकर्ता कनेक्ट हो पाएंगे
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि लालू यादव अपने ठेठ देसी अंदाज के लिए जाने जाते हैं। उनकी रैलियों का नाम हुआ करता था गरीब रैली…लाठी पिलावन रैली। 2020 में भी उनकी एक रैली ने राजद में जोश भर दिया था, जब उन्होंने कहा था कि उठो बिहारी.. करो तैयारी.. जनता का शासन अबकी बारी। तेजस्वी के इस नारे से राजद से युवा तो जुड़ सकते हैं, लेकिन पुराने कार्यकर्ताओं को इससे परेशानी हो सकती है।
संजय यादव के राज्यसभा भेजे जाने के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में अब इस तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि राजद को अब पटना की जगह दिल्ली से संचालित किया जा रहा है।
क्या एक तीर से दो निशाने साधना चाहते हैं तेजस्वी
सियासत के जानकार कहते हैं कि राजद मतलब लालू और लालू मतलब लालटेन। इस बात को तेजस्वी भी अच्छे से जानते हैं। जब से राजद का गठन हुआ है, तब से लालू यादव ही इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। BAAP का एव्रीविएशन वे भले कुछ कर लें, लेकिन मैसेज यही जाना है कि सच में उनकी पार्टी ‘बाप’ यानी लालू प्रसाद यादव की ही है। ऐसे में वे अपना दायरा बड़ा करने के साथ अपने कार्यकर्ताओं को भी मैसेज देना चाहते हैं कि राजद अभी भी लालू यादव की ही पार्टी है।
17 साल बनाम 17 महीने के बीच लालू राज रोड़ा
पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि तेजस्वी यादव आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव को 17 साल बनाम 17 महीने के ईर्द-गिर्द रखना चाहते हैं। वे नौकरी और रोजगार को मुद्दा बनाकर खुद को युवाओं का हितैषी साबित करना चाहते हैं। लेकिन, विपक्ष उनको लालू और राबड़ी राज में घेर लेता है। यही कारण है कि तेजस्वी लालू यादव के साये से तो बाहर निकलना चाहते हैं। पिछले चुनाव में वे कई मंचों पर माफी मांगते हुए भी दिखे हैं। हालांकि, इस बात को वे भी अच्छे से समझते हैं कि जनता के लिए अभी लालटेन मतलब लालू यादव ही हैं।
अपना दायरा बढ़ाने की जुगत में जुटे हैं तेजस्वी
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि इस तरह के नारे देकर तेजस्वी यादव अपनी पार्टी को विस्तार देना चाहते हैं। उनकी पार्टी पर ठप्पा लगा हुआ है कि वह यादवों और मुसलमानों की पार्टी है। इसलिए वे अब दायरा बढ़ाना चाहते हैं। विधानसभा चुनाव के समय उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी ए टू जेड की पार्टी है। अब आरजेडी को बाप की पार्टी कहकर उन्होंने इसका दायरा संकुचित कर दिया है।
बाप का फॉर्मूला जो उन्होंने बताया है उसमें सभी वर्ग नहीं आते हैं। यह आगे बढ़कर पीछे हटना हुआ। जनता जानती है कि किस पार्टी का क्या चरित्र है! किसने क्या काम किया, किसने कमाई की, जनता के साथ कैसा रिलेशन रहा, इस सब के आधार पर वोटिंग होती है। यह सच है कि जाति देखकर भी लोग वोट करते हैं, लेकिन जनता अब पहले से काफी जागरूक हो गई है।
A 2 Z के नारे के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनी थी राजद
पिछली बार विधानसभा चुनाव में जब तेजस्वी यादव ने A 2 Z का नारा दिया था तो बिहार विधानसभा में RJD सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। पार्टी के को 23.5 फीसदी वोट मिले थे और 75 विधायक जीतकर आए थे। तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ा गया ये पहला चुनाव था। पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि इस चुनाव के बाद ये लगभग साफ हो गया था कि वे पिता के साए से बाहर निकल गए हैं। यही कारण अब तेजस्वी एक बार फिर से पार्टी के नारे और पार्टी नीति अपने हिसाब से तय करने में जुट गए हैं।
किसी की पार्टी बना लें असर नहीं पड़ेगा- बीजेपी
बीजेपी विधायक व पूर्व मंत्री जिवेश मिश्रा ने कहा कि ये कभी माई की तो कभी बाप की बात करते हैं। तेजस्वी यादव कभी माई के बाहर नहीं जा सकते। चाहे वे कल के डेट में नाना, नानी, काका, काकी बना लें। इसका कोई असर चुनाव पर नहीं पड़ेगा। बिहार का मानस एनडीए के पक्ष में है। एनडीए का मतलब ही है विकास।
वे केवल माय-बाप करते हैं हमारे लिए सभी समान- जदयू
पूर्व मंत्री और जेडीयू नेता मदन सहनी कहते हैं कि तेजस्वी यादव अपनी पार्टी को माई की पार्टी बना लें या बाप की पार्टी बना लें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। इनकी वापसी अब संभव नहीं है। जनता इनके साथ नहीं है। बिहार के लोग नीतीश कुमार के साथ हैं। वे माई-बाप करते हैं पर हम सभी वर्ग की बात करते हैं चाहे वह अगड़ा हो या पिछड़ा ! सोर्स;भास्कर।