Friday, November 22, 2024
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समस्तीपुर:लाकडाउन का खौफ,कोरोना की पाबंदी देख परदेश कमाने गए लोग फिर से अपने गांव लौटने लगे हैं।

समस्तीपुर । दशहरा, दीपावली और छठ त्योहार के बाद परदेश कमाने गए लोग फिर से अपने गांव लौटने लगे हैं। परिवार के लोगों की इनसे काफी उम्मीदें थी। लेकिन कोरोना काल के पुराने कड़वे अनुभवों के बिना पैसे कमाए ही घर लौटने को बाध्य कर दिया। कुछ इसी प्रकार का दर्द लिए बुझे मन से कई लो अब परदेश की नौकरी छोड़ अपने घर लौटने लगे हैं। स्वजनों से किए गए वादे आज भी याद हैं, लेकिन खतरा बढ़ने लगा। ऐसे में परदेश से लौटने में ही भलाई थी। संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में जिस तरह संपूर्ण लॉकडाउन लगा था उसका कड़वा अनुभव भी था। लोग फिर से उसी दुख भरी जिदगी घर परिवार से दूर रहकर झेलना नहीं चाहते। यही कारण है कि परदेशी उम्मीदों को तिलांजलि देकर लौट रहे हैं। कुछ इसी तरह की बातें समस्तीपुर जंक्शन पर ट्रेन से उतरे शिवाजीनगर प्रखंड के रहियार पंचायत निवासी शंकर मुखिया, विपिन कुमार, रमेश दास समेत अन्य लोग कह रहे थे। दरअसल, कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण अब हर और सख्ती बढ़ने लगी है। इसे देखते हुए दूसरे राज्य में रह रहे लोगों को संपूर्ण लाकडाउन की घटना याद आने लगी। उस समय बड़ी मुश्किल से अपने घर लौटने का जुगाड़ मिल रहा था। ऐसे में इस बार नौबत को आने से पहले ही लोग अपने-अपने घर की ओर लौटने लगे है। निराशा के साथ आना पड़ रहा वापस

उजियारपुर निवासी महेश महतो ने बताया कि नई दिल्ली में एक कंपनी में काम करता था। लाकडाउन की संभावना को देखते हुए अपने घर लौट आए है। उसने बताया कि छठ के बाद ही नौकरी करने गए थे। थोड़ी बहुत कमाई हुई थी कि फिर से कोरोना का खतरा बढ़ने लगा। ऐसे में पिछले साल लौटने में हुई परेशानी की वजह से संक्रमण के शुरुआती दौर में ही अपने गांव लौट आए है। पिछली बार की समस्या को याद कर पहले लौटे घर :

शिवाजीनगर प्रखंड के बंधार गांव निवासी रवि राम ने बताया कि कोरोना की पहली लहर जब आई थी तब सूरत में कपड़ा मिल में काम करते थे। कोरोना के कारण कंपनी बंद हो गई थी। उस समय दाने-दाने के लिए मोहताज होना पड़ा था। बड़ी मुश्किल से घर पहुंचे थे। दूसरी लहर के बाद फिर से प्रदेश की ओर नौकरी के लिए रुख किया, लेकिन इस बार दिल्ली में ही एक कंपनी में काम मिल गया। कुछ दिनों से कोरोना के फिर से मरीज मिलने लगे। स्थिति गंभीर हो इससे पहले ही निराश होकर घर आ गए।

Kunal Gupta
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