दोनों हाथ कट चुके हैं,मजदूरी कर चलता है जितेंद्र का घर, अब सरकार से मदद की गुहार
patna:-मुजफ्फरपुर.महज 10 वर्ष की उम्र में जितेंद्र के दोनों हाथ कट गए। हाथ कटने के बाद भी जितेंद्र ने हिम्मत नही हारी। मेहनत जारी रखा। आज मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है। साथ ही अपने बच्चों को उच्च शिक्षा भी दिलवा रहा है।
10 साल की उम्र में कटा हाथ
दरअसल, जिले के बोचहा प्रखंड के स्वर्गीय राम प्रीत पासवान के बेटे जितेंद्र पासवान (52) आज मिशाल कायम कर रहे हैं। आज वो दूसरो के लिए प्रेरणा बन रहे हैं। जितेंद्र का जन्म वर्ष 1972 में हुआ। जितेंद्र के पिता का देहांत वर्ष 1975 में हो गया। उस समय जितेंद्र महज तीन साल के थे। जैसे तैसे मां ने पाल पोस कर बड़ा किया। जब जितेंद्र 10 वर्ष के थे, तभी एक दुर्घटना में उनके दोनों हाथ में चोट लग गई। पैसे के अभाव में वो अपना इलाज नहीं करवा पाया।
धीरे-धीरे दोनों हाथों में घाव हो गया, जिस कारण डॉक्टर ने उसका दोनों हाथ काट दिया। इसके बावजूद जितेंद्र ने हिम्मत नहीं हारा। कुछ दिनों के बाद वो मजदूरी करना शुरू कर दिया। वर्ष 2000 में उसकी शादी इंदु देवी से हुई। कुछ दिनों के बाद एक बेटी को जन्म दिया। 17 साल की उम्र में बेटी की दोनों किडनी खराब होग। जितेंद्र के पास बेटी के इलाज के लिए पैसा नही था, जिस कारण बेटी की मौत हो गई। जितेंद्र को विकलांग पेंशन के रूप में प्रति माह 400 रुपया मिलता है।
जितेंद्र को अभी दो बेटी और एक बेटा है। बड़ी बेटी 14 वर्ष और छोटी बेटी 12 वर्ष की है। वही बेटा करीब 18 वर्ष का है। बड़े बेटी आठवी कक्षा और छोटी बेटी सातवी कक्षा में पढ़ती है। बेटा 10 पास कर 11वी में नामांकन लिया है।
पत्नी जीविका में करती है काम
जितेंद्र औसतन 200 रुपया प्रति दिन कमाई करता है। इससे घर चलाने में काफी परेशानी होती है। तीनों बच्चों की पढ़ाई भी सही से नहीं हो पाता है, जिस कारण जितेंद्र ने अपनी पत्नी इंदु देवी को जीविका समूह से जुड़वा दिया। जीविका के द्वारा इंदु देवी को एक दुकान दिया गया है। जिसमें नाम मात्र का सामान रहता है। दोनो के कमाई से घर का खर्चा जैसे तैसे चल रहा है।
पैसे के अभाव में बेटी की हुई मौत
जितेंद्र के बड़ी बेटी को किडनी की बीमारी हो गई। ग्रामीणों से चंदा लेकर उनसे अपनी बेटी का इलाज करवाया। पटना से लेकर दिल्ली तक बेटी का इलाज करवाया। लेकिन इलाज में पैसे की और जरूरत थी। जो जितेंद्र के पास नही था। जिस कारण पीएमसीएच में बेटी ने इलाज के अभाव में दम तोड दिया।
बचपन में पिता की हुई मौत
जितेंद्र के तरह ही उसके पिता भी मजदूरी का काम करते थे। जितेंद्र ने बताया कि जब वो तीन साल का था, तभी उसके पिता की मौत हो गई। उसने ग्रामीणों पर हटाया का आरोप लगाया। लेकिन पहुंच और पैरवी नहीं होने के कारण उसे इंसाफ नहीं मिला।
पैसों की रहती है तंगी
जितेंद्र ने बताया कि वो मजदूरी कर पाना घर चलाता है। आज महंगाई काफी बढ़ चुकी है। वो प्रतिदिन 150 से 200 रुपया कमाता है। जो घर के राशन पानी खरीदने में ही खत्म हो जाता है। बच्चो की पढ़ाई भी सही से नहीं हो पा रही है। जैसे तैसे बच्चो को पढ़ा रहा है। सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही है। हम सरकार से मदद की गुहार लगाते है।