Monday, November 25, 2024
Patna

स्नेहा दास ने ब्रेकअप के बाद क्रैक किया JEE,कहा कोटा ने डिप्रेशन से निकाला,पढ़ें छात्रा की स्टोरी

Success Story:patna:Education;कोलकाता की स्नेहा दास. छोटी-सी उम्र में जिसे फोबिया के चलते घर से बाहर निकलने में डर लगता था. हालात ऐसे हुए कि प्रेम में भी हार मिली, फिर डॉक्टर ने क्ल‍िनिकल डिप्रेशन और बाइपोलर डिसऑर्डर डायग्नोज किया. दवाएं और काउंसिलिंग के साथ ही की पढ़ाई और क्रैक क‍र दिया आईआईटी एग्जाम. आइए जानते हैं स्नेहा की कहानी, उन्हीं की जुबानी. 

 

 

मैं कोलकाता के एक ऐसे परिवार में जन्मी जहां बहुत ज्यादा पढ़ाई का माहौल नहीं था. न ही माता-पिता के पास इतना पैसा था कि हम भाई बहन की पढ़ाई पर दिल-खोलकर इनवेस्ट कर सकें. ये कहानी वैसे तो बहुत खास नहीं है, फिर भी कई मंचों से मैं अपनी कहानी इसलिए साझा करती हूं ताकि मेरे जैसी समस्याओं से घ‍िरे युवा कुछ सीख सकें.

 

फोटोग्राफी करते हैं पिता

मैंने साल 2021 के उस दौर में बारहवीं परीक्षा पास की जब देश में कोरोना के कारण एग्जाम टाल दिए गए थे. मेरे पास होना या कुछ करने का सपना इतना बड़ा नहीं था, जितनी ज्यादा बड़ी मेरी पारिवारिक और मानसिक द‍िक्कतें थीं. मेरे घर का माहौल भी बहुत खास अच्छा नहीं था. मेरे पिता एक फोटोग्राफी करके घर चलाते हैं और मां हाउसवाइफ हैं. मुझे बचपन से ही कहा जाता था कि जिंदगी में कुछ बड़ा करना है तो पढ़ाई कर लो.

 

 

11वीं के बाद से ही बाहर निकलने पर होती थी घबराहट

खैर मैं बताती हूं कि कैसे 11वीं 12वीं की पढ़ाई मैंने नेताजी सुभाष स्कूल से की. मुझे 11वीं के बाद ही घर से निकलने से डर लगता था, ऐसा लगता था कि मैं चली गई और घर पर कुछ मम्मी के साथ कुछ हो गया तो… खैर जैसे तैसे मैंने स्कूल जाना शुरू किया. वहां मेरा स्पेशल फ्रेंड बना. उससे म‍िलकर लगा कि कोई मुझे इतना अच्छे से समझता है. उसने जब मुझसे पूछा कि मैं इतना डरी सहमी क्यों रहती हूं. तब मेरा मन और उसे समझने लगा. उसने मुझे समझाया कि क्लासेज करो, पढ़ाई में मन लगाओ मैं तुम्हारे साथ हूं. इस तरह मेरी दोस्ती उसके साथ हो गई. फिर धीरे धीरे मेरे अंदर उसे लेकर फीलिंग आ गईं. इस तरह मैं डेढ साल तक इस रिश्ते में रही.

 

 

इतना आसान नहीं था कोटा जाना

फिर इस रिश्ते में ब्रेक आया जब उन्होंने डिसाइड किया क‍ि नीट की तैयारी के लिए कोटा जाएंगे. मैंने भी जाने को कहा तो उधर से जवाब मिला कि तुम यहीं तैयारी कर लो, वरना वहां ध्यान भटकेगा. एक तरह से वो ब्रेकअप ही था. फिर भी मैं इस रिश्ते को बचाना चाहती थी तो मैंने कहा कि ठीक है मैं नहीं जाऊंगी. लेकिन मम्मी ने जब मुझे बहुत समझाया तो मैंने कोटा जाना तय किया. मैंने जब आगे पढ़ाई का सोचा तो कोटा में देने के लिए फीस भी नहीं थी. जिसमें मेरी नानी ने पूरी मदद की. उन्होंने अपने रिटायरमेंट फंड से मिला पूरा पैसा मुझ पर लगा दिया.

Kunal Gupta
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