समस्तीपुर जिले का 52 वा स्थापना दिवस समारोह,जाने Samastipur का इतिहास
Samastipur News;समस्तीपुर जिले का 52 वा स्थापना दिवस समारोह 2023 कल मनाया जाएगा। जिला स्थापना दिवस की शुरुआत स्वच्छता मार्च से होगी। स्वच्छता मार्च प्रातः 6:30 में समाहरणालय ,समस्तीपुर से प्रारंभ होकर कर्पूरी बस पड़ाव – ताजपुर रोड – आरएसबी इंटर कॉलेज रोड- काशीपुर चौक – जिला परिषद मोड़ – विकास भवन गेट से होते हुए पटेल मैदान समस्तीपुर में समाप्त होगा। स्वच्छता मार्च में आगे – आगे स्काउट एवं गाइड के कैडेट बैंड बाजे के धुन के साथ चलेंगे। उनके पीछे सभी लोग मार्च करेंगे।
जिला स्थापना दिवस के अवसर पर फैंसी क्रिकेट मैच का आयोजन किया जाएगा। प्रातः 8:30 बजे पैक्स एकादश एवम मुखिया एकादश के बीच क्रिकेट मैच का आयोजन पटेल मैदान में किया जाएगा। वहीं दूसरा फैंसी क्रिकेट मैच पूर्वाह्न 9 बजे समस्तीपुर प्रशासन ,रेल प्रशासन एवम पुलिस प्रशासन एकादश और पत्रकार एकादश के बीच रेलवे फील्ड में आयोजित किया जाएगा। तीसरा फैंसी क्रिकेट मैच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन एकादश और चैंबर ऑफ कॉमर्स एकादश के बीच पटेल मैदान में पूर्वाह्न 10 से आयोजित होगा। चौथा क्रिकेट फैंसी मैच दरभंगा प्रशासन एकादश एवम मधुबनी प्रशासन एकादश के बीच पूर्वाह्न 10:30 बजे रेलवे फील्ड में आयोजित किया जायेगा।
अपराह्न 4:00 बजे समाहरणालय ,समस्तीपुर में रंगोली कार्यक्रम का आयोजन आईसीडीए की ओर से किया जायेगा। संध्या 4:30 बजे समाहरणालय समस्तीपुर परिसर की सजावट दीप एवम कैंडल से किया जायेगा। जिला पदाधिकारी के द्वारा सभी जिले वासियों को इस जिला स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने की अपील की गई है।
क्या है इतिहास ।(समस्तीपुर का इतिहास)
समस्तीपुर राजा जनक के मिथिला प्रदेश का अंग रहा है। विदेह राज्य का अन्त होने पर यह लिच्छवी गणराज्य का अंग बना। इसके पश्चात यह मगध के मौर्य, शुंग, कण्व और गुप्त शासकों के महान साम्राज्य का हिस्सा रहा। ह्वेनसांग के विवरणों से यह पता चलता है कि यह प्रदेश हर्षवर्धन के साम्राज्य के अंतर्गत था। १३ वीं सदी में पश्चिम बंगाल के मुसलमान शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियास के समय मिथिला एवं तिरहुत क्षेत्रों का बँटवारा हो गया। उत्तरी भाग सुगौना के ओईनवार राजा (1325-1525 ईस्वी) के कब्जे में था जबकि दक्षिणी एवं पश्चिमी भाग शम्सुद्दीन इलियास के अधीन रहा। समस्तीपुर का नाम भी हाजी शम्सुद्दीन के नाम पर पड़ा है। शायद हिंदू और मुसलमान शासकों के बीच बँटा होने के कारण ही आज समस्तीपुर का सांप्रदायिक चरित्र समरसतापूर्ण है।
ओईनवार राजाओं को कला, संस्कृति और साहित्य का बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। शिवसिंह के पिता देवसिंह ने लहेरियासराय के पास देवकुली की स्थापना की थी। शिवसिंह के बाद यहाँ पद्मसिंह, हरिसिंह, नरसिंहदेव, धीरसिंह, भैरवसिंह, रामभद्र, लक्ष्मीनाथ, कामसनारायण राजा हुए। शिवसिंह तथा भैरवसिंह द्वारा जारी किए गए सोने एवं चाँदी के सिक्के यहाँ के इतिहास ज्ञान का अच्छा स्रोत है। अंग्रेजी राज कायम होने पर सन १८६५ में तिरहुत मंडल के अधीन समस्तीपुर अनुमंडल बनाया गया। बिहार राज्य जिला पुनर्गठन आयोग के रिपोर्ट के आधार पर इसे दरभंगा प्रमंडल के अंतर्गत १४ नवम्बर १९७२ को जिला बना दिया गया। अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध हुए स्वतंत्रता आंदोलन में समस्तीपुर के क्रांतिकारियों ने महती भूमिका निभायी थी। यहाँ से कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं। समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र के प्रथम सांसद स्व. सत्यनारायण सिन्हा लगातार चार बार सांसद रहे और कई बार कैबिनेट मंत्री भी रहे साथ ही जब इंदिरा गांधी राज्यसभा की सदस्य थीं तो इन्होंने लोकसभा के नेता सदन का कार्यभार भी संभाला है। अपने राजनीति के अंतिम चरण में ये मध्यप्रदेश के राज्यपाल के पद पर भी रहे। आकाशवाणी पर रामचरितमान पाठ शुरू करने केलिए सूचना प्रसारण मंत्री के रूप में इनका कार्यकाल सदा याद किया जाएगा।