“धनतेरस पर गुल्लक फोड़ मां के लिए मिक्सी खरीदने पहुंची बच्ची,दुकानदार ने दिखाई दरियादिली,41 सौ की मिक्सी दे दी 18 सौ में
दुकानदार ने दिखाई दरियादिली:-दरभंगा जिले में धनतेरस के अवसर पर ऐसी दिल को छू लेने वाली कहानी देखने को मिली जो हमने कभी फिल्म और टेलीविजन पर ही देखी होगी। अपनी मां की परेशानी को देखते हुए एक छोटी सी बच्ची दरभंगा के एक दुकान पर पहुंची। जहां उसने अपनी मां के लिए एक मिक्सी पसंद किया। जिसकी कीमत 41 सौ रुपया था। लेकिन बच्ची के पास मात्र 18 सौ रुपया था।
जब दुकानदार ने बच्ची की जुबानी उसकी मिक्सी की खरीदारी की कहानी सुना तो, उसने अपने आप को बच्ची को मिक्सी देने से नही रोक पाया और उस बच्ची को 41 सौ रुपए के बदले 18 सौ रुपया में दे दिया जिसके बाद बच्ची अपनी मनपसंद मिक्सी लेकर खुशी खुशी अपने घर चली गई।
दुकानदार को पैसे देती बच्ची
दरअसल, नगर थाना क्षेत्र के महराजी पुल के समीप राम चौक की रहने वाली 11 वर्ष की लाडली कुमारी अपनी मां को सिलबट्टे पर मसाला पीसती देखती थी और आसपास के सभी लोग मिक्सी का इस्तेमाल करते थे। जो बच्ची को दिल से छू गया और बच्ची ने अपने टॉफी और अन्य चीजों के लिए पॉकेट खर्च को साल भर जमाकर अपनी मां के मदद करने के लिए दुकान पर मिक्सी लेने पहुंच गई। लेकिन बच्ची ने जो मिक्सी अपनी मां के लिए पसंद किया। वह मिक्सी बच्चे की जमा रकम से कहीं ज्यादा की थी। लेकिन जब दुकानदार को बच्ची की इस कहानी के बारे में पता चला तो दुकानदार ने सामान की कीमत की परवाह किये बगैर बच्ची को छोटी सी रकम में सामान दे दिया।
‘मम्मी को सिलबट्टे पर मसाला पीसता देख अच्छा नहीं लगता था’
वही, लाडली की मासूमियत देख पूछा गया कि खेलने-कूदने के उम्र में तुम मिक्सी क्यों खरीद रही हो। लाडली ने बड़ी मासूमियत से कहा, मेरी मम्मी के पास मिक्सी नहीं था। मम्मी सिलबट्टे पर मसाला पीसती थी और हमारे दोस्तों की मम्मी मिक्सी में मसाला पीसती थी। जिसे देखकर हमे अच्छा नहीं लगता था। मम्मी के हाथ में समस्या भी था, इसलिए जब भी मुझे पापा पैसा देते थे। तब मैं एक-दो रुपया कर के गुल्लक में जमा करती थी। ताकि मैं धनतेरस के मौके पर अपनी मम्मी के लिए मिक्सी गिफ्ट कर सकूं। इसीलिए मैं 18 सौ रुपया लेकर मिक्सी खरीदने आई हूं। शायद मिक्सी मिल जाए।
दुकानदार पैसे गिने बिना बच्ची को दे दिया मिक्सी
दूसरी तरफ दुकानदार विवेक शर्मा ने बताया कि एक प्यारी सी बिटिया अपने छोटे भाई के साथ आई हुई थी। उसने बताया कि उसकी मां सिलबट्टे पर पीसकर चटनी और मसाला पीसने का काम करती है। उसके हाथों में भी कुछ समस्या है। उन्होंने बताया कि बच्ची ने 41 सौ रुपए मूल्य की मिक्सी पसंद की। लेकिन बच्ची की भावना, भोलापन और मां के प्रति उसकी भावना देख कर मन द्रवित हुआ और लगा कि यह व्यापार का विषय नहीं है। यह किसी बच्ची की अपने मां के प्रति भावना का विषय है और धनतेरस के दिन में मुझे लगा की लक्ष्मी माता मेरे दुकान पर आई है। बच्ची के द्वारा लाया गया सिक्का देखकर मुझे स्वर्ण मुद्रा से कम नहीं लगा। जो बच्ची ने अपने गुल्लक से निकाल कर पैसे दिए मैंने उसको गिना भी नहीं और बच्ची अपने मां के लिए मिक्सी लेकर चली गई।