स्वाति नक्षत्र में होगी मां ब्रह्मचारिणी की पूजा,नवरात्र के दूसरे दिन की जानें पूजा-विधि
पटना।16 अक्टूबर को शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है। मां दुर्गा के नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी का है। देवी ब्रह्मचारिणी में ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या है। ब्रह्मचारिणी अर्थात तप की चारिणी- तप का आचरण करने वाली।
पंडित अमन कुमार पांडेय ने पंचांगों के हवाले से बताया कि आज के दिन स्वाति नक्षत्र में छत्र योग है। यह नक्षत्र 15 अक्टूबर के रात 6:43 से 16 अक्टूबर के 7:52 तक रहेगा। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:11 से सुबह 11:58 तक है। इसी अवधि में पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें। इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें। देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं। इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाए और फिर प्रार्थना करें।
सरल, शांत और सौम्य का प्रतीक हैं मां ब्रह्मचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी को सरल, शांत और सौम्य का प्रतीक माना गया है। माता अपनी तप, त्याग दृढ़ शक्ति के लिए जानी जाती है। मां ब्रह्मचारिणी कठिन समय में विचलित नहीं होने देती हैं। यह माता दोषों को खत्म करने वाली और सिद्धि की प्राप्ति करने वाली होती हैं। जो लोग अपने कौशल को बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें माता के इस स्वरूप की पूजा जरूर करनी चाहिए।
माता को शक्कर है अति प्रिय
ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप अत्यन्त भव्य है। यह सफेद साड़ी धारण किए हैं। इनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। देवी ब्रह्मचारिणी को चीनी और शक्कर प्रिय है। इसलिए मां को भोग में चीनी, शक्कर और पंचामृत का भोग लगाएं। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन भी अति प्रिय हैं, इसलिए इसका भोग लगाएं। इस भूख से देवी ब्रह्मचारिणी प्रसन्न हो जाएंगी।