Sunday, November 24, 2024
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दलसिंहसराय;सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ के छठे दिन आचार्य ने सुनाई भगवान की रासलीला

दलसिंहसराय,भटगामा स्थित शिक्षा विहार परिसर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ के छठे दिन व्यासपीठ पर विराजमान कथा वाचक आचार्य संजय शास्त्री जी ने कथा को आगे बढ़ाते हुए दसम स्कंध में प्रवेश कराते हुए कहा कि दसम स्कंध को निरोध स्कंध कहा जाता है,निरोध का तात्पर्य मनोवृत्तियों का एक में टिकाना हैं.
निरोध के प्रकार पर प्रकाश डालते हुए आचार्य श्री ने कहा कि शिशु लीला से प्रारम्भ होकर वेणु गीत की लीला से पूर्व राग निरोध की लीला हैं,और वेणु गीत से लेकर रास लीला से पूर्व आसक्ति निरोध की लीला हैं और रास लीला व्यसन निरोध की लीला हैं.जबतक राग के केंद्र आसक्ति और व्यसन के केन्द्र भगवान नहीं होते हैं तब तक जीवन में भगवत मिलन संभव नहीं हैं.रासलीला की चर्चा करते हुए आचार्य ने कहा कि सर्वत्र ईश्वर दर्शन ही रास हैं.
रास की लीला काम बिषय की लीला हैं.हम मानव को रासलीला का सिर्फ वाह्य आनन्द लेना चाहिए , उनमें डूबना नहीं चाहिए.जैसे जल की अधिकता को बाढ़ अपने साथ बहा ले जाती हैं. वैसे ही रस की अधिकता रास बन कर हमसबों को इस भवसागर से बहा ले जाएगा.हमें ईश्वर में अपने को समर्पित कर देना है.कथा से पूर्व यजमान सुशांत चन्द्र मिश्र ने भागवत भगवान् का विधिवत पूजन किया.
तत्पश्चात आज के अतिथि यजमान मैथिल फिल्म निर्देशक सुमित सुमन ने महराज आचार्य को पुष्पहार भेंट कर सम्मानित किया.उसके बाद आचार्य संजय शास्त्री ने आज के अतिथि यजमान सुमित सुमन को पुष्पहार अंगवस्त्र एंव श्रीमद्भागवत पुस्तक भेंटकर सम्मानित किया. युवा गायिका रागिनी झा तथा गायक संतोष झा ने भजन प्रस्तुत किया.मौके पर प्रो पी के झा प्रेम,पं, रजनी कांत झा,राजा बाबू मौजूद थे.

Kunal Gupta
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