एचआईवी से ग्रसित राज्य में 70,000 मरीज, एचआईवी से ग्रसित व्यक्तियों की नियमित काउंसिलिंग जरुरी- डॉ.गुप्ता
पटना- “एचआईवी से ग्रसित मरीजों की देखभाल के साथ उनकी नियमित काउंसिलिंग कर उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. राज्य में 27 एआरटी ( एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी ) सेंटर कार्यरत हैं जहाँ एचआईवी मरीजों की नियंमित जांच, दवा की उपलब्धता एवं काउंसिलिंग की व्यवस्था है. इसके अलावा राज्य में 11 लिंक एआरटी सेंटर भी कार्यरत हैं. “बिहार नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विथ एचआईवी” के सदस्य विभिन्न प्लेटफार्म पर अपनी आवाज रखकर अपने लिए कई अन्य सुविधाओं की बात रख सकते हैं”, उक्त बातें अपर परियोजना निदेशक, बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, डॉ. एन.के.गुप्ता ने “बिहार नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विथ एचआईवी” एवं बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के तत्वावधान में आयोजित बैठक में कही. एक निजी होटल में आयोजित बैठक में अपर परियोजना निदेशक, बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, डॉ. एन.के.गुप्ता, उप निदेशक, केयर एंड सपोर्ट, बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, डॉ. अरविंद कुमार सिंह, “बिहार नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विथ एचआईवी” के सदस्य, पंजाब नेशनल बैंक के एजीएम अमन कुमार सिन्हा सहित सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के अधिकारी मौजूद रहे.
“बिहार नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विथ एचआईवी” में करीब 10,000 सदस्य:
“बिहार नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विथ एचआईवी” की सचिव पूजा मिश्रा ने बताया कि “बिहार नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विथ एचआईवी” में करीब 10,000 सदस्य हैं जो उपचार के साथ साथ विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर समाज में सकारत्मक संदेश दे रहे हैं. उन्होंने बताया कि समाज में एचआईवी से ग्रसित लोगों के साथ भेदभाव वाला नजरिया खेदजनक है. आज दवाओं की उपलब्धता से एचआईवी से ग्रसित व्यक्ति भी सामान्य जीवन जी सकता है. उन्होंने बताया कि “बिहार नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विथ एचआईवी” का गठन 2005 में हुआ था और इससे जुड़कर एचआईवी से ग्रसित लोगों को उत्साह के साथ अपना जीवन व्यतीत करने में सफलता मिल रही है.
आजीवन खानी पड़ती है दवा:
डॉ. एन.के गुप्ता ने बताया कि एचआईवी की पुष्टि होने के उपरांत उक्त व्यक्ति को आजीवन एआरटी का उपचार लेना पड़ता है. एचआईवी से ग्रसित मरीजों को नियमनुसार दवा का सेवन करना चाहिए और किसी भी परेशानी की स्थिति में तुरंत चिकित्सकों के संपर्क करना चाहिए. सहायक निदेशक, बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, सरिता कुमारी ने बताया कि बीएनपी नेटवर्क उनके परिवार की तरह है और नेटवर्क के सदस्यों की जरूरतों का ध्यान रखना उनकी अहम् जिम्मेदारी है. बैठक में शामिल सभी लोगों ने नेटवर्क को सहयोग मुहैय्या कराने में अपनी प्रतिबधता जताई और “बिहार नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विथ एचआईवी” के प्रयासों की तारीफ की.
कार्यक्रम का आयोजन उत्तर प्रदेश वेलफेयर फॉर पीपल लिविंग विथ एचआईवी/एड्स सोसाइटी के सहयोग से हुआ. संस्थान के तकनीकी पदाधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि बिहार में 11 विहान सेंटर संचालित है जहाँ से भी एचआईवी से ग्रसित लोगों का आंकड़ा एकत्रित किया जाता है.